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UP Election 2022 : 'यूपी में का बा' : जनता ने सटायर से अपना मनोरंजन तो खूब किया पर शायद उसके पीछे के तर्क को नकार दिया
यूपी में का बा : जनता ने सटायर से अपना मनोरंजन तो खूब किया पर शायद उसके पीछे के तर्क को नकार दिया
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों उत्तराखंड, पंजाब, गोवा ओर मणिपुर के की विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022) के लिए वोट डाले जा चुके हैं। उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम (EVM) में कैद कर स्ट्रांग रूमों में लॉक की जा चुकी है। अब किसके सर पर ताज सजता है और किसको निराशा हाथ लगती है ये तो 10 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चलेगी।
चुनावों के ठीक बाद अलग-अलग एजेंसियों और न्यूज चैनलों की ओर से जो एक्जिट पोल (Exit Polls) जारी किए गए हैं। उसमें भाजपा (BJP) को कोई खासा नुकसान होता नहीं दिख रहा है। इन विधानसभा चुनावों के केन्द्र में उत्तर प्रदेश था क्योंकि उत्तर प्रदेश से होकर ही दिल्ली के तख्त का रास्ता जाता है। उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान हमने पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच हुए जबरदस्त आरोप-प्रत्यारोप देखे। जुबानी जंग देखा। इसी प्रचार अभियान के बीच एक अभियान सोशल मीडिया पर भी चल रहा था।
नेहा सिंह राठौड़, राजीव निगम, संपत सरल, श्याम रंगीला और अभय कुमार जैसे कई ऐसे गायक और हास्य कलाकारों ने विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान सत्ता के पक्ष या विपक्ष में मोर्चा खोल रखा था या उनके कंटेंट से तो कम से कम ऐसा ही प्रतीत हो रहा था। हालांकि इस बात को व्यक्तिगत तौर पर वे लगातार नकारते दिखे थे। इन कलाकारों की ओर से कई समसामयिक सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर तीखे कटाक्ष किए गए और जनता ने उसका भरपूर आनंद भी लिया। सोशल मीडिया पर इन्हें करोड़ों व्यूज मिले, कई वीडियो खूब वायरल हुए। कई बार सोशल मीडिया पर उनकी जमकर ट्रोलिंग भी हुई, उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom Of Speech) पर हमले के रूप में भी देखा गया।
नेहा सिंह राठौड़ का भोजपुरी गीत यूपी में का बा प्रचार अभियान के दौरान खासा वायरल हुआ। सीधे तौर पर वो सरकार पर निशाना साधती नजर आयीं थीं। इस गीत के जवाब में सत्ता पक्ष समर्थकों ने भी नेहा सिंह राठौड़ के अंदाज में ही उनपर जमकर निशाना साधा था। नौबत तो यहां तक आ गयी थी कि एक समय में नेहा सिंह राठौड़ को ये सफाई देनी पड़ी कि इस गीत के पीछे उनकी कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी। पर सुनने वाला कौन था उन्हें यूपी में का बा गाने के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त ट्रोलिंग झेलनी पड़ी।
राजीव निगम और संपत सरण जैसे कलाकार भी अपने कार्यक्रमों और सोशल मीडिया पर अपने वीडियोज में व्यंग्यात्मक ढंग से सत्ता पक्ष की पोल खोलते नजर नजर आए। उनके कई वीडियोज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। श्याम रंगीला और अभय कुमार जैसे हास्य कलाकारों ने भी कई मुदृदों पर अपने व्यंग्य से सरकार पर करारा कटाक्ष किया और इन सबको जनता ने खूब सराहा और अपना मनोरंजन किया।
पर चुनाव की समाप्ति के बाद आए एक्ज्टि पोल के नतीजों से अगर चुनाव परिणाम मेल खा जाते हैं तो सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भले ही आम लोगों इन कलाकारों के वीडियोज और कंटेट का खूब लुत्फ लिया पर वोटिंग के दौरान वे उनकी बातों से प्रभावित नहीं हुए। फिलहाल जो एक्जिट पोलों के संकेत आ रहे हैं उसमें तो यही प्रतीत होता है सोशल मीडिया और सांस्कृतिक स्तर पर सरकार के कामकाज पर जो टिप्पणी की गयी उससे लोगों ने मनोरंजन तो किया पर जरूरी नहीं कि वे उससे सहमत ही हों।
हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि चुनाव लोकतंत्र का महापर्व होता है और जनता सर्वेसर्वा के रूप में यह तय करती है कि आखिर सत्ता किसे सौंपनी है। फिलहाल जो भी अनुमान और रुझान हैं वे एक्जिट पोल या ओपिनियन पोल के हैं। पर असली रिजल्ट तो 10 मार्च को ही आएगा और उसके लिए हमें इंतजार करना होगा। हमें इस बात का भी इंतजार करना होगा कि अब ये कलाकार और हास्य व्यंग्यकार जनता के मनोरंजन के लिए कौन सी नई यूनिक कंटेंट लेकर आते हैं या उन पर भी चुनाव परिणामों का असर दिखता है?