मोदीराज में बढ़ती मौतों के बीच सरकारी जश्न बनता कोरोना, कभी थाली-कभी मोमबत्ती और अब कुंभ का आयोजन
(बिहार के स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीन लेने वालों में पीएम मोदी, अमित शाह जैसे कई नेता के नाम)
वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। अपने देश में आत्मनिर्भर भारत के नारे के बीच कोविड 19 के सभी विदेशी टीकों के उपयोग की इजाजत दे दी गयी है, पर बहुत सारे गरीब देशों में अभी तक टीका पहुंचा ही नहीं है| मार्च के शुरू तक लगभग 130 देशों में टीके की कोई खेप नहीं पहुँची थी| दूसरी तरफ बड़े और अमीर देश अपनी आबादी के अनुपात में कई गुना अधिक टीका जमा कर चुके हैं|
एक तरफ अमेरिका में वयस्क आबादी, जिनको टीका लगना है, की तुलना में तीन गुना अधिक टीका जमा कर लिया गया है, तो दूसरी तरफ कुछ अफ्रीकी देशों में वर्ष 2023 से पहले टीका पहुँचने की कोई उम्मीद नहीं है| यूरोपियन यूनियन के देशों में 37.5 करोड़ आबादी के लिए 1.6 अरब टीका रखा गया है, यूनाइटेड किंगडम की 5.4 करोड़ वयस्क आबादी के लिए 21.9 करोड़ टीका और कनाडा की 3.2 करोड़ वयस्क आबादी के लिए 18.8 करोड़ टीका सुरक्षित रखा गया है|
कोविड 19 के टीके की असमानता और राजनीति में शुरू से बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की भूमिका संदिग्ध रही है| ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले टीके का आविष्कार किया था और दावा था कि इसका फॉर्मूला पूरी दुनिया के लिए मुफ्त में उपलब्ध है और कोई भी देश इसे अपने यहाँ बना सकता है|
इस दावे के ठीक बाद बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने दबाव डालकर ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का करार एस्ट्रोजेनिका कंपनी से करा दिया, इसके बाद से टीके का फार्मूला पेटेंट के दायरे में आ गया और टीके के दाम भी बढ़ गए| बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संदिग्ध भूमिका यहीं ख़त्म नहीं होती – यह फाउंडेशन गरीब देशों को टीके उपलब्ध कराने वाले अंतरराष्ट्रीय पहल "कोवैक्स" के केंद्र में भी है| इस पहल के तहत गरीब देशों को बांटे जाने वाले टीके का उपयोग अमीर देश अपने यहाँ कर रहे हैं|
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने देश को कोवैक्स से अलग कर लिया था, पर जो बाईडेन इसमें शरीक तो हो गए, पर टीके का बंटवारा नहीं कर रहे हैं| हाल में बहुत आलोचना झेलने के बाद उन्होंने गरीब देशों को तो नहीं पर पड़ोसी देशों कनाडा और मेक्सिको को टीके दिए हैं| जानकार कहते हैं कि ये टीके मदद के लिए नहीं दिए गए हैं, बल्कि दोनों देश अमेरिका से बॉर्डर साझा करते हैं, और जो बाईडेन अपने देश के बॉर्डर क्षेत्रों को सुरक्षित रखना चाहते हैं|
कनाडा ने भी गरीब देशों के लिए टीके की खेप को अब तक किसी देश को नहीं भेजा है, और इसी से कनाडा के नागरिकों को टीका दिया जा रहा है| इन सबके बीच बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन गरीबों के नाम पर जमा किये गए टीकों से अमीर देशों को खुश कर रहा है|
दूसरी तरफ, कोविड 19 के दौर में सरकारों और मीडिया ने कभी कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया, इसलिए सामान्य जनता टीके को लेकर भी बहुत आश्वस्त नहीं है| एक तो लगातार पनप रहे नए वैरिएंट की खबरें और फिर टीके के बाद भी कोविड 19 के पनपने की खबरें टीके के प्रति विश्वास नहीं पनपने दे रहीं हैं|
हालात यहाँ तक पहुँच गए हैं कि लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने के लिए सरकारें या फिर दूसरे संगठन उपहारों का लालच दे रहे हैं| रूस में अनेक जगहों पर टीका लगवाने वालों को मुफ्त में पसंदीदा आइसक्रीम दी जा रही है, इजराइल में कोकाकोला, बियर, पिज़्ज़ा, पास्ता या मांस दिया जा रहा है| दुबई के कुछ रेस्टोरेंट टीके की पहली डोज लेने वाले को 10 प्रतिशत और दोनों टीके वालों को 20 प्रतिशत की रियायत दे रहे हैं|
चीन के बीजिंग में कुछ जगहों पर अंडे के दो बॉक्स दिए जा रहे हैं| चीन के ही दूसरे क्षेत्रों में शौपिंग कूपन, ग्रोसरी वाउचर, चिकन, आटा, नगद राशि या फिर पार्क में भ्रमण के लिए मुफ्त में टिकट दिए जा रहे हैं|
इन उपहारों में सबसे अनोखा उपहार हमारे देश के राजकोट में दिया गया है| यहाँ के आभूषणों के व्यवसायियों के संगठन ने एक दिन टीका लगाने वाली सभी महिलाओं को सोने के नोजपिन और पुरुषों को एक-एक हैण्ड ब्लेंडर उपहार के तौर पर दिया| देश के दूसरे हिस्सों से भी उपहारों की खबरें आती हैं| उपहार के तौर पर नाश्ता, कार की मरम्मत पर रियायत, पुस्तकें, बिरयानी, मिठाई और चिकन के पकवान दिए जा रहे हैं| उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने टीका लेने वालों को टैक्स पर अतिरिक्त 5 प्रतिशत छूट का ऐलान किया है|
अमेरिका के रेड रूस्टर नामक रेस्टोरेंट की श्रृंखला ने टीका लगवाने वाले अपने कर्मचारियों को 250 डॉलर का बोनस और दो दिनों के अवकाश का ऐलान किया है| अमेरिका में भी अनेक टीका केन्दों पर बियर, शौपिंग कूपन, टीके के सर्टिफिकेट का मुफ्त लैमिनेशन, पॉप कॉर्न, नगद राशि और विडियो गेम्स को उपहार के तौर पर दिया जा रहा है| मेक्सिको सिटी में टीका केन्द्रों पर इंतज़ार करने वालों के लिए नृत्य और संगीत का प्रबंध किया गया है|
इन सबके बीच इंडोनेशिया की सरकार के अनुसार उपहारों से जनता को टीके के लिए प्रेरित नहीं किया जा सकता, इसलिए वहा टीका नहीं लगवाने वालों पर जुर्माना का प्रावधान किया गया है| हमारे देश में तो कोविड 19 भी एक सरकारी जश्न है, कभी थालिया बजाई जातीं हैं, कभी मोमबत्तियां जलाई जातीं हैं, कहीं कुम्भ आयोजित किया जा रहा है, पंचायत से लेकर विधानसभा के चुनाव कराये जा रहे हैं और प्रधानमंत्री जी टीका उत्सव ऐसे समय मना रहे हैं, जब पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था कोविड 19 के बोझ से चरमरा गयी है|