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अंधविश्वास

Bageshwar news : बागेश्वर के स्कूल में छात्राएं फिर हुईं मास हिस्टीरिया की शिकार, भूत बाधा बताकर जागरिये ने पूजा देवता, ग्रामीण कर रहे जागर लगाने की बात

Janjwar Desk
29 July 2022 12:00 PM IST
Bageshwar news : बागेश्वर के स्कूल में छात्राएं फिर हुईं मास हिस्टीरिया की शिकार, भूत बाधा बताकर जागरिये ने पूजा देवता, ग्रामीण कर रहे जागर लगाने की बात
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Bageshwar Superstition news : एक व्यक्ति जो संभवत: जागरिया है, वह मंत्र पढ़े हुए चावल इन बच्चियों पर फेंककर बच्चियों को शांत करने का प्रयास कर रहा है, विद्यालय का यह बनाया गया वीडियो धड़ल्ले से सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है....

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Bageshwar Superstition news : उत्तराखंड के स्कूलों में किशोर उम्र की छात्राओं के बीच अक्सर होने वाली मास हिस्टीरिया बीमारी के चलते बुधवार को बागेश्वर के रैखोली में जूनियर हाई स्कूल में कोहराम मच गया। रैखोली के इस जूनियर हाई स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ने वाली करीब आधा दर्जन लड़कियां अचानक चिल्लाते-चिल्लाते रोकर बेहोश होने लगी। बच्चियों की यह हालत देखकर विद्यालय में हड़कंप मच गया। विद्यालय के अध्यापकों ने इन छात्राओं को जैसे-तैसे संभालते हुए इन बच्चियों के परिवार वालों को विद्यालय में बुलाकर छात्राओं को घर भेज दिया। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद इसे भूत प्रेत के साए से जोड़कर अंधविश्वास फैलना शुरू हो गया है।

उत्तराखंड से बाहर के लोग शायद इस तथ्य से अपरिचित होंगे कि यहां लोगों पर देवता आने का पुराना चलन है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं, सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में किसी व्यक्ति के मदहोशी की हालत में जाकर अनाप-शनाप हरकतों को यहां उस व्यक्ति पर देवता आना बोला जाता है। ऐसा व्यक्ति नाच-नाचकर अपने बाल बिखेरता घूमता है। देवता आने के बाद प्रभावित व्यक्ति के घर में जागरिया एक प्रकार का तांत्रिक अनुष्ठान करता है, जिसे पहाड़ में जागर बोला जाता है। उसके बाद देवता के प्रभाव से वह व्यक्ति मुक्त हो जाता है। हैरानी की बात यह है कि यह देवता आने की घटना केवल पहाड़ में ही होती है। यदि पहाड़ का कोई व्यक्ति उत्तराखंड के बाहर के राज्यों में रहने लगता है तो इस प्रकार की घटना कभी सुनाई नहीं देती।

पर्वतीय जनमानस के सामाजिक वातावरण में देवता आने की कथा इतनी रची-बसी है कि छोटे-छोटे बच्चों के मन में बाल्यकाल से ही देवता आने की अवधारणा बन जाती है। इसी कारण से उत्तराखंड के सुदूरवर्ती स्कूलों में भी स्कूली बच्चों पर देवता आने की घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं। ऐसी घटनाएं पहाड़ों के सुदूरवर्ती स्कूलों में कम उम्र की बालिकाओं के साथ अधिक होती हैं। चिकित्सकीय भाषा में चिकित्सक इसे मास हिस्टीरिया बोलते हैं, जिसमें किसी एक प्रभावित को देखकर उसके साथ की अन्य छात्राएं भी मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित छात्रा से जुड़ाव के कारण अपने को भी अवचेतन अवस्था में उसी स्थिति में ले आती है।

इस प्रकार की घटनाएं राज्य के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली आदि जिलों के सरकारी विद्यालयों से सामने आ चुकी है। नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक के डोला गांव के माध्यमिक विद्यालय में तो वर्ष 2010 में हुई ऐसी एक घटना के बाद विद्यालय में ही जागरिये को बुलाकर ग्रामीणों ने पूजा-पाठ कराकर कथित देवता को शांत कराया था।

बागेश्वर जिले के रैखोली में जूनियर हाईस्कूल में भी बुधवार 27 जुलाई को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब विद्यालय की आधा दर्जन किशोर उम्र की आठवीं की छात्राएं एकाएक रोने चीखने लगीं। सबसे पहले एक लड़की ने इस प्रकार की हरकत की। उसके बाद देखते ही देखते उसके साथ की चार-पांच लड़कियां और चीखने चिल्लाने लगीं। छात्राओं की इस प्रकार की हरकत देखते ही इस विद्यालय में हड़कंप मच गया। विद्यालय के अध्यापकों को जब कुछ और नहीं सूझा तो उन्होंने छात्राओं के अभिवावकों को विद्यालय बुलवाकर छात्राओं को उनके साथ घर भेज दिया, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम का किसी ने वीडियो बना लिया।

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस प्रकार छात्राएं चीखते चिल्लाते हुए रो रही हैं। और एक व्यक्ति जो संभवत: जागरिया है, वह मंत्र पढ़े हुए चावल इन बच्चियों पर फेंककर बच्चियों को शांत करने का प्रयास कर रहा है। विद्यालय का यह बनाया गया वीडियो धड़ल्ले से सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है। यह वीडियो वायरल होते ही प्रशासनिक हलकों में हड़कंप की स्थिति बन गई। गुरुवार 27 जुलाई को चिकित्सकों की एक टीम ने जूनियर हाई स्कूल में जाकर स्कूली छात्राओं की काउंसिलिंग कर उनका उपचार किया। चिकित्सकों के जांच करने के बाद अब छात्राओं की स्थिति बेहतर बताई है। चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि भूखी होने के कारण इस प्रकार की दिक्कत हो सकती है। फिलहाल इस घटना के बाद से विद्यालय में भय की स्थिति है। विद्यालय के अध्यापकों ने अन्य बच्चों को बिना डरे स्कूल आने के निर्देश दिए हैं।

हालांकि जहां एक ओर चिकित्सक इस घटना को मास हिस्टीरिया बताते हुए इसकी अपने ढंग से व्याख्या कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ग्रामीण इस पूरी बात से इत्तेफाक नहीं रख रहे। ग्रामीणों का भूत प्रेत आदि की घटनाओं में अटूट विश्वास होने के चलते वह इसे देवता का ही संकट समझकर इसका उपचार तंत्र मंत्र से तलाशने की बात कर रहे हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि स्कूल में जागर लगाने से यह समस्या का हल हो जायेगा। अधिकांश अध्यापक भी दबी जुबान में ग्रामीणों के इस सुर में अपना सुर मिला रहें हैं, जिसके चलते संभावना है कि शुक्रवार को विद्यालय परिसर में ही अंधविश्वास की पाठशाला लगे।

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