Begin typing your search above and press return to search.
कोविड -19

40-40 हजार में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करता धरा गया गाजियाबाद का नामी डॉक्टर, लाखों का कैश भी बरामद

Janjwar Desk
28 April 2021 8:27 AM GMT
40-40 हजार में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करता धरा गया गाजियाबाद का नामी डॉक्टर, लाखों का कैश भी बरामद
x
डॉ. अल्तमश लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने की सलाह भी दे रहा था, बड़ी कंपनी का सीईओ और नामी न्यूरोलॉजिस्ट होने की वजह से वह आसानी से रैमडेसिविर और दूसरे महंगे इंजेक्शन तक अपनी पहुंच बना लेता था....

जनज्वार डेस्क। संकट की इस घड़ी में जहां मरीजों के परिजन ऑक्सीजन के सिलेंडर और दवाओं के दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं वहीं दूसरी ओर कालाबाजारी भी जोरों पर है। मंगलवार को गाजियाबाद में देश के एक नामी न्यूरोलॉजिस्ट को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में धरा गया है। उसके दो सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। तीनों आरोपियों से 70 रेमडेसिविर इंजेक्शन, 36 लाख रुपये से ज्यादा का कैश बरामद किया गया है।

स्वाट व घंटाघर पुलिस ने कालाबाजारी की शिकायत मिलने के बाद पड़ताल की। करीब 48 हजार रुपये कीमत का एक और इंजेक्शन भी इनके पास से मिला है। आरोपित डॉक्टर दिल्ली एम्स में भी अपनी सेवाएं देता है। वह एक नामी फार्मा कंपनी में सीईओ भी है।

एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि आरोपितों की पहचान डॉ. अल्तमश, कुमैल और जाजिब के रूप में हुई है। डॉ. अल्तमश देश का नामी न्यूरोलॉजिस्ट है और दिल्ली के निजामुद्दीन में रहता है। इंजेक्शन वही उपलब्ध कराता था। चंद दिनों की कालाबाजारी में ही उसने 36 लाख रुपये कमाए हैं। आरोपितों के पास जो कार मिली है, वह भी इन्हीं पैसों से खरीदी गई थी।

डॉ. अल्तमश लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने की सलाह भी दे रहा था। बड़ी कंपनी का सीईओ और नामी न्यूरोलॉजिस्ट होने की वजह से वह आसानी से रैमडेसिविर और दूसरे महंगे इंजेक्शन तक अपनी पहुंच बना लेता था। फिर इसके गैंग के लोग मरीजों तक पहुंचते थे। इंजेक्शन केवल उसी को दिया जाता था, जो इनके लिंक के जरिए आते थे। अनजान लोगों से ये किसी तरह की बात नहीं करते थे।

डॉ. अल्तमश का गैंग गंभीर मरीजों तक अपनी पहुंच बनाता था। 4 हजार रुपये का रेमडेसिविर इंजेक्शन 30 से 40 हजार रुपये के बीच बेच रहे थे। इसी बीमारी में इस्तेमाल होने वाले अक्टेमरा इंजेक्शन की भी कालाबाजारी करते थे। सामान्यतौर पर लगभग 48 हजार रुपये में मिलने वाले इस इंजेक्शन को डेढ़ लाख रुपये में बेचते थे। गाजियाबाद में डिमांड मिलने के बाद इंजेक्शन जाजिब और कुमैल के पास पहुंचता था।

एसएसपी से लेकर थानेदारों तक रोज सैकड़ों लोग रेमडेसिवर इंजेक्शन के लिए कॉल करते हैं। खूब कोशिश के बाद भी ये अफसर इंजेक्शन नहीं दिला पाते थे। कई कॉल ऐसी मिली, जिसमें उन्हीं पीड़ितों ने इंजेक्शन का इंतजाम होने की बात कही। एसएसपी ने स्वाट टीम से संजय पांडेय और घंटाघर कोतवाली से संदीप सिंह को इस प्लान में शामिल किया। पता करने का टारगेट दिया गया कि आखिर ये इंजेक्शन का इंतजाम हुआ कहा से? फिर पुलिस टीम भी पीड़ित बनकर गैंग तक पहुंच गई।

Next Story

विविध