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बिहार चुनाव 2020

बिहार चुनाव: 2500 वोटर वाली ब्रह्मपुर विधानसभा के केशोपुर गांव की जनता क्यों बोली नहीं जायेंगे वोट देने ?

Janjwar Desk
10 Oct 2020 3:14 PM GMT
बिहार चुनाव: 2500 वोटर वाली ब्रह्मपुर विधानसभा के केशोपुर गांव की जनता क्यों बोली नहीं जायेंगे वोट देने ?
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पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव 2020 के लिए चंद दिन ही शेष हैं, ऐसे में जनज्वार की टीम भी अपनी चुनावी यात्रा पर निकल पड़ी है। हमारी टीम बीते कुछ दिनों से बिहार की लगातार ग्राउंड रिपोर्ट आपके सामने रख रही है। साथ ही यह भी जानने की कोशिश कर रही है बीते पांच सालों में बिहार कितना बदला है, सरकार के पास जनता को बताने के लिए क्या उपलब्धिया हैं और जनता के पास कौन सी समस्याओं अब भी बड़ी हैं। इसी कड़ी में शनिवार हमारी टीम ने ब्रह्मपुर विधानसभा के मतदाताओं का हाल जानने की कोशिश की। इस दौरान में हम पहुंचे ब्रह्मपुर विधानसभा के केशोपुर गांव। इस गांव में ढाई हजार मतदाता है।

हमने जब गांव के लोगों की समस्या जानने की कोशिश की तो एक ग्रामीण ने बताया कि 'गांव में समस्याएं बहुत हैं, ये जो गांव में सड़क है, इसका बुरा है, शासन प्रशासन का ध्यान नहीं है।' गांव के अन्य व्यक्ति ने कहा, हमने जब गांव के लोगों की समस्या जानने की कोशिश की तो एक ग्रामीण ने बताया कि 'गांव में समस्याएं बहुत हैं, ये जो गांव में सड़क है, इसका बुरा है, शासन प्रशासन का ध्यान नहीं है।' गांव के अन्य व्यक्ति ने कहा, गांव से बहुत पलायन हो रहा है, लोग दूर-दूर जा रहे हैं। पानी की समस्या के चलते रोग हो जाने पर दवा की भी व्यवस्था भी नहीं पाती है, इसलिए लोगों की यहां ज्यादा परेशानियां बढ़ रही हैं। लोग शहर में जा रहे हैं ताकि अच्छी व्यवस्था पानी हो जाए। गांव से 40 फीसदी लोग पलायन कर चुके हैं।

एक ग्रामीण ने बताया कि पांच हजार की आबादी का गांव है, ढाई हजार के करीब मतदाता हैं लेकिन पिछड़ा इलाका होने की वजह से हमारी कोई पूछ नहीं है। हमसे सड़क, पानी और तमाम व्यवस्था करने का वादा किया गया था लेकिन कुछ नहीं हुआ, अब तो फिर से चुनाव भी आ गए हैं।

हमने जब गांव की एक मजदूर महिला से पूछा कि क्या आपका बीपीएल कार्ड बना है? तो उन्होंने कहा कि कुछ भी नहीं बना है। पेंशन भी नहीं मिलती है। मोदी जी के पच्चीस किलो वाला अनाज भी अबतक यहां नहीं पहुंचा है। ये हमारे घर में चार छोटे-छोटे बच्चे हैं। हमारे पास खेती की जमीन नहीं है, इसलिए मजदूरी करके खाते हैं, दूसरे की जमीन पर मजदूरी करते हैं।

एक अन्य व्यक्ति ने हमें बताया कि चार साल पहले आग लग गया था, पूरा टोला जल गया था। कुछ राहत कोष भी नहीं मिला, कुछ भी नहीं मिला। सरकार की तरफ एक रूपया नहीं दिया गया। लोकतंत्र में वोट की ताकत इसलिए कमजोर है क्योंकि पैसे वालों को कॉलोनी मिलती है, जिनके पास सौ बीघा जमीन उनको राशन मिलता है, इंदिरा आवास मिलता है।

केशोपुर गांव के महादलित समुदाय के एक बुजुर्ग ने बताया कि गांव में किसी के भी पास राशन कार्ड नहीं है। हम पांच भाई हैं, किसी के भी पास राशन कार्ड तक नहीं है। हमारे पास जमीन भी नहीं है। इस दौरान हमने यह भी देखा कि गांव में किसी के पास भी उज्जवला योजना का गैस सिलिंडर नही पहुंचा।


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