हिंडनबर्ग को कोसने वाले मोदी जी अपना तेलंगाना का भाषण कर लें याद, कहा था 'अडानी-अंबानी ने कांग्रेस को टैंपो भर-भरकर पैसा दिया है'
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
The Hindenburg Report is being criticized by a political party whose supreme leader was telling the public about truck loads of black money by Adani-Ambani. आजकल अडानी के समाचार चैनल पर तमाम बीजेपी नेता, सरकार भक्त अर्थशास्त्री और अडानी के वेतन पर पलने वाले पत्रकार लगातार दो दिनों तक हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के बहाने कभी राहुल गांधी को तो कभी भारत को अस्थिर करने वाली विदेशी ताकतों को कोसते रहे।
रविशंकर प्रसाद समेत तमाम बीजेपी नेताओं के वक्तव्यों से और बात करने के अंदाज से स्पष्ट था की इनमें से किसी ने भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को पढ़ना तो दूर देखा तक नहीं है। इनके अनुसार यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की साजिश है। पर, इन सारे बहस में भी कई ऐसी बातें की जाती हैं जो विपक्ष पर नहीं, बल्कि अडानी-भक्त सत्ता पर ही फिट बैठती है और बीजेपी नेताओं की मानसिक विकलांगता को उजागर कर देती हैं।
अडानी ने रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण बताया है, बीजेपी के नेता इसे साजिश बता रहे हैं, सेबी प्रमुख इसे चरित्र-हनन करार रही हैं। दूसरी तरफ, आप लोकसभा चुनावों के बीच तेलंगाना के करीमनगर में अडानी-अंबानी पर दिए गए वक्तव्य को भी याद कर लीजिये, फिर स्पष्ट हो जाएगा कि साजिश और षड्यंत्र कौन करता है और जनता के साथ ही दुनिया को बरगलाने का काम कौन कर रहा है?
प्रधानमंत्री मोदी ने 8 मई 2024 को दक्षिण भारत के तेलंगाना के करीमनगर में एक सार्वजनिक भाषण के दौरान कहा कि देश के दो सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को नकदी से भरी गाड़ियाँ भेज रहे हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आपने देखा होगा, पिछले पांच सालों से कांग्रेस के शहजादे हर सुबह उठते ही एक ही राग अलाप रहे हैं। जब से राफेल मामला बंद हुआ है, तब से वे इसी राग को अलाप रहे हैं। पांच साल से वे इसी राग को अलाप रहे हैं। पांच उद्योगपति, पांच उद्योगपति, पांच उद्योगपति...। फिर धीरे-धीरे उन्होंने पांच साल तक अंबानी-अडानी, अंबानी-अडानी, अंबानी-अडानी कहना शुरू कर दिया, लेकिन जब से चुनाव घोषित हुए, उन्होंने अंबानी-अडानी को गाली देना बंद कर दिया। आज तेलंगाना से, मैं उनसे पूछना चाहता हूं... शहजादा बताएं कि उन्होंने अंबानी-अडानी से कितना माल लिया है? उनके पास कितने बोरे कालाधन गया है? क्या उन्होंने कांग्रेस को नोटों से भरे टेंपो भेजे हैं? उन्होंने क्या सौदा किया है? आपने रातों-रात अंबानी-अडानी को गाली देना बंद कर दिया है। कुछ तो गड़बड़ है। पांच साल तक उन्होंने अंबानी-अडानी को गाली दी, और रातोंरात गाली देना बंद हो गया। इसका मतलब है कि आपके पास ट्रकों में भरकर लूट का माल आया है। आपको देश को जवाब देना होगा।”
बीजेपी के स्वघोषित प्रबुद्ध नेताओं को इस वक्तव्य में कहीं दुर्भावना नजर नहीं आई, चरित्र हनन नजर नहीं आया था। प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य राहुल गांधी या कांग्रेस पर हमला नहीं था, बल्कि सीधे-सीधे अडानी-अंबानी और देश की सारी जांच एजेंसियों पर करारा प्रहार था, यह प्रहार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से कई गुना अधिक भयानक था। इस पूरे वक्तव्य से प्रधानमंत्री जी की ओछी भाषा भी स्पष्ट होती है – माल, गाली देना, शहजादा जैसे शब्दों से भरा वक्तव्य। अडानी-अंबानी को काला धन का मालिक बताया गया, यही आरोप तो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में भी है।
भले ही बीजेपी नेताओं को यह वक्तव्य प्रवचन नजर आया हो, पर राहुल गांधी ने उस समय भी इसका करारा जवाब दिया था, और आज भी जेपीसी की मांग पर अडिग हैं। राहुल गांधी ने 8 मई 2024 को एक विडियो सन्देश के माध्यम से कहा था, “पहली बार आपने सार्वजनिक रूप से अडानी और अंबानी के बारे में बात की है। क्या यह आपका व्यक्तिगत अनुभव है कि आप जानते हैं कि वे ट्रकों में पैसे देते हैं? उन्हें तुरंत वित्तीय अपराध जांचकर्ताओं को भेजकर पूरी जांच करानी चाहिए।"
बीजेपी को निर्लज्जता से राहुल गांधी और विपक्ष को बिना किसी आधार के झूठा साबित करना है – और नेता यही कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार तेजी से लुढ़का था और छोटे निवेशकों को करोड़ों का घाटा हो गया। बीजेपी नेताओं के अनुसार दूसरी रिपोर्ट के बाद भी शेयर बाजार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लगाने का उद्देश्य था, पर ऐसा हुआ नहीं। जाहिर है, बीजेपी के नेताओं के अनुसार शेयर बाजार के लुढकने से छोटे निवेशकों को घाटा होता है और इसके जिम्मेदार हिंडनबर्ग हों या न हों, पर राहुल गांधी जरूर हैं।
पर, शेयर बाजार क्या केवल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से ही लुढ़कता है – ऐसा तो संभव नहीं है। याद कीजिये, इस बार लोकसभा के चुनावों के नतीजे आने के से ठीक दो दिन पहले भी शेयर बाजार तेजी से लुढका था और निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए थे। इस गिरावट के केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के बेबुनियाद वक्तव्य थे। इस बारे में जब राहुल गांधी ने बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर सामान्य निवेशकों के रुपये डूबने का आरोप लगाया था, तब आनन्-फानन में बीजेपी के स्वघोषित प्रबुद्ध नेता पीयूष गोयल ने बिना किसी तैयारी के एक प्रेस कांफ्रेंस की थी, जिसमें बोलते हुए कई बार लडखडाने के बाद भी उनका निष्कर्ष था कि शेयर बाजार के लुढ़कने से छोटे निवेशकों को नुकसान नहीं, बल्कि फायदा हुआ था।
क्या यह दुर्भावनापूर्ण नहीं है कि एक शेयर बाजार के लुढ़कने पर जो बीजेपी नेता मीडिया के सामने खड़े होकर निवेशकों के नुक्सान का विलाप करते हैं वही दूसरे समय ऐसी ही परिस्थिति में इसे देसी निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित करने की साजिश करते हैं। मीडिया से तो किसी विश्लेषण की उम्मीद नहीं है पर तमाम अर्थशास्त्री भी सत्ता के दास बन गए हैं।
हमारे देश को गुमराह करने या फिर शेयर बाजार को औंधे मुंह गिराने के लिए किसी हिंडनबर्ग या राहुल गांधी की जरूरत नहीं है, हमारी सत्ता को इसमें महारथ हासिल है। मेनस्ट्रीम मीडिया के पत्रकारों को और देश के तमाम अर्थशास्त्रियों को सत्ता के जन-विरोधी बयानों या नीतियों पर ताली बजाने की आदत पड़ चुकी है – देश केवल सत्ता से ही नहीं डूबता, पूंजीवाद से ही नहीं डूबता, बल्कि इसकी दुर्गति सबसे अधिक मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग के कारण ही होती है।
संदर्भ:
https://www.narendramodi.in/prime-minister-narendra-modi-addresses-public-meetings-in-karimnagar-warangal-telangana-582182