Omicron : प्रोफेसर जी.एन.साईबाबा दोबारा कोरोना की चपेट में, पत्नी वसंता ने अदालत से की ये अपील
(प्रोफेसर जी.एन.साईंबाबा का कोविड टेस्ट आया पॉजिटिव)
Omicron : माओवादियों से संपर्क रखने और देश के खिलाफ युद्द छेड़ने के आरोप में जेल में बंद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी.एन.साईबाबा (Professor G.N.Saibaba) कोरोना की चपेट में आ गए हैं। यह जानकारी उनकी पत्नी वसंता ने दी है। बता दें कि प्रोफेसर साईबाबा पोलियोग्रस्त होने की वजह से शारीरिक रूप से करीब 90 फीसदी अक्षम हैं।
उनकी पत्नी वसंता ने बताया कि डॉ. साईबाबा का कोविड (Covid 19) टेस्ट फिर से पॉजिटिव आया है। जेल अधिकारियों ने अभी तक हमसे संपर्क नहीं किया है। उन्होंने पहले हमें बताया था कि वह बेहद कमजोर महसूस कर रहे हैं और लगातार पीठ के दर्द के कारण रातों की नींद हराम है। मैं बहुत चिंतित हूं कि वह कोविड के हमले को कैसे सहन करेंगे क्योंकि पिछली बार जब उनको कोविड हुआ था तब भी वह ठीक से ठीक नहीं हुए थे। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी खराब हो गई है और उनके शरीर के जीवित रहने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो रही है।
वसंता ने आगे कहा, मैं नागपुर जेल अथॉरिटी और अदालत से आग्रह करती हूं कि कृपया उन्हें तत्काल एक अस्पताल में भर्ती कराएं जहां उनकी निगरानी की जा सके क्योंकि उन्हें दिल की बीमारी के साथ-साथ कोविड गंभीर मुश्किलें पैदा कर सकता है।
बता दें कि प्रोफेसर जी.एन.साईबाबा पहले भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। फरवरी 2021 में भी वह कोरोना की चपेट में आए थे।
इसके पहले उन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने 9 मई 2014 को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार के बाद उन्हें नागपुर की कुख्यात जेल की 'अंडा सेल' में रखा गया। वहां कई बार उनकी तबियत बिगड़ी जिसे लेकर पुलिस की काफी आलोचना भी हुई थी।
प्रोफेसर साईबाबा और चार अन्य को गढ़चिरौली की एक अदालत ने साल 2017 में माओवादियों से संपर्क रखने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए सजा सुनाई थी। तब से वह नागपुर जेल में हैं।
कौन हैं जीएन साईंबाबा
जीएन साईबाबा का जन्म आंध्रप्रदेश के एक गरीब परिवार में हुआ था। साईबाबा 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं। साल 2003 में दिल्ली आने से पहले उनके पास व्हीलचेयर खरीदने के भी पैसे नहीं थे लेकिन पढ़ाई में हमेशा से काफी तेज थे।
9 मई 2014 में गिरफ्तार होने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े रामलाल कॉलेज में अग्रेजी के प्रोफेसर थे। जीएन साईबाबा ने ऑल इंडिया पीपुल्स रेजिस्टेंस फोरम के एक कार्यकर्ता के रूप में कश्मीर और उत्तर पूर्व में मुक्ति आंदोलनों के समर्थन में दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए प्रचार के लिए दो लाख किमी से अधिकी यात्रा की थी।