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विमर्श

Lal Chandan: लाल चंदन पानी में डूबता या तैरता है? फिल्म पुष्पा में जो दिखा वो कितना सच? लाल सोना की तस्करी के पीछे ये है असली वजह

Janjwar Desk
3 May 2022 7:09 PM GMT
Lal Chandan: लाल चंदन पानी में डूबता या तैरता है? फिल्म पुष्पा में जो दिखा वो कितना सच? लाल सोना की तस्करी के पीछे ये है असली वजह
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Lal Chandan: लाल चंदन पानी में डूबता या तैरता है? फिल्म पुष्पा में जो दिखा वो कितना सच? लाल सोना की तस्करी के पीछे ये है असली वजह

Lal Chandan: चंदन से हम सब वाकिफ हैं। खासकर अगरबत्ती के रूप में चंदन की खूशबू हर घर में आ ही जाती है। हाल में ही साउथ की फिल्म पुष्पा में लाल चंदन की तस्करी ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया।

मोना सिंह की रिपोर्ट

Lal Chandan: चंदन से हम सब वाकिफ हैं। खासकर अगरबत्ती के रूप में चंदन की खूशबू हर घर में आ ही जाती है। हाल में ही साउथ की फिल्म पुष्पा में लाल चंदन की तस्करी ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया। चंदन दो प्रकार के होते हैं। सफेद और लाल चंदन। सफेद चंदन जिसका वैज्ञानिक नाम सेंटेलम एल्बम है। इसमें से बहुत ही भीनी मनमोहक सुगंध आती है। जबकि दूसरे यानी रक्त चंदन या लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम टेरोकार्पस सेंटेनस है। इसकी लकड़ी का रंग गहरा लाल होता है। इसमें सफेद चंदन की तरह सुगंध नहीं होती। यह दोनों अलग-अलग जाति के पेड़ हैं। सफेद चंदन का उपयोग इत्र बनाने और हवन पूजन के लिए होता है। जबकि लाल चंदन का इस्तेमाल महंगे फर्नीचर, सजावटी सामान, कॉस्मेटिक प्रॉडक्टस, प्राकृतिक रंग और शराब बनाने के लिए होता है। इसके अलावा भी लाल चंदन में वो खासियत है जिसकी वजह से इसे लाल सोना कहा जाता है। जिसके चलते दुनिया में बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। फिल्म पुष्पा में एक सीन है कि जैसे ही लाल चंदन के गोदाम पर छापेमारी की खबर एक्टर अल्लु अर्जुन यानी पुष्पा को मिलती है तो कई टन लकड़ियों को पानी में बहा देते हैं और फिर पुलिस को कुछ भी हाथ नहीं लगता है। लेकिन हकीकत में क्या लाल चंदन पानी में तैरता है या फिर डूब जाता है? उसे भी आगे जानेंगे।

दुनिया में केवल भारत में पाया जाता है लाल चंदन

लाल चंदन के पेड़ों को उगने और बढ़ने के लिए एक खास प्रकार की मिट्टी की जरूरत होती है। इस तरह की मिट्टी भारत में केवल दक्षिण भारत में ही पाई जाती है। लाल चंदन के वृक्ष मुख्य रूप से भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के चार जिलों चित्तूर, कंडप्पा, नेल्लोर और कुरनूल में पाए जाते हैं। आंध्र प्रदेश के ये चार जिले तमिलनाडु की सीमा से सटे हुए हैं। इस क्षेत्र में शेषाचलम की पहाड़ियां हैं। जो 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई हैं। इन्हीं पहाड़ियों के जंगलों में रक्त चंदन के वृक्ष पाए जाते हैं। शेषाचलम की पहाड़ियों में पाई जाने वाली मिट्टी का पीएच (Ph) 4.5 से 6.5 के बीच में होता है। असल में पीएच स्तर से ये जानते हैं कि वहां की मिट्टी अम्लीय है या फिर क्षारीय।

इस पीएच की मिट्टी में रक्त चंदन के वृक्ष बहुत अच्छी तरह से उगते और बढ़ते हैं। दुनिया भर में इस तरह की मिट्टी भारत में केवल दक्षिण भारत के इसी क्षेत्र में पाई जाती है। लाल चंदन के पेड़ लगभग 11 मीटर या 26 फुट ऊंचे होते हैं और इनके तने की मोटाई 50 से 150 सेंटीमीटर तक होती है। लाल चंदन को रक्त चंदन, शेन चंदन, सिवप्पू चंदन और रूबी लकड़ी के नाम से भी जाना जाता है। लाल चंदन की लकड़ी का रंग खून की तरह लाल होता है। लाल चंदन के पेड़ बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं। जैसे-जैसे लाल चंदन का पेड़ बढ़ता है,उसकी लकड़ियों का घनत्व बढ़ता जाता है। लाल चंदन के वृक्ष पूरी तरह से जब बड़े हो जाते हैं तब इसकी लकड़ी का घनत्व पानी से भी ज्यादा हो जाता है। अब जब लाल चंदन का घनत्व पानी के घनत्व से ज्यादा होता है इसलिए पानी में डालते ही ये तुरंत डूब जाता है। लाल सोना यानी लाल चंदन का पानी में डूब जाना भी उसके असली होने की एक बड़ी पहचान है। लेकिन फिल्म पुष्पा में पानी में तैराकर ही लाल चंदन की तस्करी का अनोखा तरीका दिखाया गया है।

महंगी कीमत और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समझौता

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रक्त यानी लाल चंदन की कीमत 90 हजार से डेढ़ लाख रुपये प्रति किलो है। इसका मतलब है कि 1 क्विंटल लाल चंदन की कीमत 9 से 15 करोड़ रुपये तक है। इतनी ज्यादा कीमत की वजह से इसे लाल सोना भी कहते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इतनी ज्यादा कीमत और डिमांड अधिक होने की वजह से लाल चंदन की तस्करी भी बहुत होती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत भारत पर लाल चंदन के पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी है। इसीलिए आंध्रप्रदेश के शेषाचलम के जंगलों में एंटी स्मगलिंग टास्क फोर्स को तैनात किया गया है। जो सेटेलाइट के जरिए जंगलों पर नजर रखती है।

बड़े पैमाने पर तस्करी और 11 साल की जेल

शेषाचलम की पहाड़ियां दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हैं। यहां प्राकृतिक रूप से उगने वाले लाल चंदन की तादाद अब तस्करी के चलते पहले से लगभग 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। पिछले 7 सालों में तस्करी की वजह से एसटीएफ ने लगभग 20 एनकाउंटर किए हैं और कई गिरफ्तारियां भी की जा चुकी हैं। इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, लाल चंदन से 1200% तक का फायदा होने की वजह से तस्कर हर साल लगभग 2000 टन लाल चंदन चेन्नई, मुंबई और तूतीकोरिन, कोलकाता बंदरगाह से नेपाल और तिब्बत के रास्ते चीन तक पहुंचाते हैं। लाल चंदन की तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर 11 साल की जेल की सजा का प्रावधान है।

चीन में है लाल चंदन की सबसे ज्यादा मांग

चीन, जापान, सिंगापुर, यूएसए और ऑस्ट्रेलिया में लाल चंदन की बहुत मांग है। लेकिन सबसे ज्यादा चीन में इसकी डिमांड है। चीन में रक्त चंदन की लकड़ियों का प्रयोग दवाइयों, फर्नीचर और पारंपरिक विशेष प्रकार के वाद्य यंत्रों के निर्माण में होता है। चीन में लाल चंदन की लोकप्रियता 14वीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी के मध्य राज करने वाले मिंग वंश के समय से शुरू हुई थी, जो अब तक बनी हुई है। मिंग वंश के शासकों को लाल चंदन से बने फर्नीचर और सजावटी वस्तुएं दीवानगी की हद तक पसंद थी। इसके लिए वे लाल चंदन को सभी संभावित जगहों से मुंह मांगी कीमत देकर मंगवाया करते थे। चीन में 'रेड सैंडलवुड म्यूजियम' भी है जहां लाल चंदन से बने फर्नीचर और वस्तु शिल्प संभाल कर रखे गए हैं। पिछले साल दिसंबर 2021 में आंध्र प्रदेश में लाल चंदन की नीलामी हुई थी। इस नीलामी की डिटेल आंध्र प्रदेश सरकार के वन विभाग की वेबसाइट में देखी जा सकती है। इस वेबसाइट के अनुसार, नीलामी में ऑस्ट्रेलिया, सयुक्तअरब अमीरात, चीन जापान और सिंगापुर के व्यापारियों ने बोली लगाई थी। इन चार सौ व्यापारियों में से लगभग डेढ़ सौ केवल चीनी व्यापारी थे। इस बात से भी यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन में रक्त चंदन की कितनी ज्यादा मांग है। ज्यादा मांग होने की वजह से रक्त चंदन की स्मगलिंग भी सबसे ज्यादा चीन में ही होती है। सड़क, जल, वायु मार्ग से यह स्मगलिंग की जाती है। कई बार पाउडर के रूप में भी रक्त चंदन की तस्करी होती है।

रक्त चंदन से बनाया जाता है शामीशेन वाद्य यंत्र

चीन के अलावा जापान में भी रक्त चंदन से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व है। जापान में शादी में एक पारंपरिक वाद्य यंत्र शामीशेन नव दंपति को भेंट किया जाता है। यह वाद्य यंत्र लाल चंदन की लकड़ी का बना होता है और इसे नवदंपति को उनके सफल और समृद्ध वैवाहिक जीवन के प्रतीक के रूप में भेंट किया जाता है। इसलिए जापान में भी लाल चंदन की लकड़ी की विशेष मांग है। शामीशेन वाद्य यंत्र का जिक्र 'पुष्पा' फिल्म में भी किया गया है। लाल चंदन की लकड़ी से बने फर्नीचर जापान में स्टेटस सिंबल की तरह माना जाता है। जापान में रक्त चंदन की लकड़ी को न्यूक्लियर रिएक्टर से होने वाले विकिरण को रोकने में सहायक भी माना जाता है। लाल चंदन का प्रयोग वास्तु दोष दूर करने कारोबार में तरक्की घर की शांति इत्यादि के लिए भी होता है।

लाल चंदन की लकड़ी के चमत्कारिक गुण

लाल चंदन की लकड़ी खून की तरह लाल होती है। और इसमें कोई सुगंध नहीं होती लेकिन इसकी इसके बहुत ही चमत्कारिक औषधीय गुण भी हैं। जैसे लाल चंदन का प्रयोग पाचन तंत्र की बीमारियों के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग डिहाइड्रेशन में और शरीर में तरल की मात्रा को संतुलित रखने में औषधि के रूप में किया जाता है। लाल चंदन का प्रयोग इत्र फेशियल क्रीम के साथ कामोत्तेजक औषधियों को बनाने में किया जाता है।

लाल चंदन का प्रयोग खून को शुद्ध करने थकान, प्यास और टॉक्सीसिटी, बुखार, उल्टी और त्वचा रोगों में किया जाता है। लाल चंदन की ठंडी तासीर की वजह से यह गर्मी के मौसम में विशेष लाभदायक होता है। लाल चंदन के शीतल शुष्क और कड़वे गुणों की वजह से इसका प्रयोग मानसिक विकारों के इलाज में किया जाता है। जली हुई स्किन के ऊपर लाल चंदन का लेप लगाने से घाव भरना तो शुरू हो ही जाता है। साथ ही जले हुए का दाग भी मिट जाता है। शरीर से दुर्गंध और साइनस की समस्याओं में भी यह बहुत उपयोगी है।

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