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विमर्श

PTI और UNI नहीं RSS संचालित हिन्दुस्थान समाचार को दिया प्रसार भारती ने रोजाना समाचार एकत्रित करने का काम

Janjwar Desk
2 March 2023 5:41 AM GMT
PTI और UNI नहीं RSS संचालित हिन्दुस्थान समाचार को दिया प्रसार भारती ने रोजाना समाचार एकत्रित करने का काम
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पीटीआई और यूएनआई नहीं RSS संचालित हिन्दुस्थान समाचार को मिला रोजाना समाचार एकत्रित करने का काम

प्रसार भारती द्वारा हिन्दुस्थान समाचार को कॉन्ट्रैक्ट देने का कुछ विपक्षी नेताओं ने विरोध किया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि यह समाचारों को भगवा रंग से रंगने और विरोध की हरेक आवाज दबाने का प्रयास है...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Prasar Bharti has made a contract for daily news feed with Hindustan Samachar, backed by RSS. मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी देश से डायनासोर जैसी विलुप्त हो चुकी है, अंतर बस इतना है कि डायनासोर के अवशेष या जीवाश्म आज तक मिल रहे हैं जबकि भारतीय मीडिया के अवशेष या जीवाश्म अब कभी नहीं मिलेंगे। हाल में ही ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन चलाने वाली प्रसार भर्ती ने रोजाना समाचार एकत्रित करने का काम आरएसएस द्वारा संचालित मीडिया कंपनी हिन्दुस्थान समाचार को दे दिया है। यह अनुबंध फिलहाल 2 वर्षों के लिए है।

वर्ष 1948 में गुलामी के बंधनों से भारतीयों की मानसिकता को मुक्त करने के नाम पर इसकी शुरुआत आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य शिवराम शंकर आप्टे ने किया था, और अब देशभर में इसके 600 से अधिक कार्यालय हैं। आप्टे विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापकों में से एक थे और वर्ष 1966 में इसके पहले जनरल सेक्रेटरी भी मनोनीत किये गए थे।

अक्टूबर 2020 तक समाचार जुटाने का काम मुख्य रूप से प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के पास था और कुछ काम यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया के पास भी था, पर इसके बाद इनके कॉन्ट्रैक्ट को वाणीज्यिक परेशानियों का हवाला देकर समाप्त कर दिया गया। सच यो यह है कि पीटीआई और यूएनआई के अपेक्षाकृत निष्पक्ष समाचारों से प्रसार भारती को समस्या थी और अनेक बार ऐसे समाचारों को राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाने वाला और देश की संप्रभुता से खिलवाड़ बताया जा चुका था।

मई-जून 2020 में लद्दाख के गलवान वैली में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद पीटीआई ने भारत में चीन के राजदूत और चीन में भारत के राजदूत से इस झड़प से सम्बंधित साक्षात्कार दिखाया था। यह कार्यक्रम प्रसार भारती और सत्ता में बैठे स्वघोषित विश्व-गुरुओं को नागवार गुजरा, और फिर इसके कुछ महीने बाद अक्टूबर 2020 में पीटीआई का कांटेक्ट रद्द कर दिया गया।

प्रसार भारती द्वारा हिन्दुस्थान समाचार को कॉन्ट्रैक्ट देने का कुछ विपक्षी नेताओं ने विरोध किया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि यह समाचारों को भगवा रंग से रंगने और विरोध की हरेक आवाज दबाने का प्रयास है। हालांकि प्रसार भर्ती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि हिन्दुस्थान समाचार ही अकेली न्यूज़ वायर सर्विस है, जो देश की अनेक भाषाओं में समाचार देती है। प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जहर सरकार ने कहा है कि इससे तो बेहतर यह होता कि प्रसार भारती का स्वायत्तता संस्था का दर्जा ख़त्म कर इसका बीजेपी के साथ विलय कर दिया जाता।

पिछले वर्ष प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में अमृतकाल और जी20 की अध्यक्षता के उत्सव में लीन भारत 150वें स्थान पर था। देश में मीडिया की स्थिति देखकर और सत्ता द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने की गति देखकर यही लगता है कि देश अंतिम पायदान तक पहुँचने के लिए व्याकुल और तत्पर है। "यूपी में का बा" सुनकर पुलिस और सत्ता को लगता है कि इससे सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ जाएगा और पुलिस नोटिस लिए हुए नेहा सिंह राठौर के घर पहुँच जाती है, तो दूसरी तरफ सभी मीडिया चैनलों पर दिनरात सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए ही प्रोग्राम चलाये जाते हैं, जिसमें एंकर बंदरों जैसा उछलते हैं, झूठ पर झूठ बोलते हैं, फेक विजुअल्स चलाते हैं।

बीजेपी प्रवक्ता के साथ ही तथाकथित धर्मगुरुओं की फ़ौज हिंसक भाषा का बेख़ौफ़ उपयोग करती है, हिंसा भड़काने की बातें करती है – तब सत्ता और पुलिस को यह प्रवचन नजर आता है। अब तो लगता है कि देश का सर्वोच्च न्यायालय भी ऐसे मामलों पर आँखें बंद कर लेता है। हाल में ही जनवरी के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं होना चाहिए, पर सत्ता और मीडिया अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से भी बड़े हो गए हैं।

कभी-कभी दिखावे के लिए कुछ नियामक संस्थाएं ऐसे कार्यक्रमों के बारे में आदेश जारी करती हैं, पर उनका पालन नहीं होता। ये आदेश ऐसे होते हैं कि जनता को यह महसूस हो कि आदेश दिया गया है, पर मीडिया संस्थान को यह न महसूस कि उसे कोई आदेश भी दिया गया है। हाल में ही सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जज जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाले न्यूज़ ब्राडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने तीन समाचार चैनलों के विरुद्ध आदेश पारित किया है। सभी मामले हिन्दू-मुस्ली भावनाएं भड़काने से सम्बंधित हैं।

जी न्यूज़ ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के दिन भारत में बढ़ती जनसंख्या पर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। इसमें बताया गया था कि देश में मुस्लिमों की संख्या विस्फोटक स्वरूप ले रही है और जल्दी ही वे अल्पसंख्यक नहीं रह जायेंगे। अपनी बात साबित करने के लिए एंकर ने प्यु रिसर्च की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि वर्ष 2050 तक देश में मुस्लिमों की आबादी 31 करोड़ तक पहुँच जायेगी।

एंकर ने इस रिपोर्ट के पूरे तही कार्यक्रम में प्रस्तुत ही नहीं किये, जबकि इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक हिंदुओं की आबादी 1.3 अरब पहुँचने की बात भी कही गयी है। न्यूज़ अथॉरिटी ने कह कि किसी भी समाचार को व्यापक सन्दर्भ में और सभी उपलब्ध आंकड़ों के साथ प्रस्तुत करना चाहिए और जी न्यूज़ को आदेश दिया कि वे अपने स्क्रीन पर प्रदर्शित करें कि 11 जुलाई को जनसंख्या पर दिखाया गया कार्यक्रम अपने ही दिशानिर्देशों और प्रसारण के मानकों का उल्लंघन था। सत्ता का दलाल जी न्यूज़ कभी ऐसा करेगा, लगता तो नहीं है।

टाइम्स नाउ ने 24 सितम्बर को एक समाचार में बताया था कि पुणे में प्रतिबंधित पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के सदस्यों ने एक सभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए, जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। न्यूज़ अथॉरिटी ने अपनी वेबसाइट से इस समाचार और विडियो को हटाने का निर्देश दिया है। इसी तरह न्यूज़18 इंडिया को हिन्दू-मुस्लिम भावना भड़काने वाले पांच कार्यक्रमों को वेबसाइट से हटाने के साथ ही 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

न्यूज़ ब्राडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी के आदेश किसी चुटकुले से अधिक नहीं हैं और दूसरे चैनलों को इसी तरह के भड़काऊ कार्यक्रमों की प्रेरणा देते हैं। समाज में जितनी असमानता और हिंसा ये न्यूज़ चैनल अपने कार्यक्रमों से फैला रहे हैं वह अतुलनीय है – उनका अजेंडा सत्ता के मुताबिक़ है और सजा कोई नहीं है। अब तो जज भी आर्डर-आर्डर नहीं करते।

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