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मतगणना में गड़बड़ी के आरोपों को चुनाव आयोग ने किया खारिज, कहा-पूरी प्रक्रिया पारदर्शी
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार चुनाव की मतगणना में गड़बड़ी के आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एचआर श्रीनिवास ने मतगणना की प्रक्रिया को पूरी तरह से निष्पक्ष बताया। श्रीनिवास ने कहा कि अगर कोई प्रत्याशी ऐसी मांग करता है तो मतगणना से जुड़े दस्तावेज व वीडियो फुटेज उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि 11 विधानसभा क्षेत्र ऐसे रहे, जिन में 1000 से कम वोटों के अंतर से हार-जीत का निर्णय हुआ। इन 11 सीटों में से 4 पर जदयू, 3 पर राजद, 1 पर लोजपा, 1 पर भाजपा, 1 पर सीपीआई व 1 पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार, इन सीटों पर जीत दर्ज करने वालों में सभी प्रमुख दल शामिल हैं। इनमें एकमात्र हिलसा सीट ऐसी थी, जहां 12 वोटों के अंतर से हार-जीत हुई, जहां प्रत्याशी की मांग पर पुनर्मतगणना कराई गई थी। उसके बाद ही रिजल्ट डिक्लेयर किया गया।
श्रीनिवास ने कहा कि चुनाव आयोग के गाइडलाइंस के अनुसार जीत-हार के वोटों का अंतर अगर रद्द किए गए पोस्टल बैलेट से कम हो, तो ही रद्द किए गए पोस्टल बैलेट की पुनर्मतगणना कराने का प्रावधान है। हिलसा में रद्द किए गए वोटों से जीत-हार के वोटों का अंतर कम होने के कारण निर्वाची पदाधिकारी द्वारा सभी पोस्टल बैलेट की पुनर्मतगणना करायी गयी। हालांकि इसके बाद भी नतीजा नहीं बदला और अंतिम रिजल्ट वही रहा।
श्रीनिवास ने बताया कि इन 11 में से छह विधानसभा क्षेत्रों में पुनर्मतगणना की मांग की गयी थी। इनमें हिलसा को छोडक़र अन्य पांच निर्वाचन क्षेत्रों रामगढ़, मटिहानी, भोरे, डेहरी एवं परबत्ता में रद्द किए गए पोस्टल वोट से जीत-हार के वोटों का अंतर अधिक होने के कारण पुनर्मतगणना की मांग को निर्वाची पदाधिकारी द्वारा आयोग के नियमानुसार अस्वीकृत कर दिया गया।
श्रीनिवास ने भोरे (सु) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतगणना स्थल पर जदयू सांसद आलोक कुमार सुमन के प्रवेश करने के आरोपों से भी इनकार किया। उन्होंने भाकपा माले के आरोपों से इनकार किए जाने के प्रमाणस्वरूप वहां के निर्वाची पदाधिकारी द्वारा इससे जुड़े दस्तावेज को भी सार्वजनिक किया।
उन्होंने डेहरी निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाची पदाधिकारी द्वारा वीडियोग्राफी के साथ ही नियमानुसार मतगणना कराने की भी बात कही और बताया कि मतगणना के दौरान वहां कोई आपत्ति नहीं जतायी गयी थी। मतगणना के बाद आपत्ति जतायी गयी, हालांकि वहां के निर्वाची पदाधिकारी द्वारा आरोपों को तथ्यहीन एवं अतार्किक करार दिया गया है।
श्रीनिवास ने पोस्टल बैलेट की गिनती पहले नहीं शुरू होने से जुड़े एक प्रश्न का जबाब देते हुए कहा कि सभी निर्वाचन क्षेत्रों की मतगणना के दौरान पहले पोस्टल बैलेट की जांच शुरू हुई। पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद गाइडलाइंस के अनुसार ईवीएम वोटों की गिनती शुरू की गयी। कई क्षेत्रों में पोस्टल बैलेट की गिनती व ईवीएम वोटों की गिनती साथ-साथ जारी रही। उन्होंने दावा किया कि दोनों की गणना की वीडियोग्राफी करायी गयी है और पूरी प्रक्रिया पर माइक्रो ऑब्जर्बर व प्रत्याशियों के अभिकर्ताओं की भी नजर थी।