मानवाधिकारों को पैरों तले रौंदता सऊदी अरब बड़े खेल आयोजनों का सहारा ले छवि सुधारने की कोशिश में
वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। सऊदी अरब पर मानवाधिकार हनन के लगातार गंभीर आरोप लगते रहे हैं, पर यह देश अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए बड़े खेल आयोजनों का सहारा ले रहा है। ग्रांट लिबर्टी नामक एक संस्था ने इसका बारीकी से अध्ययन किया है, और सऊदी अरब की इस हरकत को "स्पोएर्ट्स वाशिंग" का नाम दिया है।
ग्रांट लिबर्टी के अनुसार सऊदी अरब अब तक इस योजना के तहत 1.5 अरब डॉलर से अधिक खर्च कर चुका है और इसमें शतरंज, गोल्फ, टेनिस इत्यादि के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन शामिल हैं। दुनिया की सबसे बड़ी घुडदौड़ का आयोजन सऊदी कप के नाम से किया जाता है, जिसमें 6 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च किये गए, और इसमें इनाम की राशि 2 करोड़ डॉलर से अधिक की थी। अप्रैल 2021 में आयोजित की जाने वाली फार्मूला वन रेस का भी एक चरण सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित किया जाएगा। फार्मूला वन के आयोजकों से सऊदी अरब ने दस वर्षों का करार 65 करोड़ डॉलर में किया है।
सऊदी अरब अब खेलों के माध्यम से पर्यटन और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों को बढ़ावा दे रहा है, जिससे मानवाधिकार हनन पर दुनिया का ध्यान न जाए। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कैद करना, वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खाशोगी की ह्त्या और मानवाधिकार हनन के दूसरे आरोप तो लग ही रहे थे, अब तो खाशोगी की हत्या की जांच कर रहे संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ता को हत्या की धमकी के आरोप भी साबित हो रहे हैं।
वर्ष 2018 में जमाल खाशोगी की हत्या के बाद से ही यह मामला शांत नहीं हुआ है, और हरेक जांच का निष्कर्ष सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का नाम ही मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर सामने आया। दूसरी तरफ वर्ष 2016 में क्राउन प्रिंस सलमान ने बड़ी तामझाम से सऊदी अरब के लिए विज़न 2030 जारी किया था। इसमें मानवाधिकार और मुक्त अर्थव्यवस्था से सम्बंधित तमाम दावे थे, पर इसके जारी करने के बाद से मानवाधिकार हनन का पैमाना पहले से भी बड़ा हो गया।
सऊदी अरब ने यमन के गृहयुद्ध को भी हिंसक बनाया, जहां लगभग एक लाख व्यक्तियों की मौत हो गयी, जिसमें से 12000 से अधिक सामान्य नागरिक थे। इन मौतों में से दो-तिहाई से अधिक मौतें सऊदी अरब की वायु सेना की गोलीबारी से दर्ज की गईं हैं।
हाल में ही यह खुलासा किया गया है कि जमाल खशोगी की हत्या की जांच करने वाली संयुक्त राष्ट्र की जांचकर्ता अगनेस कल्मार्ड को "देख लेने" की धमकी दो बार जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के हाई कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स के माध्यम से दी गयी थी। इसके बाद भी अगनेस कल्मार्ड ने जांच पूरी की और जून 2019 में प्रस्तुत अपनी जांच रिपोर्ट में क्राउन प्रिंस सलमान को खशोगी की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता बताया।
इसके बाद जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय पहुंचकर प्रिंस सलमान के करीबी अवाद अल अवाद ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को जांचकर्ता अगनेस कल्मार्ड को "देख लेने" की धमकी जनवरी 2020 में दो बार दी। इसका खुलासा अब संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी भी कर चुके हैं।
सऊदी अरब ने अब उपहार के तौर पर अवाद अल अवाद को सऊदी अरब के मानवाधिकार कमीशन का मुखिया नियुक्त कर दिया है। अवाद अल अवाद क्राउन प्रिंस सलमान के चहेते अधिकारी हैं, और जर्मनी में सऊदी अरब के राजदूत भी रह चुके हैं। जांचकर्ता अगनेस कल्मार्ड फ्रांस की नागरिक हैं और संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2016 से मानवाधिकार हनन से सम्बंधित वरिष्ठ जांचकर्ता हैं। हाल में ही उनका चयन एमनेस्टी इन्टरनेशनल के सेक्रेटरी जनरल के पद के लिए किया गया है।
इनकी जांच से यह भी स्पष्ट होता है कि अमेज़न के मुखिया जेफ़ बेजोस के मोबाइल डाटा की हैकिंग में भी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान का सीधा हाथ था। सऊदी अरब में बहुत सारी महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता भी लम्बे समय से जेलों में बंद हैं।
ग्रांट लिबर्टी की मुखिया लूसी रे के अनुसार सऊदी अरब में मानवाधिकार हनन का पैमाना बहुत विशाल है, इसे आप औद्योगिक पैमाना भी कह सकते हैं। मानवाधिकार हनन से सम्बंधित करतूतों को ढकने के लिए अब खेलों का सहारा लिया जा रहा है| सऊदी अरब ने स्पेनिश फुटबाल एसोसिएशन के साथ तीन वर्षों का करार 14.5 करोड़ डॉलर में किया है। सऊदी इन्टरनेशनल गोल्फ टूर्नामेंट में प्रसिद्द विदेशी खिलाड़ियों के प्रतिभागी बनाने पर हरेक को 1.5 करोड़ डॉलर देने का प्रावधान है।
सऊदी अरब मास्टर्स स्नूकर टूर्नामेंट के लिए 3.3 करोड़ डॉलर का प्रावधान है। कुछ मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं के लिए 10 करोड़ डॉलर दिए गए हैं। वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट के साथ अगले 10 वर्षों का करार 50 करोड़ डॉलर में किया गया है।
सऊदी अरब दुनिया का अकेला देश नहीं है जो मानवाधिकार हनन के सन्दर्भ में काला अध्याय लिखने के बाद भी दुनिया के सामने अपनी छवि सुधारने का प्रयास कर रहा है। नरसंहार करती म्यांमार की सेना भी पीआर एजेंसी के माध्यम से अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए प्रयासरत हैं। आज का दौर सत्य का नहीं है, बल्कि झूठ को सजाकर पेश करने का है, और भारत, सऊदी अरब, म्यांमार, रूस जैसे देशों की ऐसी प्रस्तुति में महारथ हासिल है।