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कोविड -19

कोरोना महामारी की भयावहता के चरम के बीच स्कूलों को खोलना बहुत खतरनाक

Janjwar Desk
7 Aug 2020 4:33 AM GMT
कोरोना महामारी की भयावहता के चरम के बीच स्कूलों को खोलना बहुत खतरनाक
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निशंक का दावा, केंद्र सरकार समग्र शिक्षा योजना के तहत जारी कर चुकी है 7,622 करोड़ रुपये 

कहा जा रहा था कि बच्चों से बड़ों को कोरोना संक्रमण नहीं होता है, पर अमेरिका और इजराइल के उदाहरण ने इसे गलत साबित कर दिया है...

महेंद्र पांडेय की टिप्पणी

जनज्वार। कोविड 19 के दौर शुरू होते ही स्कूल, कॉलेज और दूसरे शिक्षा संस्थान बंद कर दिए गए थे, पर लम्बे अंतराल के बाद बीच-बीच में इनके खुलने की मांग होने लगती है। अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प लगातार स्कूलों को खोलने की वकालत करते रहे हैं, इसके विरोध में अब शिक्षक भी आन्दोलन कर रहे हैं। इजराइल में मई के महीने में ही स्कूल खोल दिए गए थे, जबकि अनेक यूरोपीय देश अब इस दिशा में बढ़ रहे हैं।

अब तक लगातार यही कहा जाता रहा है कि छोटे बच्चे और किशोरों के कोविड 19 से कोई खतरा नहीं हैं क्योंकि इनमें संक्रमण की दर लगभग नगण्य है, और यदि संक्रमण होता भी है तो वह बिना लक्षण वाला होता है।

यह भी कहा जाता है कि बच्चों से बड़ों को संक्रमण नहीं होता है, पर अमेरिका और इजराइल के उदाहरण ने इसे गलत साबित कर दिया है। इजराइल में कोविड 19 के दौर के आरम्भ में मार्च में सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे, पर मई में जब संक्रमण की दर कम होने लगी तब स्कूलों को शर्तों के साथ वापस खोल दिया गया।

जाहिर है शर्तों में सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क, डीसिंफेक्टेंट इत्यादि शामिल थे, स्कूल में जाने से पहले बच्चों और शिक्षकों का तापमान भी चेक किया जाता था। फिर भी अनेक स्कूलों ने इस दौरान संक्रमण के मामले सामने आये और फिर स्कूलों को बंद करना पड़ा।

जेरुसलम के एक स्कूल में 153 छात्र और 25 शिक्षक कोविड 19 से संक्रमित पाए गए थे। ऐसे ही मामले इजराइल के अन्य क्षेत्रों से सामने आये हैं, जिसके बाद अनेक स्कूलों में समय से पहले गर्मी की छुट्टी घोषित कर दी गई। इस बीच इजराइल की जनस्वास्थ्य प्रमुख सिएगेल सदेत्ज्की ने अपने पद से यह कहते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है कि उनके सुझावों पर सरकार अमल नहीं कर रही है। कोविड 19 के सन्दर्भ में उनके सुझावों में फिलहाल स्कूल नहीं खोलना शामिल था।

अमेरिका के जॉर्जिया प्रान्त में जून के अंत में बच्चों के एक एक समर कैम्प में भी कोविड 19 ने अपना प्रभाव दिखाया था, इसके 260 कर्मचारियों और 200 छात्रों में कोविड 19 का संक्रमण पाया गया था। हालांकि बच्चों में संक्रमण बिना लक्षणों वाला था, पर इनसे कर्मचारियों तक संक्रमण फ़ैल गया।

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भले ही बच्चों को बिना लक्षण वाला संक्रमण हो रहा हो, पर इस घटना से स्पष्ट है कि बच्चे भी सामुदायिक संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कर्मचारियों और बच्चों द्वारा तमाम दिशानिर्देशों का पालन करने के बाद भी प्रभावी संक्रमण हो गया।

इससे पहले सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन की COVID-19 से सम्बंधित रिपोर्टों में यही बताया जाता था कि बच्चों में संक्रमण नहीं होता, और यदि हो भी गया तब भी वे बड़ों को संक्रमित नहीं कर सकते। इस समर कैम्प में 6 से 19 वर्ष की आयु तक के लगभग 600 बच्चे और किशोर हिस्सा ले रहे थे, जिसमें से 200 से अधिक कोविड 19 की गिरफ्त में आ गए।

हार्वर्ड विश्विद्यालय के संचारी रोग विशेषज्ञ विलियम हनगे के अनुसार यह धारणा बिलकुल गलत है कि बच्चों से संक्रमण नहीं फैलता। दरअसल बच्चों पर COVID-19 के प्रभाव का गंभीर आकलन किया ही नहीं गया है। जब दुनियाभर में संक्रमण का आरम्भ हुआ, तभी सारे शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए, और इनमें से अधिकतर आज भी बंद हैं। जाहिर है ऐसे में वैज्ञानिकों को बच्चों पर गंभीर अध्ययन का मौका नहीं मिला।

बच्चों पर जो कुछ भी अध्ययन किये गए हैं, वे सभी घर के माहौल में किये गए हैं, जहां घर का कोई वयस्क या वृद्ध सदस्य पहले से ही संक्रमित था। अब जबकि यूरोप, अमेरिका, चीन या इजराइल में स्कूल खुल रहे हैं, तब एक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है, जिससे बच्चों को इसके प्रभावों से बचाया जा सके।

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