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गरीबों पर संकट: पीडीएस दुकानों से मिलने वाला अनाज हो सकता है महंगा, संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव

Janjwar Desk
30 Jan 2021 1:31 PM GMT
गरीबों पर संकट: पीडीएस दुकानों से मिलने वाला अनाज हो सकता है महंगा, संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव
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संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सिडी के खर्च को असहनीय रूप से अधिक बताते हुए सुझाव दिया गया है कि राशन की दुकानों से दिए जाने वाले अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की जानी चाहिए..

नयी दिल्ली, जनज्वार। देश में खाद्य सुरक्षा के तहत गरीबों को पीडीएस दुकानों के माध्यम से मामूली कीमत पर दिया जाने वाला अनाज महंगा हो सकता है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि पीडीएस दुकानों के माध्यम से गरीबों को मामूली कीमत पर दिए जाने वाले अनाज पर सरकार को सब्सिडी के रूप में भारी भरकम राशि खर्च करनी पड़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में यह सुझाव दिया गया है और इससे देश के 80 करोड़ से ज्यादा गरीब, जिन्हें पीडीएस के माध्यम से मामूली कीमत पर अनाज मिलता है, वे प्रभावित हो सकते हैं।

संसद में शुक्रवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सिडी के खर्च को असहनीय रूप से अधिक बताते हुए सुझाव दिया गया है कि 80 करोड़ लाभार्थियों को राशन की दुकानों से दिए जाने वाले अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्नों को अत्यंत सस्ते पर दिया जाता है। इसके तहत राशन की दुकानों से तीन रुपये प्रति किलो चावल, दो रुपये प्रति किलो गेहूं और एक रुपये प्रति किलो की दर से मोटा अनाज का वितरण होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सर्वेक्षण के अनुसार हालांकि, खाद्य सुरक्षा के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को देखते हुए खाद्य प्रबंधन की आर्थिक लागत को कम करना मुश्किल है, लेकिन बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल को कम करने के लिए केंद्रीय निर्गम मूल्य (सीआईपी) में संशोधन पर विचार करने की जरूरत है। सीआईपी वह रियायती दर है, जिस पर राशन की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न बांटा जाता है।

सरकार ने कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एनएफएसए के तहत सब्सिडी को जारी रखा है। बताया जा रहा है कि इस कानून के 2013 में लागू होने के बाद से गेहूं और चावल की कीमतों में संशोधन नहीं किया गया है, हालांकि हर साल इसकी आर्थिक लागत में बढ़ोतरी हुई है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने 2020 के बजट में पीडीएस और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए खाद्य सब्सिडी के लिए 1,15,569.68 करोड़ रुपये का आवंटन किया था।

आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के अनुसार, सरकार ने 2020-21 के दौरान एनएफएसए और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत दो माध्यमों से खाद्यान्न का आवंटन किया।

आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने के साथ ही संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई, इसके बाद सदन को दो दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। अब 1 फरवरी को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किया जाएगा।

शुक्रवार को वित्त मंत्री ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2021 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों के लिए वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 फीसदी है, जो 2019-20 के संशोधित अनुमानों में कल्पना किए गए वित्तीय घाटे से 0.8 फीसद तथा 2018-19 में राजकोषीय घाटे से 1.2 फीसदी अधिक है।

वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों में प्रभावी राजस्व घाटा जीडीपी का 1 फीसदी बढ़कर जीडीपी का 2.4 फीसदी हो गया है।

सर्वे में बताया गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.7 फीसदी के संकुचन का अनुमान है और अप्रैल 2021 से शुरू होने वाले आगामी वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी होने की उम्मीद है।

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