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सिक्योरिटी

कैसे बचोगे ऑनलाइन ठगी के इन फंदों से, ऐसे नए ढंग से लगाते हैं शिकार को चूना कि असावधानी से एक झटके में लुट जाती है जीवनभर की कमाई

Janjwar Desk
17 Nov 2022 7:55 AM GMT
कैसे बचोगे ऑनलाइन ठगी के इन फंदों से, ऐसे नए ढंग से लगाते हैं शिकार को चूना कि असावधानी से एक झटके में लुट जाती है जीवनभर की कमाई
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Online Fraud via Mobile OTP : ठगी के मामले सामने आने के बाद लोग अमूमन पुलिस के जाते हैं, लेकिन कैसा लगेगा कि ठग पुलिस का नाम लेकर ही आपको चूना लगा दें...

Next level fraudsters : जबसे दुनिया डिजिटल फार्मेट पर शिफ्ट हुई है, तभी से ऑनलाइन फ्रॉड एक सिरदर्द बनकर आया है। ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए जहां पुलिस लगातार लोगों को इनके फंदों से बचाने के लिए इनके तौर तरीकों से परिचित कराती रहती है तो यह ठग भी अपने तौर तरीकों में लगातार बदलाव करते हुए लोगों को चूना लगाने का धंधा बदस्तूर चलाए हुए हैं। ऐसे ही कुछ तरीकों का पता तब चला जब पुलिस ने फ्रॉड कारोबार से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया।

दिल्ली के आउटर नॉर्थ जिले की साइबर सेल ने इसी हफ्ते जिन तीन जालसाजों हिसार निवासी 22 वर्षीय दुष्यंत, 38 वर्षीय दीपक और फरीदाबाद निवासी 31 वर्षीय दीपक को पकड़ा, यह द्वारका से सस्ते ब्याज पर लोन देने का रैकेट चला रहे थे। डीसीपी देवेश कुमार माहला के मुताबिक, पीड़ित ने शिकायत दी कि एक अनजान नंबर से मैसेज मिला।

मैसेज में लिखा था 'कम ब्याज दर के साथ 24 घंटे के भीतर 10 लाख तक का परेशानी मुक्त ऑनलाइन लोन पाएं'। झांसे में आकर जब इस नंबर पर संपर्क किया गया तो ठगों ने लोन तो खैर क्या ही देना था उल्टे लोन के ख्वायिशमंद से करीब ढाई लाख रुपए ठग लिए। अब तक 50 से अधिक लोगों से ठगी कर चुके यह आरोपी शिकार फंसाने के लिए बाकायदा वेबसाइट चलाते थे। पूछताछ में ठगों ने पुलिस के सामने कई खुलासे करते हुए इस धंधे की कई ट्रिक भी साझा की।

ऐसी ही एक ट्रिक पे ऑन डिलिवरी ऑर्डर की है। बेहद आसान इस ट्रिक के तहत ठगों के चिन्हित शिकार के पास कुरियर से एक पैकेट आता है। पैकेट पे ऑन डिलिवरी के तहत होता है। मतलब, पैकेट लोगो तो पैसे देने पड़ेंगे, लेकिन शिकार ने क्योंकि कुछ ऑर्डर किया ही नहीं होता है तो वह उसे स्वाभाविक तौर पर लेने से इंकार कर देता है। बस, असली खेल इसके बाद ही शुरू हो जाता है। कुरियर बॉय आपसे इस ऑर्डर को कैंसिल करने के लिए पैकेट पर लिखे कस्टमर केयर नंबर पर बात करने को बोलेगा। इस कस्टमर केयर नंबर पर फोन करते ही आप इनके जाल में फंसने की अनुमति दे देते हैं।

कस्टमर केयर का नंबर भी इन ठगों का अपना नंबर होता है, जिस पर दूसरी ओर से बात करने वाला अपने को मैनेजर बताते हुए आपका ऑर्डर (जो आपने किया ही नहीं है) कैंसिल करने के लिए उनके द्वारा आपके नंबर पर भेजे ओटीपी पता करता है। यह ओटीपी आपके बैंक खाते को खाली करने वाली चाबी होती है। इधर आपने इन ठगों को गले पड़ा ऑर्डर का बवाल टालने के लिए यह ओटीपी बताया, उधर पहली फुरसत में ठगों ने आपके बैंक खाते को निल किया।

कुरियर बॉय आपके ऑर्डर को कैंसिल करने का अपना काम निबटाकर दूसरी गली में भी नहीं पहुंचता है कि इस बार आपके असली वाले बैंक से आपके मोबाइल पर आया एक एसएमएस आपके खाते से निकली धनराशि की जानकारी आपको देता है। इस तरह ठगी का यह कार्यक्रम संपन्न हो जा जाता है।

ठगी के मामले सामने आने के बाद लोग अमूमन पुलिस के जाते हैं, लेकिन कैसा लगेगा कि ठग पुलिस का नाम लेकर ही आपको चूना लगा दें। आप सोचेंगे, ऐसा कैसा हो सकता है। तो इसका जवाब है कि जो हो नहीं सकता, न केवल होता है बल्कि हो भी चुका है।

एक बानगी देखिए इस किस्से में। पिछले दिनों, दिल्‍ली के पालम विहार थाने का एसएचओ बनकर एक व्यक्ति को कॉल कर कहा गया कि तुमारी ईएमआई पेंडिंग है। इसकी शिकायत हमारे पास आई है। अपनी ईएमआई भर दो वरना तुम्हारे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर देंगे। फिर फर्जी एसएचओ ने एक वकील का नंबर देकर उससे बात करने को कहा। फिर खुद को वकील बताने वाले ठग ने दो ट्रांजेक्शन में 22 हजार 730 रुपये ट्रांसफर करा लिए।

इस कहानी में न तो कोई पुलिस थी और न ही कोई वकील, लेकिन पुलिस और वकील के झांसे में आकर बंदा आराम से लुट गया। पुराने जमाने में लोग कहते थे, न जाने किस भेष में नारायण मिल जाएं। तो आप इतना जान लीजिए कि यह ऑनलाइन का जमाना हैं। और आपको हर मोड़ पर सावधान रहने की जरूरत है, न जाने किस मोड़ पर किस भेष में ठग मिल जाए।

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