Begin typing your search above and press return to search.
कोविड -19

निजी अस्पताल में कोवैक्सिन के ज्यादा रेट रख आपदा में मुनाफे का अवसर तलाश रही निर्माता कंपनियां

Janjwar Desk
17 Jun 2021 4:00 AM GMT
निजी अस्पताल में कोवैक्सिन के ज्यादा रेट रख आपदा में मुनाफे का अवसर तलाश रही निर्माता कंपनियां
x
सरकार दावा, 31 दिसंबर तक पात्र लोगों का शत प्रतिशत टीकाकरण, लेकिन जो 25 प्रतिशत टीके निजी अस्पतालों को उपलब्ध कराने की नीति बनाई, इसमें निर्माता कंपनी को दिया जा रहा भारी मुनाफा कमाने का मौका.....

जनज्वार ब्यूरो। कोविड संक्रमण से बचाने वाले रामबाण रूपी टीकों पर निर्माता कंपनी अब भारी मुनाफा कमाने की संभावना तलाश रही है। टीकाकरण के सरकारी दावों के बाद भी तेजी नहीं आ रही है, लोगों को कोविड संक्रमण से बचाने वाले टीके मिल नहीं रहे हैं। इस सब के बीच कंपनी ने निजी अस्पतालों को उपलब्ध कराए जाने वाले टीके की कीमत ज्यादा वसूलने की तैयारी कर ली है।

कंपनी का यह निर्णय केंद्र सरकार के उन दावों को भी झटका है, जिसमें 31 दिसंबर तक शत प्रतिशत अभियान की बात कही जा रही है।

हकीकत यह है कि अभी भी सरकारी टीकाकरण अभियान फिसड्डी ही साबित हो रहा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 1.8 अरब टीके हासिल करना मुश्किल है। पिछले कुछ समय से टीकाकरण कुछ तेज हुआ है। महीने भर पहले औसत 15 लाख औसतन से 27 लाख तक पहुंचा है। जो कि लक्ष्य से काफी पीछे हैं।

सरकारी स्तर पर टीका नहीं मिलत तो लोगों की उम्मीद निजी अस्पतालों पर टिकती है। टीका निर्माता कंपनी भी इस तथ्य को जानती है। मोटा मुनाफा वसूलने के चक्कर में कंपनी ने निजी क्षेत्र को उपलब्ध कराए जाने वाले टीके के दाम 1200 रुपए प्रति खुराक रखे हैं।

निर्माता कंपनी के इस निर्णय की कड़ी आलोचना हो रही है। महामारी के वक्त दवा कंपनी के मुनाफा कमाने की इस नीति को गलत ठहराया जा रहा है।

भारत बायोटेक ने निजी अस्पतालों में कोवैक्सिन के ज्यादा दाम पर बड़ा अजीबोगरीब तर्क दिया है। निर्माता कंपनी ने दावा किया कि इसके पीछे लागत करना है। जब सरकार मुफ्त में इंजेक्शन प्रदान कर रही है, तो जाहिर है निजी खरीदों के लिए दाम ज्यादा रखना जरूरी हो जाता है।

कंपनी ने यह भी दावा किया कि टीका विकसित करने पर उन्हें भारी खर्च करना पड़ा। अब यदि टीके की कीमत ज्यादा नहीं रखी जाएगी तो कैसे लागत कम हो सकती है? कंपनी टीके को लेकर ज्यादा कीमत पर अब जो बयान दे रही है, वह कंपनी के अधिकारियों के पहले बयानों से मेल नहीं खा रहे हैं।

क्योंकि भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने अगस्त 2020 में दावा किया था कि वैक्सीन पानी की एक बोतल से भी कम में बेची जाएगी। इसके बाद अब निजी अस्पताल के लिए दवा की कीमत ज्यादा क्यों रखी जा रही है। हालांकि भारत में यह टीके पात्र लोगों को सरकारी की ओर से मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह निजी क्षेत्र के अस्पताल प्रबंधन पर निर्भर करता है कि वह वह यह टीके खरीदे या नहीं।

कंपनी की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि निजी अस्पताल में टीका लगवाना है या नहीं, यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। उसे विवश नहीं किया जा सकता कि वह टीका निजी अस्पताल में लगवाए। फिर भी यदि निजी अस्पताल में टीका उपलब्ध रहता है, तो वह लोग यहां से टीका लगवा सकते हैं, जो इसकी कीमत अदा कर सकते हैं। ऐसे लोग जो पंजीकरण कराना नहीं चाहते और जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहते हैं। उनके पास निजी अस्पताल एक विकल्प हो सकता है।

कंपनी ने सरकार के लिए कीमत 150 रुपए प्रति प्रति खुराक रखी है, जबकि निजी अस्पतालों से एक खुराक के लिए 1,200 रुपये वसूले जाते हैं। राज्यों को प्रति टीका लगभग 400 रूपए की दर से उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि अब राज्यों को टीका नहीं खरीदेंगे, क्योंकि अब केंद्र की अपनी ओर से 75% ख़रीदेगा। पहले राज्य भी टीका कंपनी से खरीद सकते थे, लेकिन बाद में इस नीति में बदलाव कर दिया गया। 25 प्रतिशत टीका निजी अस्पताल खरीद सकते हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार ने पॉलिसी में जो बदलाव किए हैं, इस वजह से टीका कंपनी को मनमानी करने का मौका मिल रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, इससे बचने का एकमात्र उपाय टीके हैं। होना तो यह चाहिए कि सब कुछ छोड़ कर देश में टीकाकरण अभियान पूरे जोर शोर से चलाया जाए। हो इसके विपरीत रहा है। टीकाकरण अभियान में मुनाफा कमाने की कोशिश हो रही है महामारी के वक्त यह कोशिश सही नहीं है।

हैदराबाद स्थित फर्म ने कहा कि उसे शेष 25% टीकों के लिए ज्यादा कीमत वसूलने दी जानी चाहिए। क्योंकि यह टीके निजी अस्पतालों द्वारा खरीदा जाएगे। कंपनी ने एक ओर तर्क यह भी दिया कि 150 रुपए की दर से 75% टीकों को भी लंबे समय तक उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।

कंपनी निजी अस्पतालों को उपलब्ध कराने वाले टीकों की कीमत तब बढ़ाना चाह रही है जब भारत में टीकों की भारी कमी है। खासकर जब सरकार ने 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी नागरिकों के लिए टीकाकरण शुरू करने की घोषणा की, जो 900 मिलियन से अधिक लोग हैं।

कंपनी की ओर से दावा किया जा रहा है कि टीके की रिसर्च, इसे विकसित करने और निर्माण करने की सुविधाओं पर 500 करोड़ से अधिक का निवेश किया है। इसके साथ ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को रॉयल्टी भी देनी पड़ रही है। इसके साथ ही यूएस की फर्म वीरो वैक्स को भी रॉयल्टी का भुगतान करना पड़ता है।

फर्म की ओर से यह भी कहा गया कि यदि वैक्सीन के लिए निजी क्षेत्र के रेट अलग से निर्धारण करने की अनुमति नहीं मिलती तो भारत में नई खोजों में दिक्कत आ सकती है।

कंपनी की ओर से दावा किया गया कि यदि इस तरह की खोजों से तैयार किए गए उत्पादों की कीमत कम रखी गई तो इसका असर भविष्य में भी पड़ेगा। क्योंकि तब कोई नई खोज पर भारी खर्च करने का जोखिम उठाने से बचेगा।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध