HC ने रूपाणी सरकार को फिर लताड़ा, कहा आंकड़ों में बेड खाली पड़े हैं तो लोग इधर-उधर चक्कर क्यों काट रहे?
जनज्वार डेस्क। गुजरात हाईकोर्ट ने प्रदेश की रुपाणी सरकार को फिर लताड़ लगायी है। दरअसल सरकार की और से बार-बार कोविड मरीजों के लिए पर्याप्त बेड होने का दावा किया जा रहा था। हाईकोर्ट ने इसपर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि अगर यह सच है तो लोग इधर उधर चक्कर क्यों लगा रहे हैं। संक्रमितों को भर्ती क्यों नहीं किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में कहा कि कोविड-19 अस्पतालों एवं अन्य उपचार केंद्रों में 79,944 बेडों में 55,783 ही भरे हैं, बाकी खाली हैं।
सरकारी वकील मनीषा शाह ने चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया की खंडपीठ के समक्ष एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान तथ्य रखा। खंडपीठ ने दो सप्ताह पहले कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस याचिका पर सुनवाई शुरू की थी।
पीठ ने सरकार से कहा- शिकायतें आ रही हैं, शायद आपके पास भी शिकायतें आ रही हों, मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है क्योंकि अस्पतालों में जगह नहीं हैं। बेड उपलब्ध नहीं हैं। आपने जो आंकड़ा दिया है, उससे तो यही जान पड़ता है कि निर्धारित अस्पतालों में खाली बेड हैं।
पीठ ने सरकार से सवाल किया- यदि यह सच है तब लोग ईधर-उधर क्यों चक्कर काट रहे हैं, अस्पतालों में बेड एवं उपचार के लिए पहुंच एवं पैरवी क्यों ढूढ रहे हैं।
कोर्ट ने लोगों के इस दावे पर भी चिंता प्रकट की थी कि अब 108 एंबुलेंस उन मरीजों को लेने आने में काफी वक्त ले रहे हैं जो गंभीर हालत में हैं। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि यदि गंभीर मरीज 108 एंबुलेंस के बजाय यदि निजी वाहन से आते हैं तो उन्हें सरकारी अस्पतालों में क्यों भर्ती नहीं किया जाता है।
सरकार का बचाव करते हुए शाह ने कहा कि वैसे तो मरीजों के घर से कुछ ही दूरी पर कुछ अन्य उपचार केंद्रों में बेड तो हैं लेकिन लोग किन्हीं खास अस्पतालों में ही भर्ती होना चाहते हैं जिससे उन अस्पतालों में सारे बेड भर गये हैं।
सरकारी वकील ने अदालत को यह आश्वासन भी दिया कि सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की है और फिलहाल इस जीवन रक्षक गैस की कोई कमी नहीं है।