अंधविश्वास : दिवाली की रात संतान की चाह में पागल मिर्गी के मरीज चाचा ने ले ली 10 वर्षीय भतीजे की बलि

Update: 2019-10-29 10:51 GMT

निर्ममता से मासूम भतीजे की हत्या करने वाले शिवनंदन ने पुलिस के सामने स्वीकारा कि तांत्रिक विभाष मंडल की बातों का मुझे और मेरी पत्नी को यकीन हो गया और हमने अपने सगे भतीजे की बलि दे दी, ताकि हमें संतान सुख मिल सके...

खुशबू सिंह

जनज्वार। अंधविश्वास में आकर इंसान कौन कौन से कुकर्म कर जाता है, शायद इसका अहसास उसे खुद भी नहीं होता। नहीं तो ऐसा क्यों होता कि कोई इंसान संतानसुख पाने के लिए अपने भाई का वंश खत्म कर दे। आये दिन अंधविश्वास, भूत-पिशाच, जादू-टोने के नाम पर तमाम हत्याओं और कुकृत्यों की खबरें आती रहती हैं।

सा ही एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है बिहार के भागलपुर में, जहां संतान की चाहत में तांत्रिक के कहने पर एक व्यक्ति ने अपने सगे भतीजे की बलि दे दी।

जानकारी के मुताबिक भागलपुर के पीरपैंती के विनोबा टोला के रहने वाले शिवनंदन रविदास की कोई संतान नहीं थी। संतान सुख के लिए उसने दो शादियां कीं, मगर दोनों से कोई बच्चा नहीं हुआ। उसे मिर्गी की भी शिकायत थी। अपनी नपुंसकता का इलाज डॉक्टर से कराने के बजाय बच्चा पैदा करने के लिए शिवनंदन ने तांत्रिक की शरण ली। तांत्रिक विभाष मंडल ने ही उसे उकसाया कि अगर दीपावली की रात वह किसी बच्चे की बलि देगा तो उसे संतान सुख मिलेगा। तांत्रिक के कहे अनुसार उसने दीवाली यानी 27 अक्टूबर की रात अपने भाई सिकंदर दास का ही वंश खत्म कर दिया।

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27 अक्तूबर 2019 को जब पूरा देश दीवाली मना रहा था, अपने घरों को दियों से रौशन कर रहा था, उसी दिन किसी के घऱ का चिराग बुझ गया। उसके पड़ोसी कहते हैं, शादी से लेकर अब तक शिवनंदन की कोई संतान नहीं हुई, जिसके कारण वह हर वक्त हताश, परेशान रहता था। संतान का सुख पाने के लिए उसने दूसरी शादी भी की, लेकिन दूसरी पत्नी को भी जब कोई बच्चा नहीं हुआ तो शिवनंदन तांत्रिक विभाष मंडल के पास गया। विभाष मंडल ने शिवनंदन को सलाह दी थी कि अगर दीवाली की रात को अपने ही घर के किसी बच्चे की बलि दे दोगे तो तुम्हें संतान का सुख मिलेगा।

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संतान सुख की चाह मकं शिवनंदन इतना पगलाया हुआ था कि वह दीवाली की शाम केा अपने सगे भाई सिकंदर रविदास के छोटे बेटे कन्हैया को पटाखे दिलाने के बहाने बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और गांव के पास बांसवाड़ी में निर्मम तरीके से तांत्रिक के कहे अनुसार उस मासूम के गले को धड़ से अलग कर दिया।

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देर रात तक जब कन्हैया घर नहीं लौटा तो कन्हैया की मां मीना देवी ने उसे खोजने की बहुत कोशिश की, मगर बच्चे का कोई पता नहीं चल पा रहा था। दीवाली की अगली सुबह 28 अक्टूबर को जब गांव के लोग शौच के लिए बांस की झाड़ियों में गये तो वहां तीसरी कक्षा के छात्र 10 साल के कन्हैया की सर कटी लाश पड़ी थी। कन्हैया की लाश के बगल में एक कद्दू भी काटकर फेंका गया था जिस पर जादू-टोना किया गया था।

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ग्रामीणों ने शोर मचाया तो कन्हैया की मां मीना देवी घटनास्थल पर पहुंची और बेटे का क्षत—विक्षत हालम में मृत देखकर पछाड़ खाकर बेहोश हो गयी। ग्रामीणों ने किसी तरह मीना को संभाला और फौरन पीरपैंती गांव के विनोबा टोले पुलिस को खबर की। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भागलपुर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल भेज दिया।

स मामले की पुष्टि करते हुए पुलिम अधीक्षक आशीष भारतीय कहते हैं कि मृतक की माता मीना देवी के बयान के अनुसार तांत्रिक विभाष मंडल को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत भेज दिया गया है और शिवनंदन रविदास से पूछताछ की जा रही है।

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पुलिम अधीक्षक आशीष भारती ने बताया, 'भतीजे की निर्ममता से हत्या करने वाले शिवनंदन रविदास ने पुलिसिया पूछताछ में बताया कि गांव में दिवाली की रात ही मां काली की प्रतिमा की स्थापना होती है। तांत्रिक विभाष ने उसे बताया कि मां काली को आज की रात अपने किसी सगे की बलि देने से संतान के तौर पर पुत्र प्राप्ति होती है। तांत्रिक विभाष ने शिवनंदन को गारंटी दी थी किअगर वो अपने किसी रिश्तेदार के बच्चे की बलि दे तो उसे जरूर संतान की प्राप्ति होगी। शिवनंदन ने पुलिस के सामने स्वीकारा कि तांत्रिक विभाष मंडल की बातों का मुझे और मेरी पत्नी को यकीन हो गया और हमने अपने सगे भतीजे की बलि दे दी, ताकि हमें संतान सुख मिल सके।'

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स मसले पर सामाजिक मसलों पर काम करने वाली संगीता तिवारी कहती हैं, 'ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास के जाल में हमारा समाज फंसा हुआ है। इस जाल को फैलाने में लगे समाज के तथाकथित तांत्रिक और पुजारी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए अशिक्षित और गरीब लोगों को ऐसे कुकृत्य के लिए उकसाते हैं। ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्ती से पेश आने की जरूरत है।

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स घटना पर लेखक और अन्धविश्वास विरोधी मंच के संयोजक प्रेमपाल शर्मा कहते हैं, 'इस तरह की घटनायें बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पढ़े—लिखे, 21वीं सदी में लोग इस तरह के अंधविश्वास के जाल में फंस जाते हैं और अपनों के ही खून के प्यासे हो जाते हैं। अंधविश्वास को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में कड़े कानून हैं, तो हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार में क्यों नहीं। अंधविश्वास की इस तरह की नृशंस घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए और लोगों को भी इसके समूल नाश और जागरुकता फैलाने के लिए आगे आना चाहिए। तभी ऐसी घटनायें समाज से कम या खत्म होंगी।'

गौरतलब है कि जिस बच्चे कन्हैया की बलि दी गयी है उसकी मां मीना देवी गांव में रहकर अपने बच्चों कन्हैया और अपने बड़े बेटे चंदन का पालन-पोषण करती हैं, वहीं मीना के पति सिकंदर रविदास पंजाब के पटियाला में मजदूरी करते हैं।

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