एनआरसी और नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ खड़ी हुई भोपाल की जनता, बोले संविधान की सेक्युलर आत्मा पर हो रहा हमला

Update: 2019-12-11 06:53 GMT

भोपाल में लोकतांत्रिक अधिकार मंच का एनआरसी और नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन, लोगों ने कहा नागरिक संशोधन विधेयक आरएसएस, मोदी-शाह के हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान के एंजेडा की ओर एक और कदम है..

भोपाल से रोहित शिवहरे की रिपोर्ट

जनज्वार। मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच के बैनर तले विभिन्न संगठनों और भोपाल के लोगों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के खिलाफ भोपाल में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इकबाल मैदान में मानव श्रृंखला बनाकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया।

सामाजिक कार्यकर्ता आशा मिश्रा कहती हैं, 'सरकार की मंशा सही नहीं है। वह धार्मिक आधार पर देश बनाना चाह रहे हैं जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। एनआरसी और नागरिक संशोधन बिल 2019 संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं, यह संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ जैसा है।

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ध्यप्रदेश लोकअधिकार मंच के सदस्य विजय कुमार कहते हैं, 'हम लोग एनआरसी और नागरिक संशोधन का विधेयक का विरोध कर रहे हैं। संविधान में यह बात साफ लिखी है कि भारतीय राज्य किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, क्षेत्र, संप्रदाय के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा। सभी के लिए जो नियम कानून बनाएगा, वह समान होगा। जबकि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 भूटान, नेपाल, श्रीलंका को शामिल नहीं किया जा रहा है, विधेयक में केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को शामिल किया जा रहा है। क्या श्रीलंका से आने वाले तमिल यहां पर नहीं हैं? क्या म्यांमार से आने वाले लोग नहीं हैं। नेपाल से भी बड़ी आबादी यहां पर है।'

Full View कुमार आगे कहते हैं, 'एक तरह से यह सांप्रदायिक कानून बनाने का प्रयास है। यह भारत की सेक्युलर आत्मा पर सीधा हमला है क्योंकि धर्म कभी भी भारत में नागरिकता का आधार नहीं रहा। यह मोदी-शाह और आरएसएस का हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान का जो एजेंडा है उसकी ओर एक कदम है। हम इसका विरोध करते हैं। हम भारत की विविधता, बहुलता ही इसकी पहचान को बचाने के पक्ष में खड़े हैं। हम एनआरसी और नागरिक संशोधन विधेयक देशभर में लागू नहीं करने देंगे।'

भोपाल के नासिर खान कहते हैं, 'इस विधेयक में सरकार केवल अपने तीन पड़ोसी देशों को ही क्यों रख रही हैै। श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार क्यों नहीं रख रहे हैं। किन संवैधानिक आधारों पर यह विधेयक पेश किया जा रहा है। यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का सीधा उल्लंघन करता है।

एनआरसी क्या है

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में भारत की नागरिकता को सूचीबद्ध किया गया है। असम भारत का पहला राज्य बन गया है जहां 1951 के बाद राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को अपडेट किया जा रहा है जिसके अनुसार 25 मार्च 1971के पहले बसे लोगों को ही असम का नागरिक माना जाएगा। इसके खिलाफ पूर्वोत्तर के राज्यों और देशभर में विरोध हो रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है किसकी वजह से लगभग 19 लाख लोगो की नागरिकता का संकट बना हुआ है।

Full View नागरिक संशोधन विधेयक 2019 को केंद्रीय गृहमंत्रीअमित शाह के द्वारा लोकसभा में पेश किया गया। लोकसभा में नागरिक संशोधन पर 311 मतों के साथ पास हो गया, इसके विपक्ष में 80 वोट पड़े। नागरिकता संशोधन विधेयक पर संसद में बोलते हुए एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह कानून हिटलर के कानून से भी बदतर है।

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क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019

स विधेयक में अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, बौद्ध और सिख) के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके। वर्तमान कानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है।

र्तमान कानून के अनुसार भारत में अवैध तरीक़े से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है।

 

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