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Hate Speech Row: नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी से पहले नहीं थमेगा राजनयिक बवंडर, भारत को हो सकता है भारी आर्थिक नुकसान
Hate Speech Row: नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी से पहले नहीं थमेगा राजनयिक बवंडर, भारत को हो सकता है भारी आर्थिक नुकसान
Hate Speech Row: पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब के अपमान का विरोध अबर देशों में लगातार गहराता जा रहा है। पिछले 24 घंटों में सोशल मीडिया पर खाड़ी के देशों में भारतीय उत्पादों का बहिष्कार करने के आह्वान हुए हैं। अभी तक कुल 14 अरब देश भाजपा के दो निलंबित प्रवक्ताओं की टिप्पणी के खिलाफ भारत सरकार से राजनयिक विरोध जता चुके हैं। फिर भी ऐसा लग नहीं रहा है कि नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की गिरफ्तारी से पहले यह राजनयिक बवंडर थमेगा। बवंडर जितनी देर चलेगा, भारत को उतना ही भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
खाड़ी के देशों में करीब 80 लाख अनिवासी भारतीय रहते हैं। उनमें से 35 लाख केवल सऊदी अरब में ही रहते हैं, जो विरोध करने वाले 14 देशों में शामिल है। खाड़ी के देशों से भारत का व्यापार 100 बिलियन डॉलर से अधिक का है। इन देशों से अनिवासी भारतीय वतन में रहने वाले अपने संबंधियों को हर साल 20 बिलियन डॉलर भेजते हैं। इसके अलावा भारत का 65% तेल आयात मध्य-पूर्व के देशों ने ही होता है। किसी भी विदेशी दबाव के आगे न झुकने की नीति पर चलने वाला भारत पैगंबर साहब के खिलाफ टिप्पणी के बाद अरब देशों के विरोध में केवल इसीलिए बचाव की मुद्रा में आ गया, क्योंकि भारत को खाड़ी के देशों के साथ व्यापारिक संबंधों के भविष्य में और मजबूत होने की उम्मीद है।
विवाद जल्द नहीं सुलझा तो लग सकते हैं झटके
संयुक्त अरब अमीरात ने भारत को उन 7 देशों में प्रमुखता से रखा है, जिन्हें भविष्य में वह अपना व्यापारिक साझेदार बनाना चाहता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में कहा था कि संयुक्त अरब अमीरात भारत में अगले 5 साल के दौरान 100 बिलियन डॉलर के निवेश का इच्छुक है। यह पैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर और विनिर्माण उद्योग में लगने वाला है। इससे हजारों की संख्या में नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। जेद्दा में गल्फ रिसर्च सेंटर के संस्थापक अध्यक्ष अब्दुलअजीज सागेर कहते हैं कि मौजूदा विवाद से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों के खटाई में पड़ने की ज्यादा आशंका नहीं है, लेकिन हम पैगंबर साहब का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते और न ही इस्लाम धर्म से जुड़े मुद्दों को अनदेखा कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस रस्सी पर चलने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके एक सिरे पर खाड़ी के देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करना है और दूसरी ओर इस रिश्ते को खराब कर रहे दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के इस्लामोफोबिया को बर्दाश्त भी कर रहे हैं। ऑब्जर्वा रिसर्च फाउंडेशन के फेलो कबीर तनेजा बताते हैं कि भारत में सांप्रदायिक मुद्दे कोई नए नहीं हैं। लेकिन पहली बार अरब देशों ने इतनी सख्त प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि धार्मिक मुद्दों पर बयानबाजी को आगे अनदेखा करना भारत सरकार के लिए मुश्किल होगा। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने भी मंगलवार को दिए बयान में भारत से धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखने की बात कही है।
सबसे बड़ी दिक्कत अरब देशों में रहने वाले भारतीयों को
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत को 2021 में अनिवासी भारतीयों से 87 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए, जो विदेश में रहने वाले लोगों ने भारत में अपने परिजनों को भेजी। इस साल भारत को करीब 90 बिलियन डॉलर मिलने की उम्मीद है। लेकिन भारत में दिए जाने वाले हेट स्पीच का सबसे बुरा असर इन्हीं अनिवासी भारतीयों पर सबसे पहले पड़ता है। मिसाल के लिए नूपुर शर्मा के विवादित बयान से कतर में रहने वाले भारतीय समुदाय को बुलिंग का शिकार होना पड़ा है। कुवैत में स्टोर से भारतीय उत्पादों को हटा लिया गया। इससे भी वहां के अनिवासी भारतीयों को दिक्कत हुई है। लेकिन अगर भारत में हेट स्पीच पर सरकार ने तुरंत रोक नहीं लगाई और अरब देशों की सरकारें जवाब में भारतीयों का वीजा रद्द करने जैसा कदम उठा लें तो भारत को 20 बिलियन डॉलर का तुरंत नुकसान उठाना पड़ सकता है। व्यापारिक रिश्तों पर जो प्रभाव पड़ेगा, वह अलग है। भारत यह जोखिम नहीं उठा सकता। कहीं न कहीं भारत सरकार को भी यह मालूम है।