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लंबे समय बाद आया सेना प्रमुख का बयान, कहा - 'भारत को चीन से दो मोर्चो पर खतरा'

Janjwar Desk
3 Sept 2020 10:46 PM IST
लंबे समय बाद आया सेना प्रमुख का बयान, कहा - भारत को चीन से दो मोर्चो पर खतरा
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जनरल रावत ने कहा, हम अपनी सीमाओं के पार शांति चाहते हैं। बीते कुछ समय से हम चीन की ओर से की जा रही कुछ आक्रामक कार्रवाइयां देख रहे हैं, लेकिन हम इनसे निपटने में सक्षम हैं...

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध जारी है। इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि भारत को उत्तरी और पश्चिमी मोर्चो पर समन्वित कार्रवाई का खतरा है। जनरल रावत ने कहा कि चीन के आक्रामक दुस्साहस को नियंत्रित करने और रोकने के लिए भारत ने पर्याप्त उपाय अपनाए हैं।

अमेरिका-भारत की रणनीतिक और साझेदारी फोरम (यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम) में जनरल रावत ने कहा, 'हम अपनी सीमाओं के पार शांति चाहते हैं। बीते कुछ समय से हम चीन की ओर से की जा रही कुछ आक्रामक कार्रवाइयां देख रहे हैं, लेकिन हम इनसे निपटने में सक्षम हैं। हमारी तीनों सेनाएं सीमाओं पर उत्पन्न होने वाले सभी खतरों से निपटने में सक्षम हैं'।

जनरल रावत ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को वर्तमान के हालातों से निपटना होगा और आने वाले समय की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

सीडीएस रावत ने कहा कि चीन की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को दी जा रही आर्थिक सहायता और पाक को लगातार उपलब्ध कराया जा रहा सैन्य व राजनयिक सहयोग यह मांग करता है कि हम उच्च स्तर की तैयारियां करें।

जनरल रावत ने कहा, हमने अपनी सीमाओं पर इससे निपटने के लिए एक रणनीति तैयार की है।

पाकिस्तान के विषय पर, सीडीएस ने कहा कि वह एक छद्म युद्ध शुरू कर रहा है और भारतीय जमीन पर आतंकवादियों को उतारने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दे रहा है। जनरल रावत ने कहा, वे जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करते रहते हैं। वे हमारे देश के अन्य क्षेत्रों में भी आतंकवाद का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं।

रावत ने कहा कि भारत सरकार भी सशस्त्र बलों के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सीडीएस ने कहा, हम क्षेत्र के अधिकांश देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत में संलग्न हैं, जिसमें चीन भी शामिल है।

भारत और चीन की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले चार महीने से आमने-सामने हैं। बातचीत के कई स्तरों के बावजूद, अभी तक गतिरोध खत्म करने को लेकर कोई सफलता नहीं मिल सकी है।

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