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झारखंड में जादू-टोना के नाम पर चार बुजुर्गों की हत्या
जिस देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और तमाम तरह के संत्री पोंगापंथ और पाखंड फैलाने में लगे हों, उस देश के गांव—देहातों में अगर यह अमानवीय घटनायें हो रही हैं तो अधिकारी, अफसरान ऐसे मामलों को लें तो कैसे....
जनज्वार। भारत में अंधविश्वास के नाम पर की जाने वाली हत्याओं की तरफ गौर किया जाये तो ज्यादातर घटनायें पिछड़ा माने जाने वाले राज्य झारखंड से सामने आती हैं। महिलाओं को डायन-बिसही के नाम पर मौत के घाट उतार देने और उनके साथ अमानवीयता का चरम छूने में भी यही राज्य पहले नंबर पर है।
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थोड़े दिन पहले झारखंड में डायन के नाम पर मां-बेटी को कुल्हाड़ी से काट देने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब इसी तरह की एक और घटना सामने आयी है। जानकारी के मुताबिक गुमला जिले के सिसई थाना क्षेत्र के नगर सिसकारी गांव में तीन परिवारों के चार बुजुर्गों की डायन-बिसही के आरोप में लाठी—डंटा से पीट—पीटकर नृशंसता से हत्या कर दी गयी। अंधविश्वास के नाम पर मॉब लिंचिंग का शिकार हुए लोगों में 65 साल के चापा भगत, उनकी 62 वर्षीय पत्नी पीरी देवी, 65 वर्षीय सुना उरांव और 60 साल की फगनी देवी शामिल हैं।
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प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इन चारों की हत्या ग्रामीणों ने इसलिए कर दी क्योंकि उनका कहना था कि लोग झाड़-फूंक करते थे। डायन-बिसही के नाम पर आज 21 जुलाई को तड़के तकरीबन 3 बजे ग्रामीण इन चारों को घरों से निकालकर गांव के अखाड़ा, आंगनबाड़ी केंद्र के पास ले गये और उनकी हत्या कर दी। इन चारों की डायन-बिसही के नाम पर हुई लिंचिंग के बाद इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता दामोदर सिंह ने सिसई थाना पुलिस को सुबह पांच बजे मामले से अवगत कराया।
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हालांकि अभी तक हत्या के एक भी आरोपी का नाम सामने नहीं आया है, क्योंकि मृतकों के घर वालों का भी कहना है कि जब ये लोग जबरन इन लोगों को घर से निकालकर ले गये तब उनके मुंह ढके हुए थे।
जानकारी के मुताबिक डायन—बिसही के नाम पर इन चारों की हत्या करने से पहले हत्यारों ने पंचायत भी लगाई थी। पंचायत में ही इन चारों को जान से मार डालने का निर्णय लिया गया, क्योंकि ग्रामीणों का कहना था कि ये चारों जादू-टोने का काम करते हैं। सूचना यह भी आ रही है कि इस जघन्य घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी अपने घर छोड़कर भाग गये हैं, आरोपियों के घरों पर ताले लटके हुए हैं।
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मीडिया में आई खबर के मुताबिक थाना प्रभारी सुधीर प्रसाद साहू अपनी टीम के साथ सुबह छह बजे घटनास्थल पर पहुंचे। इस नृशंस हत्याकांड की जानकारी के बाद घटनास्थल पर एसपी अंजनी कुमार झा, बसिया एसडीपीओ दीपक कुमार, गुमला एसडीपीओ नागेश्वर प्रसाद सिंह, पुलिस निरीक्षक बसिया बैजू उरांव, बसिया थाना प्रभारी भी पहुंचे और ग्रामीणों और परिजनों से मामले की पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक इस मामले में पुलिस कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
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शुरुआती जानकारी के मुताबिक चापा भगत और पीरी देवी झाड़-फूंक के अलावा आलू—प्याज बेचने का काम करते थे। इस बुजुर्ग दंपती के तीनों बेटे बुद्धदेव उरांव, सोमरा उरांव और फेकु उरांव हैं, मगर ये लोग बेटों से अलग रहते थे। वहीं जादू-टोने के नाम पर मारा गया बुजुर्ग सुना उरांव भी झाड़-फूंक के साथ खेती बाड़ी का काम करता था। वहीं चौथी मृतक फगनी देवी भी झाड़-फूंक का काम करती थी। 4 बेटों की मां फगनी देवी भी अपने बच्चों से अलग रहती थी।
जानकारी के मुताबिक इन चारों बुजुर्गों को ग्रामीणों ने पहले बारी—बारी से जबरन घर से निकाला। मारे गये बुजुर्गों के परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनके मां—बाप की हत्या करने वाले लोगों में 9—10 लोग शामिल थे। इन सभी ने मुंह ढककर इन चार बुजुर्गों को मौत के घाट उतार दिया।
शुरुआती छानबीन के बाद पुलिस ने बताया कि हम लोग घर-घर जाकर इस जघन्य हत्याकांड के बारे में पूछताछ कर रहे हैं, मगर कोई भी आरोपियों के बारे में कुछ नहीं बता रहा। ग्रामीणों का कहना है कि मारे गये चारों बुजुर्ग झाड-फूंक का काम करते थे। यह हत्या अंधविश्वास के नाम पर हुई है। पुलिस गांव में कैंप कर रही है। जल्दी ही हत्यारों को पकड़ लिया जायेगा।