बिना मास्क के जनता को जेल और जुर्माना, फिर योगी के मंत्री क्यों उनके आदेश को दिखा रहे ठेंगा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए बेहद सख्ती दिखा रही है, लेकिन उनके ही मंत्री-मिनिस्टर उनके आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं या फिर शायद उन पर उनके ही मुख्यमंत्री के आदेश लागू ही न होते हों, माने वो आदेशों से परे भी हो सकते हैं।
इस खबर के साथ लगी फोटो को देखिये। फोटो में जिस एक व्यक्ति का दांत दिख रहा है वह नंद गोपाल गुप्ता नंदी हैं। नंदी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। फ़ोटो में मुख्यमंत्री से लगाकर सभी उपस्थित लोग खुद को मास्क से लिपटे हुए हैं, लेकिन मंत्री नंदी कोरोना फ्री लग रहे हैं। नंदी योगी से जिस तरह खिलखिलाते हुए बात कर रहे हैं उससे यही लगता है कि उनकी सीएम से अच्छी बॉन्डिंग होगी, जिसके चलते तमाम आदेशों को पीछे छोड़ते हुए उन्हें मास्क पहनने की छूट दी गई हो।
प्रदेश की पुलिस मास्क ना पहनने वालों से 500 रुपये जुर्माना और 10 घंटे की लॉकअप की सैर करवा रही है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के बगल मेंं चल रहे प्राणी सूबे के जिम्मेदार कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी कायदे-कानून से ऊपर हैं। और ऊपर हों भी क्यों ना आखिर वह सूूबे के कैबिनेट मंत्री जो हैं।
कौन हैं नंद गोपाल नंदी?
महज दसवीं पास नंदी इलाहबाद के नामी व्यापारी हैं। इलाहबाद में आपको नंदी ब्रांड का आटा, चावल, नमक, सरिया सब मिल जाएगा। 2014 में दिए अपने हलफनामे में उनकी संपत्ति 95 करोड़ से ऊपर की बताई गयी है। इसमें 1.5 करोड़ का बीमा और करीब 30 करोड़ रूपए की जमीन शामिल है। इनता होने के बावजूद उनके ऊपर 55 करोड़ से ऊपर का क़र्ज़ है।
एक समय में इलाहाबाद दक्षिणी विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता था। इस सीट से भाजपा के दिग्गज नेता केशरीनाथ त्रिपाठी पांच बार चुनाव जीते और यहीं से विधायक रहते हुए विधानसभा अध्यक्ष भी बने। 2007 में भाजपा ने पूरे विश्वास के साथ एक बार फिर उनको ही चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन पंडित केशरी नाथ के जीत का रथ बसपा प्रत्याशी नन्द गोपाल गुप्ता नंदी ने रोक दिया। नंदी यहां 13 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीते।
वर्ष 2007 के इस चुनाव के पहले शायद ही किसी ने नंदी का नाम सुना होगा, मगर इस ऐतिहासिक जीत के बाद गदगद मायावती ने उन्हें मंत्री पद से नवाज़ा। इसके बाद से ही नंदी ने जनता में एक लोकप्रिय नेता की छवि देखी जाने लगी। मंत्री बनने के बाद भी उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र का ध्यान रखा और विकास कार्यों को किसी भी तरह रुकने नहीं दिया।
वहीं 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में नंदी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये। इससे पहले वह बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। भाजपा में जाने से कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ा धक्का लगा। कांग्रेस पहली बार इस सीट पर अपनी पकड़ बनाने के सपने देख रही थी। मंत्री रहते हुए खुद नन्द गोपाल और अभिलाषा ने अपने मेयर के कार्यकाल में इस क्षेत्र में काम भी बहुत किया है।
गुप्ता दंपती की लोकप्रियता को देखते हुए कांगेस को अपनी सीट तय लग रही थी, लेकिन नंदी के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है। मगर व्यापारी वर्ग से आने वाले नंदी ने वहीं किया जो उन्हें बेहतर लगा।