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नीतीश राज में मुर्दों को भी लग रही कोरोना वैक्सीन, 5 महीने पहले मरे व्यक्ति के फोन पर वैक्सीनेशन का मैसेज
(पांच महीने पहले मरे व्यक्ति को कोरोना के दूसरे डोज के लिए मैसेज आया)
Bihar News: भाजपा और जदयू के डबल इंजन सरकार में अब मरे हुए लोगों को भी कोरोना की वैक्सीन दी जा रही है। ये अनोखा मामला बिहार के सिवान जिले से आया है जहां पांच महीने पहले मरे शख्स को कोरोना की दूसरी डोज दिए जाने का मैसेज आया। और तो और कोविन पोर्टल पर सर्टिफिकेट भी अपलोड कर दिया गया। वैक्सीन का मृत व्यक्ति के फोन पर मैसेज आने के बाद सूबे की स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हो गई। इसी के साथ भारत में कोरोना के खिलाफ सबसे ज्यादा टीका देने के दावों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
मामला सिवान जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड के बनसोहीं गांव का है। यहां के कन्हैया साह के बेटे दुलारचंद साह की मौत इसी साल के अप्रैल माह में हो गई थी। शनिवार, 23 अक्टूबर को उनके घर के मोबाइल नंबर पर कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज लेने का मैसेज आया। परिजनों का कहना है कि जब दुलारचंद की मौत अप्रैल में ही हो गयी तो छह माह बाद वैक्सीन की दूसरी डोज कैसे दे दी गयी।
परिजनों का आरोप- पहला डोज लेने के बाद हुई थी मौत
मृतक के परिजनों ने बताया कि इस साल अप्रैल माह में दुलारचंद साह की जब मौत हुई थी वह भी संदिग्ध परिस्थितियों में ही हुई थी। अप्रैल माह की 20 तारीख को वे बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वैक्सीन का पहला डोज लेने गए थे। वहां उनका रैपिड एंटीजेन किट से कोरोना की जांच की गई। निगेटिव रिपोर्ट आने पर उन्हें वेक्सीन का पहला डोज दिया गया। लेकिन वैक्सीन लेने के बाद रात में उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उन्हें इलाज के लिए जिला मुख्यालय ले जाया गया लेकिन अगले दिन उनकी मौत हो गई थी।
दुलारचंद साह के परिजनों का कहना है कि शनिवार को घर के मोबाइल पर मैसेज आया कि मृत कोविशिल्ड का दूसरा डोज दे दिया गया है। इसके बाद घर के लोग परेशान हो गए। इसके बाद परिजनों ने कोविन पोर्टल से सर्टिफिकेट डाऊनलोड किया गया तो उसमें भी दोनों डोज लेने की पुष्टि कर दी गई।
गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर कई जगहों से लापरवाही की सूचना मिल रही है। लेकिन, केन्द्र की मोदी सरकार बार बार ये दावा कर रही है कि देश में अबतक 100 करोड़ वैक्सीन के डोज दिए जा चुकें है। मुफ्त वैक्सीन को लेकर भाजपा सरकार खूब प्रचार प्रसार भी कर रही है। लेकिन, ये वैक्सीन धरातल पर लोगों को मिल भी रही है या नहीं या सिर्फ आंकड़ों को दर्शाने के लिए टीके लगाए जा रहे हैं ये एक बड़ा सवाल है।