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झारखंड में डायन बिसही का आरोप लगाकर बुजुर्ग दंपती को मारने वाले हत्यारोपी की जेल में संदिग्ध मौत, परिजन लगा रहे गंभीर आरोप
झारखंड में डायन बिसही का आरोप लगाकर बुजुर्ग दंपती को मारने वाले हत्यारोपी की जेल में संदिग्ध मौत, परिजन लगा रहे गंभीर आरोप
विशद कुमार की रिपोर्ट
Jharkhand news : झारखंड के लातेहार में डायन बिसही के आरोप में बुजुर्ग दंपती की हत्या कर दी गयी थी और अब हत्यारोपियों में से एक सेंधु मुंडा की जेल में संदिग्ध मौत हो गयी है। इस मामले में जेलकर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
गौरतलब है कि झारखंड के लातेहार जिला अंतर्गत चंदवा प्रखंड के लाधुप पंचायत स्थित हेसला गांव में 3 मई की रात डायन बिसाही के आरोप में गांव के ही कुछ लोगों ने एक वृद्ध दंपती 76 वर्षीय सिबल गंझू और उसकी 72 वर्षीय पत्नी बौनी गंझूकी हत्या लाठी-डंडे से पीट-पीटकर कर कर दी थी। इस दौरान बीचबचाव करने गई दंपती की पुत्रवधू बसंती देवी के साथ भी मारपीट की गई। वह किसी प्रकार जान बचाकर वहां से भाग पाई और इसकी सूचना चंदवा थाने में दी।
सूचना के बाद पुलिस ने 4 मई की सुबह हेसला गांव पहुंची और मामले की जानकारी ली। पुलिस ने बसंती देवी द्वारा की गई प्राथमिकी के आधार पर आरोपियों में सेंधू मुंडा, धीरज मुंडा, बुतरू पाहन, संतोष गंझू, परदेशी मुंडा, अमृत गंझू, सुलेंद्र गंझू, बिनोद सिंह, भोला मुंडा, रामचंद्र मुंडा, मुनवा मुंडा, रामधन गंझू और परमेश्वर मुंडा को गिरफ्तार कर लातेहार मंडलकारा भेज दिया था। इन्हीं विचाराधीन क़ैदियों में एक सेंधू मुंडा की 6 मई को जेल में मौत हो गई, जिसे लेकर सेंधू मुंडा के परिजनों में आक्रोश है।
सेंधू मुंडा की मौत पर पहले जेल प्रशासन ने कहा कि जब सेंधू मुंडा को मंडल कारा लाया गया था तब उसकी तबीयत खराब थी। बता दें कि जेल कार्यालय के कर्मी द्वारा मृतक सेंधू मुंडा का शव देने के लिए परिजन को बुलाया गया था। जिसके बाद सेंधू मुंडा के परिजनों को एक कागज पढ़कर सुनाया गया था कि सेंधू मुंडा को तबीयत खराब की हालत में ही जेल में लाया गया था। जिसका सदर अस्पताल इलाज कराया गया जहां 6 मई की सुबह 10.52 मिनट पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी, लेकिन सेंधू के परिजन शव लेने से इंकार कर दिया। बता दें कि सदर अस्पताल के सरकारी रजिस्टर में सेंधू मुंडा के भर्ती का समय भी 10.52 मिनट दर्ज था। जो इसे लेकर संदेह पैदा करता है कि अस्पताल में भर्ती होते ही मरीज की मौत कैसे हो गई? वहीं मृतक के परिजनों ने बताया कि सेंधू को पहले से कोई भी बीमारी नहीं थी।
इस बावत बताना जरूरी हो जाता है कि 5 मई को हेसला गांव की कई महिलाएं जेल में बंद अपने लोगों से मिलने पहुंचीं थीं। मृतक सेंधू की भाभी पार्वती देवी ने बताया कि जेल में बंद सभी लोगों ने कहा कि तुम लोग गांव में मिल कर रहना और बच्चों की अच्छी तरह देखभाल करना। सेंधू भला चंगा हमलोगों बात करके अपने बच्चों के बारे पूछा। फिर अचानक 6 मई को सूचना मिलती है कि उसके देवर सेंधू मुंडा की मौत हो गयी। यह कैसे हुआघ्पा र्वती ने बताया कि सेंधू मुंडा की तीन पुत्री व एक पुत्र है, जिसके लालन पालन की जिम्मेवारी अब उसकी पत्नी रीना देवी के कंधे पर आ गयी।
इस मामले पर से पर्दा तब हटा जब 6 मई को लातेहार जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र से विभिन्न मामलों में बंद विचाराधीन 6 बंदियों को जमानत पर छोड़ा गया था। जिसमें से कई लोगों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि 6 मई की सुबह जेल के जमादार व दो पुलिस के जवानों ने सेंधू मुंडा की लाठी से पिटाई की थी। जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सेंधू की कसूर सिर्फ इतना भर था कि वह रात में शोर मचाया था।
सेंधू के परिजनों ने भी उसके साथ जेल में मारपीट करने का आरोप लगाया है। सिविल सर्जन डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पायेगा।
सेंधू की पत्नी रीना मुंडा ने कहा कि सेंधू पूरी तरह से स्वस्थ था। उसे पहले से कोई बीमारी नहीं थी। उसे कभी कोई दौरा भी नहीं पड़ा। उसे स्वस्थ हालत में पकड़कर जेल ले जाया गया था। सेंधू की पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति के साथ जेल में मारपीट की गयी है। उसके शरीर के पिछले हिस्से में डंडे के निशान हैं। रीना ने बताया कि वह 5 मई को मंडल कारा में अपने पति सेंधू से मिलकर गयी थी। उस दिन भी वह पूरी तरह स्वस्थ थे और अचानक 6 मई को 2.00 बजे चंदवा पुलिस की ओर से सूचना दी गयी कि उसके पति की मौत हो गयी है।
बता दें कि इसके बाद विचाराधीन कैदी सेंधू मुंडा की मौत के मामले में लातेहार सदर थाना में पांच जेल कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। जेल अधीक्षक के आवेदन के आधार पर पुलिस ने मंडल कारा के कक्षपाल शंकर मुंडा, चंद्रशेखर सिंह, दीप नारायण विश्वकर्मा, प्रदीप प्रजापति और मनोहर बारला के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है। एसपी अंजनी अंजन ने बताया कि पुलिस पूरे मामले की छानबीन आरंभ कर दी है। मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
चिकित्सकों ने कहा कि कैदी की मौत दौरा पड़ने से हुई है, लेकिन जब मृतक कैदी के परिजन अस्पताल पहुंचे और शव को देखा तो उसके शरीर पर कई गहरे जख्म के निशान दिखे। इसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि सेंधू मुंडा की लाठी से पीटकर हत्या की गई है। इस आरोप के बाद तीन डॉक्टरों की मेडिकल बोर्ड बनाकर कार्यपालक दंडाधिकारी की उपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम किया गया और शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
इधर 7 मई को परिजन इस बात पर अड़ गए कि जब तक दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी की कॉपी उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जाएगी तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। मृतक के परिजनों तथा ग्रामीणों ने पूरे मामले में प्रशासनिक उदासीनता का भी आरोप लगाया। हालांकि पुलिस पदाधिकारियों के समझाए जाने के बाद ग्रामीणों का आक्रोश कम हुआ और उन्होंने मृतक का दाह संस्कार किया। देखना होगा कि कैदी की मौत के आरोपी जेल कर्मियों के साथ क्या होता है।
मामले पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सेंधू मुंडा की मौत की न्यायिक जांच की मांग की है। शाहदेव ने कहा कि जेल में बंद विचाराधीन कैदी सेंधू मुंडा की मौत से कई सवाल खड़े होते हैं। सेंधू के शरीर पर कई जगह गहरे चोट के निशान हैं, जो इस बात को बल दे रहा है कि सेंधू की प्राकृतिक मौत नहीं है। जेल प्रशासन उक्त मामले में लीपापोती करने का प्रयास कर रहा है।
बकौल शाहदेव ने कहा कि आदिवासी हितों की बात कहने वाली हेमंत सोरेन सरकार में एक आदिवासी की मौत पुलिस की अभिरक्षा में हो गयी है। सेंधू मुंडा की पत्नी पर प्रशासन द्वारा दबाव डालने की बातें भी सामने आ रही है। शाहदेव ने सेंधू मुंडा के शरीर पर गहरे जख्मों की तस्वीर को ट्वीट कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को टैग करते हुए कार्रवाई की मांग की है।
वहीं मामले पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता अयूब खान ने एसपी से मांग की है कि जेल अधीक्षक को तत्काल हटाया जाये और जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है उनकी गिरफ्तारी हो। अयूब खान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि समाचार पत्रों में आयी खबर में परिजनों का आरोप है कि सेंधु मुंडा के शरीर पर पिटाई के गहरे निशान हैं। पिटाई की वजह से ही उसकी मौत हुई।
अयूब खान ने कहा कि मामला काफी गंभीर है। ऐसे में इसकी उच्चस्तरीय जांच की जाय और दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर कार्रवाई हो। जेल अधीक्षक के रहते निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच प्रभावित कर दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा सकता है। अयूब खान ने ये मांग पुलिस अधीक्षक अंजनी अंजन से की है।