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अंधविश्वास की पराकाष्ठा : अरबपति बनने का देख रहे थे सपना, तोते और कछुए ने पहुंचाया हवालात
प्रतीकात्मक फोटो
Andhvishwas : देश के सुदूर उड़ीसा, झारखंड जैसे राज्यों की अंधविश्वास से जुड़ी खबरें भले ही आपको चकित न करती हों लेकिन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के सबसे पॉश इलाके से आई एक खबर देश के अंधविश्वास की जकड़ में होने की पोल खोल रही है। आधुनिक विश्व से कदम मिलाकर चलने वाले इस शहर में ऐसे भी लोग पाए जाते हैं जो तोते और कछुओं को भी अरबपति बनने का माध्यम मानते हैं।
इन निरीह जीवों के दम पर मालामाल होने का सपना देखने वाले मालामाल तो नहीं हो पाए। अलबत्ता पैसे के लालच में हवालात जरूर पहुंच गए। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में तोता और कछुए के चक्कर में जिन तीन व्यापारियों को जेल हुई है वह लोग जल्दी मालामाल होने के चक्कर में तोते और कछुए की सौदेबाजी कर रहे थे। जब यह लोग तोते और कछुए के दम पर अरबपति बनने का सपना देख रहे थे, तभी वन विभाग की टीम ने छापा मारकर इन लोगों को हिरासत में ले लिया।
जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला मालाड और दक्षिणी मुंबई के क्राफेड मार्केट का है। यहां कुछ लोग घर में तोता और कछुआ होने पर दौलत बरसने के अंधविश्वास के चलते तोते और कछुए की सौदेबाजी कर रहे थे।लेकिन इनके भाग्य में दौलत नही बल्कि जेल की वह सलाखें लिखी थीं, जहां यह अपना सिर पटक सकें। इनकी सौदेबाजी के दौरान ही किसी ने इनकी मुखबिरी कर दी। मुखबिर की सूचना के बाद वन विभाग की टीम ने मौके पर जाकर छापेमारी की।
टीम जब मालाड और क्राफेड मार्केट की दो दुकानों में पहुंची तो वहां दुर्लभ प्रजाति का तोता और कछुए की बिक्री हो रही थी। वन विभाग की टीम ने मौके से प्रमोद पाल, शाकिब खान और दीपक म्हात्रे को हिरासत ले लिया। वन विभाग की टीम ने पकड़े गए इन तीनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करते हुए न्यायालय में पेश किया। जहां से इनको न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। पुलिस का कहना है कि वन विभाग की टीम ने छापेमारी के दौरान दुकान से तोते और कछुआ बरामद कर लिया है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तमाम लोग धन लाभ के चक्कर में इन तोतों और कछुओं को अपने घरों में पालने के लिए खरीदते हैं, जबकि तोता और कछुआ को घर में रखना गैरकानूनी है। वन विभाग के जांच अधिकारी राजेश भोईर ने कहा कि लोग अंधविश्वास में आकर तोते और कछुए पाल लेते हैं, लेकिन उन्हें नियमों के बारे में जानकारी नहीं होती। उन्होंने कहा कि अंधविश्वास के चलते वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत तोता या कछुआ पालने पर जेल हो सकती है। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि अंधविश्वास की वजह से तोता या कछुआ घरों में पालने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। लोग अंधविश्वास के चलते ऐसा करते हैं, लेकिन उन्हें नियमों की जानकारी नहीं होती है।