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नेपाली PM ओली ने फिर उगला भारत के खिलाफ जहर, कहा लेकर रहेंगे कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख

Janjwar Desk
11 Jan 2021 4:17 AM GMT
नेपाली PM ओली ने फिर उगला भारत के खिलाफ जहर, कहा लेकर रहेंगे कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख
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ओली ने उच्च सदन में कहा कि 'सुगौली संधि के मुताबिक महाकाली नदी के पूर्वी हिस्से में स्थित कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाल का भाग हैं। हम भारत के साथ कूटनीतिक वार्ता के जरिए इन्हें वापस लेंगे...

जनज्वार। नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पिछले लंबे समय से चर्चा में हैं। भारत के साथ नेपाल के संबंधों में खटास का भी वे बड़ा कारण बन रहे हैं। लगातार भारत के कई क्षेत्रों पर अपना दावा करने का उनका सिलसिला थमा नहीं है।

माना जा रहा है कि चीन के बहकावे में आ चुके नेपाल की हरकतों से लगातार भारत के साथ रिश्ते में तल्खी देखी जा रही है। के. पी. ओली के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा के पास एक नो-मैन्स लैंड में 360 डिग्री सीसीटीवी कैमरे लगाने की शुरुआत करने के अलावा बिहार में एक विवादित जगह पर हेलीपैड बनाने का काम शुरू किया था।

इतना ही नेपाल सरकार ने बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के पास एक हेलीपैड का निर्माण और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पास सीसीटीवी कैमरों की स्थापना शुरू की। इससे पहले नेपाल ने उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को अपने नए राजनीतिक मानचित्र में शामिल करते हुए भारत के प्रति आक्रामक रुख अपनाया था। ओली सरकार ने नेपाली संसद में नक्शे को अपडेट करने के लिए नया नक्शा संशोधन विधेयक पारित किया था। नक्शे में भारत के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल के हिस्से के रूप में दर्शाया गया था।

चीन के चंगुल में फंसकर अब नेपाल एक बार फिर से कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को लेकर लगातार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। इन इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद भारत और नेपाल के बीच पहले से तनाव जारी है। यह बात अलग है कि सीमा गतिरोध के चलते प्रभावित हुए द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य किए जाने के प्रयास किये जा रहे हैं, मगर इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने फिर इन इलाकों का राग अलापा है। केपी शर्मा ओली ने रविवार 10 जनवरी को कहा कि वह कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को भारत से वापस लेकर रहेंगे।

गौरतलब है कि नेपाल के विदेश मंत्री का 14 जनवरी को भारत दौरा प्रस्तावित था और उससे ठीक पहले ओली ने नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए भारत से किसी भी कीमत पर कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को हासिल करने का शिगूफा छेड़ दिया है।

ओली ने उच्च सदन में कहा कि 'सुगौली संधि के मुताबिक महाकाली नदी के पूर्वी हिस्से में स्थित कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाल का भाग हैं। हम भारत के साथ कूटनीतिक वार्ता के जरिए इन्हें वापस लेंगे। हमारे विदेश मंत्री 14 जनवरी को भारत दौरे पर जाएंगे और इस दौरान उनकी वार्ता के केंद्र में नक्शे का मुद्दा रहेगा, जिसमें हमने उक्त तीनों क्षेत्रों को शामिल किया है।'

नेपाल की ओली सरकार ने पिछले साल भारत के कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हुए नया नक्शा जारी किया था, जिसका भारत ने कड़े शब्दों ने विरोध किया था। ताज्जुब तो यह है कि नया नक्शा पास करने के लिए नेपाल की ओली सरकार ने अपने संविधान में संशोधन भी किया था। नेपाल के इस बचकाने कदम के पीछे चीन का हाथ माना जाता रहा है, क्योंकि केपी शर्मा ओली चीन की जिनपिंग सरकार से बहुत ज्यादा प्रभावित है।

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