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UP Chillupar Election 2022: चिल्लुपार में पूर्वांचल के बाहुबली को बसपा ने दी थी पहली बार चुनौती, अब सपा ने बदल दी है पूरी तस्वीर

Janjwar Desk
11 Jan 2022 8:39 AM GMT
UP Chillupar Election 2022: चिल्लुपार में पूर्वांचल के बाहुबली को बसपा ने दी थी पहली बार चुनौती, अब सपा ने बदल दी है पूरी तस्वीर
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UP Chillupar Election 2022: चिल्लुपार में पूर्वांचल के बाहुबली को बसपा ने दी थी पहली बार चुनौती, अब सपा ने बदल दी है पूरी तस्वीर

UP Chillupar Election 2022: पूर्वांचल की राजनीति में कभी बाहुबली के रूप में सुमार रहे पंडित हरिशंकर तिवारी के सामने पहली बार बसपा ने चुनौती पेश की थी। इसके बाद हालात ऐसे बने कि चिल्लुपार विधान सभा क्षेत्र की यह सीट बसपा का गढ़ बन गया।

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

UP Chillupar Election 2022: पूर्वांचल की राजनीति में कभी बाहुबली के रूप में रहे पंडित हरिशंकर तिवारी के सामने पहली बार बसपा ने चुनौती पेश की थी। इसके बाद हालात ऐसे बने कि चिल्लुपार विधान सभा क्षेत्र की यह सीट बसपा का गढ़ बन गया। अब समीकरण ऐसा बना हैं कि बसपा के विधायक विनय शंकर तिवारी सपा के साथ नाता जोड़ लिए हैं। जिसके चलते बसपा के लिए यह परंपरागत सीट पर कब्जा बनाए रखना जहां बड़ी चुनौती बन गई है,वहीं सपा इसी सीट से पूर्वांचल में ब्राम्हण मतदाताओं के धु्रवीकरण में जुटी है।

बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी के ही पुत्र है विनय शंकर तिवारी।गोरखपुर क्षेत्र में इस परिवार को हाता परिवार के रूप में जाना जाता है। करीब 14 साल बाद एक बार फिर हाता परिवार साइकिल की सवारी कर रहा है। वर्ष 2007 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब हरिशंकर तिवारी लोकतांत्रिक कांग्रेस के अध्यक्ष थे। सहयोगी दल के रूप में सरकार में शामिल हुए और कैबिनेट मंत्री बने थे। हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय ने सपा की सदस्यता ली थी और स्थानीय निकाय का चुनाव सपा से लड़ कर जीते थे। अब गणेश शंकर पांडेय और हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे विनय शंकर और भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी सपा में शामिल हो गए हैं।

बसपा से चुनाव लड़कर एक पत्रकार ने दी थी हरिशंकर को मात

वर्ष 2007 में पूर्वांचल के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी को पराजित करके बसपा से राजेश त्रिपाठी ने इस सीट पर कब्जा जमाया था। राजेश उस समय एक गोरखपुर से प्रकाशित अखबार के पत्रकार थे। इसके बाद से ही यह सीट बसपा के खाते में रही है। वर्ष 2012 में राजेश त्रिपाठी बसपा से ही दोबारा विधायक चुने गए थे। वर्ष 2017 में राजेश त्रिपाठी का टिकट काटकर बसपा ने हरिशंकर तिवारी के छोटे पुत्र विनय शंकर तिवारी को टिकट दे दी। लिहाजा विनय शंकर ने जीत दर्ज कराकर सीट को एक बार बसपा की झोली में डाल दी। ऐसे में लगातार तीन बार से इस सीट पर बसपा का कब्जा बरकरार है।

22 वर्ष विधायक रहे हरिशंकर तिवारी,अधिकांश समय सत्ता में बने रहे

बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी ने 1985 में निर्दलीय विधायक के तौर पर यहां से चुनाव जीता था, फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जेल से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हरिशंकर तिवारी ने कांग्रेस उम्मीदवार को बड़े अंतर से मात दी थी। उनकी ताकत को भांपते हुए कांग्रेस ने अगले चुनाव में उन्हें टिकट दे दिया और 2007 तक गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से उनकी जीत का सिलसिला चलता रहा। इस बीच वह अलग-अलग दलों की जरूरत बनते गए। 1998 में कल्याण सिंह ने अपनी सरकार में मंत्री बनाया, तो बीजेपी के ही अगले मुख्यमंत्री बने रामप्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह सरकार में भी वे मंत्री बने रहे। इसके बाद मायावती सरकार में मंत्री बने और 2003 से 2007 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी मंत्री रहे।

1998 के बाद हरिशंकर तिवारी हर दल की जरूरत बन गए थे। यहां तक कि जब जगदंबिका पाल सूबे के एक दिन के सीएम बने तो उनकी कैबिनेट में भी वह मंत्री थे। दरअसल 1998 में राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को सीएम पद से बर्खास्त कर लोकतांत्रिक कांग्रेस के जगदंबिका पाल को सीएम पद की शपथ दिलाई थी लेकिन अगले ही दिन बाजी पलट गई और कल्याण सिंह फिर से सीएम बन गए थे।

90 के दशक में ऐसा रसूख कायम हुआ कि यूपी में जिस भी पार्टी सरकार बनी, उसके मंत्रिमंडल में हरिशंकर तिवारी को जगह मिली। वह 1997 से 2007 तक यूपी सरकार में मंत्री रहे। 22 वर्ष तक विधायक रहे तिवारी 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में हार गए। दोनों बार यह पराजय बसपा से मिली। इसके बाद वे राजनीति से संन्यास ले लिए। 2017 का विधानसभा चुनाव हुआ तो तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी को बसपा ने उम्मीदवार बना दिया।जिससे जीत कर बसपा को लगातार वे तीसरी जीत दिलाए।

पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मणों को साधने की सपा की कोशिश

बाहुबली हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटों कुशल तिवारी व विनय शंकर और भांजे गणेश शंकर पांडे को पार्टी में शामिल कराकर सपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक तरफ बसपा को तगड़ा झटका दिया है तो दूसरी ओर भाजपा के लिए भी कुछ मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अखिलेश यादव पूर्वांचल में हरिशंकर तिवारी के परिवार से ब्राह्मणों को साधने की जुगत में हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी की पूर्वांचल के ब्राह्मण समाज में अच्छी पैठ मानी जाती है। पूर्वांचल में उन्हें कभी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर देखा जाता था। यही वजह है कि सरकारें किसी भी दल की बनती थीं, हरिशंकर तिवारी का मंत्री बनना तय होता था। पूर्वांचल की रैलियों में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर विनय शंकर तिवारी और गणेश शंकर पांडेय को मंच पर लाने की तैयारी है। सपा नेतृत्व, गोरखपुर और बस्ती मंडल की 41 सीटों पर इनकी सभाएं करा सकता है।

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