Ram Mandir Fund: राम मंदिर के लिए चंदा नहीं देने पर प्रधानाध्यापिका सस्पेंड, दिल्ली हाईकोर्ट ने स्कूल को जारी किया नोटिस

Ram Mandir Fund: स्कूल कर्मचारियों को छात्रों या उनके अभिभावक से दान की राशि जमा करने का फरमान दिया गया है। और तो और स्कूल कर्मीयों को दुकानदारों और आम जनता से गली-मुहल्ले में घूम घूम कर चंदा बटोरने का आदेश दिया गया...

Update: 2021-10-31 07:38 GMT

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Ram Mandir Fund: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर (Ram Mandir Fund)का चंदा इकट्ठा न कर पाने के कारण दिल्ली के सरस्वती शिशु मंदिर की प्रधानाध्यापिका को स्कूल से निलंबित कर दिया गया। पीड़ित प्रधानाध्यापिका ने मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसमें कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। स्कूल की प्रधानाध्यापिका हेमा बजाज का आरोप है कि अयोध्या (Ayodhya Ram Mandir) में राम मंदिर निर्माण के लिए दान की राशि जमा नहीं करने पर स्कूल प्रशासन द्वारा उसे निलंबित कर दिया गया। महिला ने यह भी दावा किया कि उसकी सैलरी में भी कम भुगतान किया गया था।

मंदिर निर्माण में शिक्षकों को 1 लाख देने का फरमान

बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आरएसएस (RSS) समर्थित संस्था समर्थ शिक्षा समिति द्वारा प्रबंधित सभी स्कूलों के कर्मचारियों को फरवरी 2021 में सोसायटी द्वारा 70,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये एकत्रित करने या योगदान करने का लक्ष्य दिया गया था। स्कूल कर्मचारियों को छात्रों या उनके अभिभावक से दान की राशि जमा करने का फरमान सुना दिया गया। और तो और स्कूल कर्मचारियों को सड़क पर घूम घूम कर दुकानदारों और आम जनता से चंदा जमा करने का आदेश दिया गया।

मंदिर निर्माण के योगदान की राशि जमा करने में असमर्थ प्रधानाध्यापिका ने अपने निलंबन को खत्म करने और पूरे वेतन के साथ अपनी नौकरी बहाल करने के निर्देश की मांग करते हुए हाई कोर्ट में आरोप लगाया कि मंदिर परियोजना के लिए पैसे दान करने में सक्षम नहीं होने के कारण उसे प्रबंधन द्वारा दंडित किया जा रहा है। दान की राशि जमा न कर पाने को लेकर याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)से कहा कि वह किसी भी कक्षा की क्लास टीचर नहीं है और परिवार की हालत इतनी ठीक नहीं है कि वह अपने स्तर से योगदान कर पाए। इस कारण उसे दान की राशि जुटाने में मुश्किल हुई। महिला का दावा है कि पिछले साल अगस्त में उसे बिना किसी कारण के अचानक स्कूल की भलस्वा शाखा में ट्रांसफर कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया कि स्कूल से उसके सभी डायरी, डॉक्यूमेंट और अन्य सामान लेने का समय तक नहीं दिया गया।

'समर्पण' के नाम पर प्रति शिक्षक हर साल 15 हजार रुपये

महिला याचिकाकर्ता का आरोप है कि, "मंदिर के नाम पर हर साल 'समर्पण' राशि के तौर पर 5,000 रुपये लिए जाते रहे हैं। हाल ही में इस राशि को बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया। इस राशि के अतिरिक्त अब स्कूल के प्रधानाध्यापकों और कर्मचारियों को 70 हजार से 1 लाख रुपये की बड़ी रकम जुटाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।" याचिकाकर्ता का कहना है कि," उसने 3 मार्च 2021 को राम मंदिर के लिए 2,100 रुपये का दान दिया और समर्पण के नाम पर किसी भी राशि का भुगतान करने से इंकार कर दिया था।"

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील खगेश झा ने कहा कि हेमा बजाज द्वारा राम मंदिर के लिए योगदान से छूट देने के अनुरोध को स्कूल प्रशासन ने मना कर दिया। इसके बाद प्रशासन उन्हें परेशान करने लगा और उन्हें अपने पद से निलंबित कर दिया। उन्होंने इसकी शिकायत दिल्ली के उपमुख्यमंत्री से की। उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने प्रशासन के खिलाफ जांच शुरू की है। अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि शिक्षक का पति 2016 में एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया था, जिसमें उसकी एक आंख की रोशनी चली गई। महिला के पति को कई फ्रैक्चर भी आए और हादसे के बाद उसकी दिमागी हालत भी ठीक नहीं रहती। ऐसे में उनके इलाज के लिए परिवार पर पहले से ही भारी आर्थिक बोझ है। अधिवक्ता ने हाई कोर्ट मे कहा कि खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद आरएसएस समर्थित संस्था समर्थ शिक्षा समिति द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में शिक्षकों को दान की राशि देने के लिए बाधित किया जा रहा है।

याचिका में दावा किया गया है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा पीड़ित शिक्षिका पर बच्चों के अभिभावकों द्वारा जातिवादी टिप्पणी करने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि 20 साल के कार्य अनुभव के बावजूद प्रधानाध्यापिका पर "असमर्थ" होने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तारीक तय करते हुए नोटिस जारी किया है।



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