Begin typing your search above and press return to search.
Up Election 2022

UP Election 2022: समाजवादी पार्टी में शामिल हुए योगी के धुर विरोधी हरिशंकर तिवारी, पूर्वांचल में बढ़ सकती है BJP की टेंशन!

Janjwar Desk
12 Dec 2021 10:59 PM IST
upchunav2022
x

(समाजवादी पार्टी में शामिल हुई हरिशंकर तिवारी एंड फैमिली)

अस्सी के दशक से हरिशंकर तिवारी की सियासी तूती पूर्वांचल में बोलती है और सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ उनके छत्तीस के आंकड़े रहे हैं। योगी के सीएम बनने के बाद गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के आवास पर पुलिस ने छापेमारी की थी...

UP Election 2022: योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व मंत्री बाहुबली हरिशंकर तिवारी (Hari Shankar Tiwari) पूर्वांचल की सियासत में बड़ा चेहरा हैं। तिवारी एंड फैमिली बसपा के हाथी से उतरकर अब सपा की साइकिल में सवार हो चुकी है। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले हरिशंकर तिवारी की परिवार सहित सपा में एंट्री से पूर्वांचल के सियासी समीकरण बदल सकते हैं, साथ ही बसपा ही नहीं बल्कि बीजेपी की ब्राह्मण राजनीति के लिए यह चिंता का सबब बन सकता है।

सपा में जाने की संभावनाओं के बीच बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी परिवार को बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी, बड़े बेटे व पूर्व सांसद कुशल तिवारी और भतीजे गणेश शंकर पांडे को निष्कासित कर दिया था। हरिशंकर तिवारी परिवार का सियासी ठिकाना अब सपा बन गयी है, जो बसपा के साथ-साथ बीजेपी (BJP) के लिए भी पूर्वांचल के इलाके में सियासी चुनौती खड़ी कर सकती है।

पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण बनाम ठाकुर के बीच सियासी वर्चस्व की जंग जगजाहिर है तो हरिशंकर तिवारी और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच भी राजनीतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में तिवारी परिवार के सपा में शामिल होने से अखिलेश यादव को पूर्वांचल में बड़ा ब्राह्मण चेहरा मिल गया है, जिसे सीएम योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी नेता के तौर पर जाना जाता है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी के तौर पर स्थापित करने में जुटा है। ब्राह्म्ण बनाम ठाकुर की राजनीति के बीच हरिशंकर तिवारी परिवार का सपा में आने से पूर्वांचल के समीकरण बदल सकते हैं। यह इलाका ब्राह्मण बहुल माना जाता है और हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मणों के बड़े चेहरे तौर पर स्थापित हैं।

बताते चलें कि अस्सी के दशक से हरिशंकर तिवारी की सियासी तूती पूर्वांचल में बोलती है और सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ उनके छत्तीस के आंकड़े रहे हैं। योगी के सीएम बनने के बाद गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के आवास पर पुलिस ने छापेमारी की थी, जिसे बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा गया था। इस घटना के खिलाफ ब्राह्मण समाज के लोगों ने गोरखपुर की सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था।

पूर्वांचल में बीजेपी की बढ़ेगी टेंशन

जातीय बिसात पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने की कवायद में है। पूर्वांचल के सियासी समीकरण को देखते हुए अखिलेश यादव ने राजभर समाज के नेता ओमप्रकाश राजभर और नोनिया समाज के नेता संजय चौहान की पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है। वहीं, मुसलमानों के बीच असर रखने वाले मुख्तार अंसारी परिवार को सपा में लाने के बाद बारी ब्राह्मण समाज के प्रभावी और बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी परिवार को पार्टी में एंट्री देने की थी। जो आज पूरी हो गई।

किन जिलों में है तिवारी का वर्चस्व?

पूर्वांचल के गोरखपुर से लेकर देवरिया, संतकबीर नगर, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, गोंडा, अंबेडकर नगर और बलरामपुर में ब्राह्मण वोटर काफी अहम भूमिका अदा करते हैं। इस इलाके में हरिशंकर तिवारी और उनके परिवार का का सियासी प्रभाव माना जाता है। ऐसे में वो अखिलेश का दामन थामकर सपा के पक्ष में ब्राह्मणों को लामबंद करने में अहम रोल निभा सकते हैं।

क्या हो सकता है 2022 में प्रभाव?

हरिशंकर तिवारी परिवार के सदस्यों को सपा में शामिल होने से सत्ताधारी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, जो पहले से ही ठाकुर बनाम ब्राह्मण की राजनीति में उलझी है। पूर्वांचल में सपा के पास ब्राह्मण चेहरे के तौर पर माता प्रसाद पांडेय के सिवा कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में हरिशंकर तिवारी की एंट्री से इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदलने के आसार हैं। हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार से छह बार विधायक रहे हैं और 1996 से लेकर 2007 तक यूपी में मंत्री रहे। इस सीट से अभी उनके बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा से विधायक हैं।

Next Story

विविध