लाशों को जलाने के लिए हटवाया रामनामी दुपट्टा, फिर बदल गया अधिकारियों को मूड तो उठवा ले गए लकड़ियों के ढेर
दफनायी गयी लाशों की पहचान करातीं रामनामी चुनरियों को भी अब प्रशासन ने हटवा दिया है और नजर आ रही है सिर्फ रेत
जनज्वार ब्यूरो, प्रयागराज। यूपी के प्रयागराज स्थित फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट पर गंगा किनारे रेत में दफन सैकड़ों शवों से लाल-पीली चुनरी को हटवाया जा रहा है। यह काम अफसरों की मौजदूगी में सफाईकर्मियों को तैनात कर पूरे घाटों के आसपास किया गया। यहां दफन शवों की पहचान के लिए किनारे गाड़ी गई लकड़ियों को भी निकलवाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कैमरे से बचने के लिए रविवार 23 मई की रात एक बड़े अधिकारी ने कुछ मातहतों के साथ फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट का निरीक्षण किया था। अफसर ने पहले फाफामऊ पुल से घाट देखा फिर दल-बल के साथ घाट पर भी गए। कहा जा रहा है कि इसी अफसर के निर्देश पर ही सुबह फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट की सफाई करवा कर चुनरी हटवाई गई।
मीडिया में आई जानकारी में ऐसा इसलिए किया गया, ताकि दफन शवों की पहचान न हो सके। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में चुनरी और लकड़ी से ही इस बात की पहचान हो रही थी कि शव दफन किए गए हैं। नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज सिंह की देखरेख में फाफामऊ घाट पर 100 से अधिक सफाईकर्मी लगाए गए थे। सफाई के वक्त नगर निगम निगरानी समिति के सदस्य मुकुंद तिवारी, कमलेश तिवारी भी मौजूद थे।
वहीं दूसरी तरफ श्रृंग्वेरपुर घाट पर कुत्ता और सुअर पकड़ने के लिए टीम लगाई गई थी। कई कुत्तों को पकड़कर जंगल में छोड़ा गया। श्रृंग्वेरपुर में गंगा किनारे दफन किये गए उन शवों का दाह संस्कार करने का प्रयास भी किया गया, जो रेत से बाहर दिख रहे हैं। इसके लिए घाट पर आठ स्थानों पर चिता सजाई गई थी। मगर बाद में वहां से लकड़ियां हटा ली गयीं और किसी को भी आग नहीं लगायी गयी।
एसडीएम सोरांव अनिल चतुर्वेदी का इस मामले में कहना है कि अब यह लकड़ी उन लोगों को दे दी जाएगी, जिनके पास दाह संस्कार के लिए पैसे नहीं होंगे। घाट पर बीडीओ विकास शुक्ल, एडीओ कोआपरेटिव विमल यादव, चौकी प्रभारी दुर्गेश सिंह, इंस्पेक्टर नवाबगंज अवन दीक्षित आदि मौजूद रहे। प्रशासन मंगलवार 25 मई को यहां गंगा की कटान रोकने के लिए भी उपाय करेगा।
श्रृंग्वेरपुर में कुंडा इलाके के बेंती गांव से लोग ढाई साल की बच्ची का शव लेकर दफनाने पहुंचे थे। अफसरों ने दफन करने से रोकते हुए दाह-संस्कार में मदद करने का आश्वासन दिया, लेकिन परिजन राजी नहीं हुए। शव लेकर वापस चले गए, उधर शवों को दफन करने से रोकने के बाद एक सपा नेता दाह संस्कार में मदद कर रहे हैं, जिनकी मदद से 5 शवों का दाह संस्कार करवाया गया।