OPEC ने क्रूड ऑयल के उत्पादन में कटौती का लिया फैसला, भारत में आसमान छू सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
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नई दिल्ली। भारत ( India ) सहित दुनियाभर में जारी महंगाई के बीच तेल निर्यातक देशों का संगठन ( OPEC ) अपने हर दिन के क्रूड ऑयल ( Crude Oil Production ) के उत्पादन में 20 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला लिया है। ओपेक देशों के इस फैसले से दुनियाभर में तेजी से महंगाई ( Petrol diesel price hike ) का खतरा मंडरा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो भारत समेत दुनिया के कई देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है। इसका सीधा असर घरेलू सामान की कीमतों पर भी हो सकता है।
नवंबर से लागू होगा कटौती का फैसला
दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि ओपेक देशों ( OPEC Countries ) को तेल उत्पादन में कटौती करने के लिए विवश होना पड़ा है। तेल की मांग घटने के कारण ही ओपेक देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ा है और उन्होंने इसकी भरपाई के लिए तेल का उत्पादन और कम करने का फैसला लिया है। उत्पादन में कटौती का यह फैसला नवंबर से लागू होगा।
भारत ओपेक देशों से मंगाता है 70% तेल
तेल उत्पादन में कटौती के पीछे कारण चाहे जो भी हों, भारत ( India ) अपनी जरूरत का 70 फीसदी कच्चा तेल ओपेक देशों से ही मंगाता है। यह स्थिति उस समय है जब भारत ने ओपेक देशों से तेल आयात में कमी की है। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ना तय है।
बाइडेन ले सकते हैं कि OPEC देशों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला
दूसरी तरफ ओपेक और सहयोगियों के इस फैसले से अमेरिका ( America ) में खलबली मची है। व्हाइट हाउस ने कहा कि यह एक अदूरदर्शी निर्णय है। इसके उलट यूएस लगातार खाड़ी देशों से बात कर इस फैसले से पीछे हटने की गुहार लगाता रहा है। अमेरिका में नवंबर में मिड टर्म इलेक्शन होने हैं जिसे देखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन किसी तरह ईंधन की कीमतों को काबू में रखने का प्रयास कर रहे हैं। बाइडेन प्रशासन तेल की कीमतों में उछाल की आशंका से काफी परेशान है।
ऐसे में अगर ओपेक बड़े स्तर पर उत्पादन में कटौती करता है तो उसे अमेरिका के विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। ब्लूमबर्ग की एक खबर के मुताबिक अमेरिका राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने एनर्जी डिपार्टमेंट से यह पता लगाने को कहा है कि क्या पेट्रोल-डीजल व अन्य रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडक्टस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से देश में कीमतें काबू में रहेंगी। फिर बाइडेन प्रशासन को लग रहा है कि ओपेक और उनके सहयोगी देश रूस के दम पर ऐसा कर रहे हैं।