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Bihar News : मृतक को जिंदा करने के लिए घंटों चला अंधविश्वास का खेल, करंट लगने से हुई थी मौत
Bihar News : मृतक को जिंदा करने के लिए घंटों चला अंधविश्वास का खेल, करंट लगने से हुई थी मौत
Bihar News : इक्कीसवीं सदी में इंसान ने भले ही विकास के तमाम पैमाने गड़ लिए हो बवजूद इसके आज भी समाज में अंधविश्वास की जड़ें काफी गहरी हैं। बिहार (Bihar News) के जमुई (Jamui) में एक युवक की मौत के बाद अंधविश्वास का सहारा लेते हुए उसे जिंदा करने की घंटों तक कोशिश किए जाने का मामला सामने आया है। बता दें कि यह घटना शहर के लगमा मोहल्ले की है। गांव के मां काली मंदिर परिसर के यात्री शेड में युवक का शव रखकर ग्रामीण और उसके परिवार वाले उसे जिंदा करने का प्रयास करते रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 40 वर्षीय विपिन कुमार रावत की मौत करंट लगने से हो गई थी।
बीते सोमवार की सुबह विपिन अपने छोटे भाई की शादी की बारात में जाने की तैयारी कर रहा था। जनरेटर का तार लपेटने के दौरान करंट लगने से वह अचेत हो गया। इसके बाद परिवार वाले उसे सदर अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। विपिन का शव जब उसके घर लाया गया तो परिजनों को लगाकर उसकी धड़कन अभी भी चल रही है। यह सुनकर वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और शव को काली मंदिर परिसर के यात्री शेड में रखकर ग्रामीण उस पर राठौर बेलन रगड़ने लगे। अंधविश्वास का यह खेल वहां घंटों तक चलता रहा, मगर विपिन के बेजान शरीर में जान नहीं आई। काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी जब परिवार वाले और ग्रामीण मुर्दा शरीर में जान फूंकने में नाकाम रहे तब शव का अंतिम संस्कार करने के लिए ले जाया गया।
परिजनों को अंधविश्वास पर था विश्वास
वहीं मृतक के रिश्तेदार विनोद कुमार रावत ने बताया कि उन लोगों को विश्वास था कि विपिन जिंदा हो जाएगा, इसलिए करंट लगने के बाद जिस तरह से घरेलू उपचार किया जाता है तो वैसे ही हम लोग कर रहे थे। हालांकि सोचने वाली बात यह है कि जब सदर अस्पताल के डॉक्टर ने विपिन को मृत घोषित कर दिया था तो फिर मुर्दे को जिंदा करने के लिए घंटों तक अंधविश्वास का या खेल क्यों खेला गया।
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