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कोविड -19

Covid-19 live Updates: घर में दो गज की दूरी के बावजूद भी हो सकता है कोरोना वायरस, स्टडी में हुआ खुलासा

Janjwar Desk
16 Sep 2021 12:09 PM GMT
Covid-19 live Updates: घर में दो गज की दूरी के बावजूद भी हो सकता है कोरोना वायरस, स्टडी में हुआ खुलासा
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Covid-19 live Updates: कोरोना वायरस को लेकर एक शोध में बताया गया है कि इस वायरस से खुद को बचाने के लिए 6 फिट की दूरी काफी नहीं है, अगर खुद को सेफ रखना है तो मास्किंग के साथ अपनाने होंगे कई तरीके...

Covid-19 live Updates: कोरोना वायरस को हराने के लिए मास्किंग और सोशल डिस्टेंसिंग कितना जरूरी है इसकी जानकारी बच्चे बच्चे तक को है। न सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनियाभर में कोरोना वायरस ने आफत मचा रखी है। कोरोना वायरस के केस में हर दिन उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, कभी इसका आंकड़ा बढ़ जाता है तो कभी घट जाता है।

वहीं रोजाना इस वायरस को लेकर दुनियाभर के साइंटिस्ट कोई न कोई रिसर्च कर रहे हैं, जिसको लेकर आए दिन नए-नए दावे पेश किए जा रहे हैं। इन दावों के बीच एक स्टडी में यह दाया किया गया है कि कोरोना से बचने के लिए घर के अंदर भी मेंटेन की जा रही 6 फीट की दूरी काफी नहीं है। 6 फीट की सोशल डिस्टेंसिंग रखने के बावजूद भी एक कोरोना पीड़ित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। सस्टेनेबल सिटीज एंड सोसाइटी नाम के एक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

खुद को सेफ रखने के लिए मास्किंग और वेंटिलेशन दोनों है जरूरी

उल्लेखनीय है कि सस्टेनेबल सिटीज एंड सोसाइटी जर्नल में एक स्टडी के रिसर्च के रिजल्ट को बताया गया है जिसमें कहा गया कि शारीरिक दूरी बनाने से संक्रमण को रोका नहीं जा सकता। अगर कोरोना से खुद को सेफ रखना है तो मास्किंग और वेंटिलेशन दोनों ही बहुत जरूरी हैं। स्टडी में शोधकर्ताओं ने तीन कारकों को लेकर रिसर्च किया है जिसमें स्पेस के माध्यम से हवा के वेंटिलेशन की मात्रा और दर के बारे में जांच की गई है, तो वही अलग-अलग तरह के वेंटिलेशन से जुड़े इनडोर एयर फ्लो पैटर्न, वहीं तीसरे कारक में सांस लेने वर्सेस बात करने का एरोसोल एमिसन मोड यह शामिल किया गया है।

एयरोसोल्स डिस्प्लेसमेंट इन कमरों में तेजी से करता है फ्लो

स्टडी में बताया गया है कि अगर कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति 6 फीट की दूरी बनाते हुए और बिना मास्क लगाए हुए किसी दूसरे व्यक्ति से बातचीत करता है तो वह उस व्यक्ति को वायरस से संक्रमित कर सकता है। इस स्टडी के लेखक और एसोसिएट प्रोफेसर डोंग्युन रिम का कहना है कि इस तरह का ट्रेंड उन कमरों में देखने मिलता है जहां वेंटिलेशन पर्याप्त नहीं होता है। शोध के मुताबिक एयरोसोल्स डिस्प्लेसमेंट उन कमरों में ज्यादा तेजी से फ्लो करे हैं, जिसमें वेंटिलेशन होता है। दरअसल, वेंटिलेशन वाले कमरों में लगातार फ्लोर पर फ्रेश एरर बहती है और छत के पास बने एग्जिट वेंट के जरिए बासी हवा को धकेल देती है। इस तरह का वेंटिलेशन सिस्टम ज्यादातर घरों में देखने को मिल जाता है।

एयरबोर्न इंन्फेक्शन की आशंका घरों में होती है ज्यादा

वहीं आगे डोंग्युन रिम कहते हैं कि इस शोध में कुछ चौकाने वाले परिणाम सामने आए है जिसमें से ये बात सामने आई है कि अगर ऑफिस के वातावरण की तुलना आवासीय वातावरण से की जाए तो घरों में एयरबोर्न इंन्फेक्शन की आशंका बहुत अधिक हो सकती है। डोंग्युन रिम ने कहा कि इस एयरबोर्न इंन्फेक्शन को दूर करने के लिए शारीरिक दूरी के साथ ही मास्किंग और वेंटिलेशन का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है।

16 सितंबर को आए कोरोना वायरस के 30 हजार से ज्यादा केस

वहीं कोरोना वायरस के आकड़ों की बात की जाए तो बीते 4 दिनों से इसके मामले में थोड़ा ठहराव देखने को मिला रहा था, वहीं गुरुवार को एक बार फिर कोरोनावायरस ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार गुरुवार को कोरोनावायरस के 30 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बुलैटिन में बताया गया कि कुल 30,570 मामले सामने आए, जिनमें से 471 लोग कोरोना के चलते अपनी जान गवां बैठे है। वही 48,303 लोग कोरोनावायरस को हराकर अपने घर लौट गए हैं। गौरतलब है कि देश भर में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या कुल 3,42,923 है। वहीं अब तक 3,50,60,474 मरीज कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं, जिसमें से 4,43,928 लोगों की मौत हो चुकी हैं।

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