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कोविड -19

जब कोविड में त्राहि-त्राहि कर रहे थे लोग, तब इलाज के नाम पर सीएम के विधानसभा क्षेत्र के निजी अस्पताल संचालक कर रहे थे अवैध वसूली

Janjwar Desk
23 Jun 2021 1:35 PM GMT
जब कोविड में त्राहि-त्राहि कर रहे थे लोग, तब इलाज के नाम पर सीएम  के विधानसभा क्षेत्र के निजी अस्पताल संचालक कर रहे थे अवैध वसूली
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सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए कोरोना को लेकर रेट सूची जारी की है। सूची के मुताबिक जो अस्पताल एनएबीएच मान्यता प्राप्त नहीं है वह आइसोलेशन बेड के लिए फीस 8 हजार, आईसीयू बेड बिना वेंटिलेटर के लिए 13 हजार और आईसीयू बेड वेंटिलेटर के साथ के लिए 15 हजार रुपये ले सकेंगे....

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। जब पूरा देश कोविड माहमारी में त्राहि त्राहि कर रहा था, तब हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल में नौ निजी अस्पताल मरीजों से इलाज के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे। सरकार ने कोविड के इलाज के रेट तय कर रखे थे। इन रेटों का पालन सीएम के विधानसभा क्षेत्र में ही नहीं हुआ। निजी अस्पतालों ने इलाज के दौरान किसाना ज्यादा पैसा लिया, इसकी जांच के लिए करनाल के डीसी ने शुगर मिल एमडी डॉ. अदिति की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी।

कमेटी ने तकरीबन तीन हजार बिलों की जांच की। इसमें सामने आया कि 9 प्राइवेट अस्पतालों ने 481 मरीजों से 57.17 लाख रुपए ज्यादा वसूलने हैं।

इन अस्पताल में सिग्रस अस्पताल, पार्क अस्पताल, विर्क अस्पताल, श्री राम चन्द्र अस्पताल, स्वास्तिक अस्पताल, अर्पणा अस्पताल, दुआ मल्टी स्पैलिस्ट अस्पताल, अमृत धारा अस्पताल, आरपी वैल्टर अस्पताल ने मरीजों से इलाज के नाम पर अवैध वसूली की है, सभी शहर के नामी गिरामी अस्पताल हैं। यहीं नहीं ईश्वर कृपा अस्पताल अंसध द्वारा तो प्रशासन को पूरा रिकार्ड ही नहीं दिया।

यह तथ्य भी कमेटी के सामने आया कि जब संक्रमण जोरो पर था, तब निजी अस्पताल संचालक मरीजों के इजाज में मनमान कर रहे थे। मरीजों के परिजनों की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया। लोगों में क्योंकि डर था कि कहीं डॉक्टर इलाज से ही इंकार न कर दें। इसलिए वह इस मनमानी पर चुप रहे।

अब जबकि हालात कुछ समान्य होने लगे है तो मरीजों के परिजन सामने आने लगे हैं। इसके बाद ही डीसी ने शुगर मिल एमडी की अध्यक्षता में मरीजों से प्राईवेट अस्पतालों द्वारा निर्धारित बिलों से ज्यादा पैसे वसूलने की वैरिफकेशन के लिए कमेटी गठित की थी। जिसने डीसी को रिपोर्ट सौंप दी हैं।

कमेटी ने 15 अस्पतालों के 1 मार्च 2021 से लेकर 31 मई 2021 तक के करीब 3 हजार बिलों की जांंच में 9 प्राईवेट अस्पतालों द्वारा 481 मरीजों से ज्यादा पैसे वसूलने की बात सामने आई है। डीसी ने सिविल सर्जन डा. योगेश शर्मा को निर्देश दिए की प्राईवेट अस्पतालों द्वारा 481 मरीजों से 57 लाख 17 हजार 379 रुपये की जो ज्यादा वसूली की गई है, उसकी संबधित अस्पताल द्वारा जल्दी से जल्दी रिकवरी करवाई जाए।

ये थी सरकारी रेट लिस्ट

सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए कोरोना को लेकर रेट सूची जारी की है। सूची के मुताबिक जो अस्पताल एनएबीएच मान्यता प्राप्त नहीं है वह आइसोलेशन बेड के लिए फीस 8 हजार, आईसीयू बेड बिना वेंटिलेटर के लिए 13 हजार और आईसीयू बेड वेंटिलेटर के साथ के लिए 15 हजार रुपये ले सकेंगे। इसी के साथ एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल में आइसोलेशन बेड के लिए दस हजार, आईसीयू बेड बिना वेंटिलेटर के लिए 15 हजार और जेसीआई व एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल आईसीयू बेड वेंटिलेटर के साथ के लिए 18 हजार रुपये ले सकेंगे। इसके अलावा निजी लैब आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए 450, रैपिड के लिए 500 और आईजीजी एलिसा के लिए 250 रुपये ले सकेंगी। पैकेज में सभी दवाइयों ओर टैस्ट आदि शामिल थे।

विपक्ष के नेता पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि माहमारी से निपटने में यह सरकार पूरी तरह से विफल रही है। जब सीएम के हलके में यह हालात है, बाकी प्रदेश के हालात क्या होंगे?

उन्होंने कहा कि अवैध वसूली की जांच तो होनी ही चाहिए, यह भी जांच होनी चाहिए कि इस दौरान जिम्मेदार क्या कर रहे थे। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि मामले की जांच में जो आरोपी पाए गए हैं, उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज उन्हें गिरफ्तार किया जाए ताकि पीडि़त ओर उनके परिजनों ने उस कठिन दौर में बीमारी के साथ-साथ अस्पतालों की लूट के चलते जो यातनाएं झेली है, उससे कुछ राहत मिल सके। सरकार को चाहिए कि प्राइवेट अस्पताल जब महामारी के दौर में जनता को लूटने से बाज नहीं आते तो सामान्य दिनों में क्या होता होगा। इस पर सरकार को अंकुश लगाने के लिए निगरानी टीम गठित करनी चाहिए। लोगों ने सरकार से मांग भी कि है जिन अस्पतालों ने मानवता को बचाने में ईमानदारी से काम किया, ऐसे अस्पतालों को प्रोत्साहित किया जाए ओर उन्हें रियायतें दी जाए।

जांच कमेटी अध्यक्ष एमडी शुगर मिल डॉ. अदिति ने बताया कि जांच के दौरान सभी बिलों की जांच की गई, जांच के दौरान पैकेज के जो रेट थे, उनके अलावा दवाइयों, टैस्ट ओर पीपीई किट आदि के पैसे लिए गए है। जबकि एक अस्पताल ने पूरा रिकार्ड नहीं दिया। पूरी जांच रिपोर्ट डीसी को सौंप दी हैं।

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