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कोविड -19

Recombinant Variants : कोरोना को लेकर न पालें खुशफहमी, चौथी लहर ला सकता है रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट, जानिए उसके बारे में

Janjwar Desk
22 March 2022 1:50 PM GMT
Recombinant Variants : चौथी लहर ला सकता है नया कोरोना, रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट क्या है ?
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(फिर बढ़ रहे कोरोना के मामले, चौथी लहर ला सकता है नया कोरोना)

Recombinant Variants : रिकॉम्बिनेंट वेरिएंट्स की पहचान अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और इजरायल जैसे मुल्कों में हो चुकी है, वहां कोविड संक्रमित कुछ लोगों में ये नए वेरिएंट्स पाए जा रहे हैं....

Recombinant Variants : कोरोना (Covid) संक्रमण के मामलों में एक बार फिर से तेजी आने लगी है। कोरोना का नया वेरिएंट्स चौथी लहर ला सकता है। दरअसल SARS-COV2 के कुछ हाइब्रिड वेरिएंट्स को पहले तो सामान्य बताते हुए खारिज कर दिया गया था लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी कड़ाई से जांच कर रहा है। ये मूल रूप से नए वेरिएंट्स हैं जिनमें दो या उससे ज्यादा मौजूदा वेरिएंट्स के गुण पाए जाते हैं। इन्हें रिकॉम्बिनेंट वेरिएंट्स (Recombinant Variants) कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस नए वेरिएंट्स की पहचान समय रहते करना जरूरी है क्योंकि इसमें एंटीबॉडी को भी मात देने की क्षमता हो सकती है। अगर जांच में यह साबित हुआ तो इसका मतलब है कि वेरिएंट्स उन लोगों को संक्रमित करेंगे जिनमें कोरोना से संक्रमण या वैक्सीन लेने से एंटीबॉडी विकसित हुई है।

रिकॉम्बिनेंट वेरिएंट्स की पहचान अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और इजरायल जैसे मुल्कों में हो चुकी है। वहां कोविड संक्रमित कुछ लोगों में ये नए वेरिएंट्स पाए जा रहे हैं। ये नए वेरिएंट्स डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के गुण हैं। हालांकि भारत में अब तक रिकॉम्बिनेंट वेरिएट का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

नए रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट्स के उभार का खतरा

आईएलबीएस के वीसी डॉ. एसके सरीन के मुताबिक देश में जीनोम सिक्वेंसिंग पर गहनता से काम हो रहा है लेकिन अबतक एक भी मामला नहीं मिला जिसमें नए वेरिएंट्स का सबूत मिला हो। एम्स के पूर्व डीन डॉ. एनके मेहता कहते हैं कि कमजोर इम्युनिटी वाले कोविड संक्रमित मरीजों में वायरस लंबे समय तक मौजूद रहता है भले ही उसमें लक्षण कमजोर पड़ जाएं। इस कारण उनसे दूसरो को संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। नए रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट्स के उभार का भी खतरा पैदा हो जाता है।

डॉ. मेहता कहते हैं कि डॉ. एकता गुप्ता की अध्यक्षता वाले हमारे वायरॉलजी लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग के ताजा रिजल्ट बताते हैं कि करीब 98 फीसदी मरीज बीए2 वेरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं जबकि बाकी में बीए1 का संक्रमण है। ये दोनों ओमिक्रॉन वेरिएंट्स के सब-लीनिएज हैं। हालांकि डॉ. सरीन का कहना है कि हमें किसी तरह की खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। उनका कहना है कि हमें नए वेरिएंट्स पर कड़ी नजर रखनी होगी जो कोविड 19 महामारी की चौधी लहर का कारण बन सकते हैं।

नए वेरिएंट्स पर रखनी होगी नजर

वैज्ञानिकों का मानना है कि ताजा लहर ओमिक्रॉन के सब लीनिएज बी2 वेरिएंट के कारण आई है। वायरॉलजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग के मुताबिक देश में कोविड की तीसरी लहर के समय बीए2 से संक्रमित मरीजों की संक्या भारी तादाद में पाई गई थी। लोग उसी वेरिएंट से दोबारा संक्रमित हों जिससे वो पहले हो चुके हैं , इसकी आशंका बहुत कम होती है। हमें नए वेरिएंट पर नजर रखनी होगी।

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