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राजनीति

भारतीय नोट पर तस्वीरों का बदलना नई बात नहीं है, सियासी दखल ने इसे बना दिया पहलवानी अखाड़ा

Janjwar Desk
28 Oct 2022 7:57 AM IST
भारतीय नोट पर तस्वीरों का बदलना नई बात नहीं है, सियासी दखल ने इसे बना दिया पहलवानी अखाड़ा
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1938 में आरबीआई ( RBI ) ने पहली बार पांच रुपए का नोट जारी किया था।, जिस पर किंग जॉर्ज VI की फोटो छपी थी। उसके बाद अशोक स्तंभ, महात्मा गांधी, तंजोर का मंदिर, गेटवे ऑफ इंडिया, आर्यभट्ट उपग्रह, कृषि यंत्र, मोर, रथ का पहिया, शालीमार बाग और हीराकुंड बांध का चित्र भी छप चुके हैं।

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी। स्थापना के करीब तीन साल बाद जनवरी 1938 में आरबीआई ने पहली बार पांच रुपए का नोट जारी किया था। इस नोट ( Note ) पर 'किंग जॉर्ज VI' की फोटो छपी थी। उसके बाद अशोक स्तंभ, महात्मा गांधी, तंजोर का मंदिर, गेटवे ऑफ इंडिया, आर्यभट्ट उपग्रह, कृषि यंत्र, मोर, रथ का पहिया और शालीमार बाग और हीराकुंड बांध का चित्र भी छप चुके हैं। अभी तक नोट ( Indian currency ) पर तस्वीर शासनिक-प्रशासनिक फैसले तक तहत बदले जाते रहे हैं, लेकिन पहली बार इसे चुनावी मुद्दा ( election issue ) बनाया जा रहा है। इसे सियासी मैदान में लॉन्चिंग का काम अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) ने किया है।

हालांकि, लक्ष्मी का फोटो भारतीय मुद्रा ( Indian Note ) पर छापने की मांग भाजपा ( BJP ) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ( Subramanyam Swami ) ने पहली बार 2020 में मोदी सरकार ने की थी, लेकिन उस समय स्वामी की बात को हवा में उड़ा दिया गया था, लेकिन मुद्रा पर तस्वीर को लेकर जिस राजनीति की शुरुआत अब हुई वो समझ से परे हो गया है। खास बात है कि इसकी अरविंद केजरीवाल इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी का पिछलग्गू बनते नजर आ रहे हैं। आप से भी कह सकते हैं दो साल पुरानी उनकी मांग को उन्होंने अपनी पार्टी आप का चुनावी एजेंडा बना लिया है।

कोई भारतीय मुद्रा ( Indian currency ) पर श्री लक्ष्मी ( Lakshmi ) और श्री गणेश ( Ganesh ) जी की मूर्ति लगाने की बात कर रहा तो कोई कह रहा है ​कि केवल हिंदू भगवान ही क्यों, फिर तो लगा अल्लाह, जीसस, गुरु नानक व अन्य धर्मों के भगवानों के तस्वीर भी। अरविंद केजरीवाल, सलमान सोच, मनीष तिवारी, नीतेश राणे, राम कदम जैसे ने भारतीय नोट पर किसकी तस्वीर लगनी चाहिए, इसका नाम भी तय कर दिया है। अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि नोट पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो लगे। उनकी ये मांग बहुत हद तक सुब्रमण्यम से प्रेरित हैं। उसके बाद सलमान सोज ने कहा कि अल्लाह, जीसस, गुरु नानक की फोटो लगाने की मांग मोदी सरकार के सामने रख दी। गुरुवार को नीतेश राणे और विधायक राम कदम ने कहा कि सबसे अच्छा फोटो छत्रपति शिवाजी की है, भारतीय नोटों पर उन्हीं की प्रतिमा लगनी चाहिए। जून 2022 में रविंद्र नाथ टैगोर और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम भी चर्चा में आया था, जिसे आरबीआई ने जारी करने से इनकार कर दिया था।

इस बीच नोटों पर तस्वीर विवाद ( note pic dispute in India ) को लेकर सबसे अच्छा सुझाव राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दिया है। उन्होंने कहा कि ये कोई मुद्दा नहीं है। इसे मुद्दा बनाने से क्या महंगाई कम हो जाएगी। युवाओं को रोजगार मिल जाएगा। उन्होंने सियासी नेताओं ओ नसीहत देते हुए कहा कि नोट पर तस्वीर को सियासी मुद्दा न बनाएं। ये काम उन एजेंसियों को करने दें, जिनकी ये जिम्मेदारी है। उक्त पदों पर बैठे लोंग इन मामलों के विशेषज्ञों व संविधानिक पहलुओं के आधार पर अपना सही निर्णय ले लेंगे। चुनाव लड़ना है तो उन मुद्दों पर लड़िए जिससे किसी समस्या का समाधान होता तो नजर आये। तेजस्वी के इन बातों से साफ है कि वो लोगों को बेवकूफ बनाने के बदले चुनावी गाड़ी को मुद्दों पर लाना चाहते हैं। यहां पर गौर करने वाली बात है कि बहुत सियासी पंडित तेजस्वी यादव का भले की मजाक उड़ाते हैं, लेकिन इस मसले पर उनका सुझाव काबिलेतारीफ है।

फिलहाल, इस विवाद की शुरुआत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भारतीय मुद्रा रुपये पर महात्मा गांधी के साथ भगवान गणेश और लक्ष्मी की फोटो छापने की पैरवी के बाद से शुरू हुई है। यहां इस बात का जिक्र भी जरूरी हो जाता है कि देश में पहले से ही अलग-अलग मूल्य के नोट पर मंदिर ही नहीं, उपग्रह, बांध, उद्यान तक के फोटो छपते रहे हैं।

ये है नोट पर तस्वीर का इतिहास

आजाद के बाद देश में सबसे पहले नोट आरबीआई ने एक रुपया का छापा था। इस नोट को भारतीय मुद्रा के रूप में 12 अगस्त 1949 को जारी किया गया था। इस नोट पर अशोक स्तंभ का चित्र प्रकाशित किया गया था। आरबीआई ने नोट पर पहली बार महात्मा गांधी की फोटो उनके जन्म शताब्दी 1969 में छापी गई थी। वह फोटो जन्मशती स्मारक ने डिजाइन की थी। उस फोटो में पीछे सेवाग्राम आश्रम भी था।

जून 2022 में यह बात सामने आई थी कि आरबीआई रवींद्रनाथ टैगोर और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर वाले नोट जारी करने पर विचार कर रहा है। इस प्रस्ताव को बाद में खारिज कर दिया गया।

इससे पहले भारत में कागजी मुद्रा की शुरुआत 1770 में हुई थी। जब पहली बार बैंक ऑफ हिन्दुस्तान ने रुपए को नोट के रूप में छापा। तब ये नोट कलकत्ता में छापे गए थे। ब्रिटिश राज में पहली बार नोट 1917 में छापे गए थे। 1928 में नासिक में नोट छापने की अनुमति दी गई थी। 1954 में 1000, 5000 और 10,000 के नोट भी छापे गए थे। 1000 के नोट पर तंजोर मंदिर, 5000 के नोट पर गेटवे ऑफ इंडिया व 10,000 पर लॉयन कैपिटल और अशोक स्तंभ के चित्र थे। आजादी के बाद 1949 में एक रुपया का नोट जारी करने के बाद उसमें कई बार बदलाव किए गए। इस नोट पर गेटवे ऑफ इंडिया, बृहदेश्वर मंदिर के चित्र भी छापे गए थे। दो रुपए के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह, पांच रुपए के नोट पर कृषि यंत्र, 10 रुपए के नोट पर मोर, 20 रुपए के नोट पर रथ का पहिया और शालीमार बाग और 100 के नोट पर छपा हीराकुंड बांध का चित्र था।

भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी। स्थापना के करीब तीन साल बाद जनवरी 1938 में आरबीआई ने पहली बार पांच रुपये का नोट जारी किया था। इस नोट पर किंग जॉर्ज VI की फोटो छपी थी।

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