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कोविड -19

Omicron Variant : ओमिक्रॉन वैरिएंट को लोगों में फैलने देना चाहिए, डॉक्टर्स क्यों कर रहे हैं ऐसा दावा?

Janjwar Desk
29 Dec 2021 2:41 PM GMT
कई डॉक्टर्स और रिसर्चर्स का मानना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट लोगों तक फैलने देना चाहिए
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(कई डॉक्टर्स यह भी दावा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन काफी कम घातक है)

Omicron Variant : कई डॉक्टर्स यह भी दावा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन काफी कम घातक है, इसलिए सरकारों को इसे लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाकर रोने के बजाय पूरी आबादी में फैलने देना चाहिए....

Omicron Variant : कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) दुनियाभर में तेजी से अपने पांव पसार रहा है। इसके साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि इससे होने वाली मौतों को लेकर वैज्ञानिकों (Scientists) ने अब तक कोई बड़ा दावा नहीं किया है। दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले ओमिक्रॉन का मामला सामने आया था। बाद में ब्रिटेन में भी बड़ी संख्या तक इसने लोगों को संक्रमित किया। दोनों देशों के आंकड़ों के देखा जाए तो इससे पता चलता है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने या उनकी मौत होने के मामले काफी कम हैं। वहीं इस वैरिएंट पर शोध कर रहे मेडिकल साइंटिस्ट पूरी दुनिया से अपील कर रहे हैं कि इसके असर को देखने के लिए रुकना चाहिए और पूरे एहतियात बरतने चाहिए।

हालांकि दूसरी ओर कई डॉक्टर्स (Doctors) यह भी दावा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन काफी कम घातक है। इसलिए सरकारों को इसे लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाकर रोने के बजाय पूरी आबादी में फैलने देना चाहिए। जिन डॉक्टर्स ने यह बात कही है उनमें एक बड़ा नाम अमेरिकी डॉक्टर एफशाइन इमरानी का है। इमरानी कैलिफोर्निया स्थित लॉस एंजेलिस के जाने-माने हार्ट स्पेशलिस्ट हैं और कोरोना महामारी के दौरा उन्होंने सैकड़ों मरीजों की जान बचाने में मदद की।

इमरानी समेत कई डॉक्टर, रिसर्चर्स का मानना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले काफी कम घातक है और इसके कम घातक होने की वजह से न तो लोग गंभीर रूप से बीमार होंगे और न ही उन्हें अस्पतालों में भर्ती होना पड़ेगा।

दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग के अध्ययन में कहा गया है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों को बाकि वैरिएंट्स के मुकाबले सत्तर फीसदी तक कम अस्पताल आने की जरूरत पड़ रही है। इतना ही नहीं ओमिक्रॉन से लोगों की मौत होने की संभावना भी काफी कम है। साथ ही उनमें कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी भी विकसित हो जाएगी, जो लंबे समय तक साथ रहेगी और यहीं से कोरोना महामारी का अंत शुरू हो जाएगा।

ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा के मुकाबले हवा में 70 गुना तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह लोगों को डेल्टा वैरिएंट की तरह बीमार क्यों नहीं कर रहा है, इसके पीछे जो शोध सामने आए हैं उनमें पाए गए हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट ब्रॉन्कस यानि फेफड़ों और श्वास नली को जोड़ने वाली नली में खुद को तेजी से बढ़ाता है। जबकि फेफड़ों पर इसका असर ज्यादा नहीं पड़ता।

डॉक्टरों का दावा है कि ओमिक्रॉन फेफड़ों में पहुंचकर डेल्टा के मुकाबले काफी धीमी रफ्तार से संक्रमण फैलाता है। इसलिए ओमिक्रॉन संक्रमितों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ रही। इसके अलावा हमारी श्वासनली में भी एक म्यूकोसल इम्यून सिस्टम होता है जो कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का केंद्र होता है। जैसे ही ओमिक्रॉन यहां से फैलना शुरू होता है यह केंद्र अपने आप सक्रिय हो जाता है और इससे निकलने वाली एंटी बॉडी ओमिक्रॉन को खत्म कर देकी है। यानि ओमिक्रॉन शरीर में ही गंभीर बीमारी के तौर पर नहीं पनप पाता है।

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