कोरोना से अंडमान के ग्रेट अंडमानी आदिवासियों पर अस्तित्व का संकट, मात्र 59 की आबादी में 9 पॉजिटिव
पोर्ट ब्लेयर। अंडमान निकोबार द्वीप समूह के टापू पर रहने वाली दुर्लभ जनजाति ग्रेट अंडमानी के 9 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। कोरोना के मामले सामने आने के बाद इस जनजाति पर खतरे की घंटी मंडरा रही है। चिंताजनक बात यह है कि इस समुदाय के अब सिर्फ 59 लोग ही जीवित बचे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, ग्रेट अंडमानी जनजाति के संक्रमित हुए 9 लोगों में 5 सदस्य ठीक हो चुके हैं और उन्हें होम क्वारंटीन में रखा गया है। इसके अलावा चार अन्य लोगों का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।
अधिकारियों को चिंता इस बात की है कि चार नए मामले दूरस्थ स्ट्रेट आइसलैंड में पाए गए हैं जो कि जनजातीय क्षेत्र है जहां सरकार उनके भोजन और रहने की व्यवस्था करती है। शुक्रवार को एक विशेष सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी जारवा, शोमेन और ओंगे जैसी जनजाति पर कड़ी नजर रखने के लिए द्वीप पर पहुंचेगा।
इस केंद्र शासित प्रदेश में अबतक 2985 मामले सामने आ चुके हैं, इनमें 676 एक्टिव मामले हैं, जबकि 41 लोगों की मौत इस महामारी से हो चुकी है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. अविजित रॉय ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने सभी 59 ग्रेट अंडमानी (34 स्ट्रेट आइसलैंड में और 24 पोर्ट ब्लेयर में) लोगों का परीक्षण किया था, उनमें से पांच का टेस्ट पॉजिटिव आया था।
उन्होंने कहा कि स्ट्रेट द्वीप पर चार लोगों के नमूने 22 अगस्त को लिए गए थे, जिनका टेस्ट पॉजिटिव आया था। हमें अगले दिन रिपोर्ट मिली। उन्हें पोर्ट ब्लेयर में जीबी पंत अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ले जाया गया। वे अच्छी तरह से सहयोग कर रहे हैं और तेजी से ठीक हो रहे हैं।
अंडमान-निकोबार ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के एक प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और निदेशक विश्वजीत पंड्या ने कहा, 'द ग्रेट अंडमानी एक छोटी आबादी हैं, लेकिन वे सामान्य आबादी के संपर्क में हैं। जबकि किसी को स्ट्रेट आइलैंड जाने की अनुमति नहीं है, उन्हें पोर्ट ब्लेयर में आने और रहने की अनुमति है। इसलिए उन्हें कोविद मिलने का खतरा अधिक था।'
एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मानव विज्ञानी अमित कुमार घोष ने बताया कि 1850 के दशक में ग्रेट अंडमानी 5,000 और 8,000 के बीच थे। फिर एक कॉलोनी स्थापित की गई और सिफलिस, गोनोरिया, फ्लू और अन्य जैसी बीमारियां फैल गईं। 1901 तक उनकी जनसंख्या गिरकर 625 तक रह गई और 1931 की जनगणना तक केवल 90 ग्रेट अंडमानी ही बचे थे। 1960 के दशक तक वे मात्र 19 तक थेऔर स्ट्रेट आइसलैंड में बसे थे।
घोष ने कहा कि खतरा अन्य जनजातियों के लिए भी अधिक है। द ग्रेट अंडमानी पिछले 50 वर्षों से बाहरी लोगों के संपर्क में हैं। लेकिन इस तरह की बीमारी जारवास और सेंटिनलिज की पूरी आबादी को मिटा सकती है।
अविजित रॉय ने बताया कि 'आदिवासी समूहों के क्षेत्रों में किसी को भी अनुमति नहीं है। सभी सरकारी और स्वास्थ्य अधिकारी जो वहां जाते हैं, उनकी यात्राओं से पहले कोविड के लिए परीक्षण किया जाता है। केवल आवश्यक वस्तुओं वाले वाहन अंडमान ट्रंक रोड पर जा रहे हैं, जो जारवा रिजर्व के बीच से कटता है और वाहनों के चालकों और अन्य का भी अनुमति से पहले परीक्षण किया जाता है।
जारवास के आदिवासी कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'एएनएम और विभाग के अधिकारियों की एक छोटी टीम जंगल के पास तैनात है जहाँ जनजाति रहती है, जो दूरी बनाए रखते हुए एक नज़र रखती है। उन सभी को एक आइसोलेशन सुविधा में रखा गया है और नियमित रूप से परीक्षण किया गया है।'