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मध्यवर्ग के लिए महत्वपूर्ण खबर, कर्ज में ब्याज पर नहीं मिलेगी छूट, सिर्फ पेमेंट में थोड़ी देरी संभव

Janjwar Desk
4 Sep 2020 4:58 AM GMT
मध्यवर्ग के लिए महत्वपूर्ण खबर, कर्ज में ब्याज पर नहीं मिलेगी छूट, सिर्फ पेमेंट में थोड़ी देरी संभव
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File photo

सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील रख रहे हैं, उन्होंने कहा है कि ब्याज में छूट नहीं दे सकते, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे....

नयी दिल्ली। लॉकडाउन में ईएमआई मोरेटोरियम पर बैंक ब्याज की छूट नहीं दे सकते। आरबीआई की तरफ से दिये गये लोन मोरेटोरियम को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की मांग वाली कई अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील रख रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने कहा है कि ब्याज में छूट नहीं दे सकते, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे।

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेक्टर इकोनॉमी की रीढ़ है। हम अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं ले सकते। उल्लेखनीय है कि लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज की किश्त को कुछ महीनों के लिए टालने की यह छूट आरबीआई ने दी थी।

कोरोना की स्थिति और लॉकडाउन को देखते हुए मार्च में 3 महीने के लिए सुविधा दी गई थी। फिर 3 महीने और बढ़ाकर अगस्त तक कर दी गयी। अब, जब मोरेटोरियम के 6 महीने पूरे हो चुके हैं, तो ग्राहक कह रहे हैं कि इसे और बढ़ाना चाहिए।

इसमें सबसे अहम मांग यह है कि मोरेटोरियम पीरियड का ब्याज भी माफ होना चाहिए। क्योंकि, ब्याज पर ब्याज वसूलना तो एक तरह से दोहरी मार होगी। इसकी वजह ये है कि आरबीआई ने सिर्फ ईएमआई टालने की छूट दी थी, लेकिन बकाया किश्तों पर लगने वाला ब्याज तो चुकाना पड़ेगा।

ग्राहकों के एक ग्रुप और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के महाराष्ट्र चैप्टर की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार की सुनवाई में कहा, मोरेटोरियम नहीं बढ़ा, तो कई लोग लोन पेमेंट में डिफॉल्ट करेंगे। इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को सेक्टर वाइज प्लान तैयार करना चाहिए।

रिएल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई की ओर से वकील ए सुंदरम ने दलील रखी, मोरेटोरियम में ग्राहकों से ब्याज वसूलना गलत है। इससे आने वाले समय में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ सकते हैं।

शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से वकील रणजीत कुमार ने कहा, कोरोना की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्हें राहत देने के उपाय किए जाने चाहिए। आरबीआई सिर्फ बैंकों के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर सकता। हमारी स्थिति वाकई खराब है। थिएटर, बार और फूड कोर्ट बंद हैं। हम कैसे कमायेंगे और कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगे? कोर्ट से अपील करते हैं कि सेक्टर वाइज राहत देने पर विचार होना चाहिए।

इससे पहले मंगलवार को सरकार ने कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए मोरेटोरियम पीरियड 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।

सरकार का यह जवाब इसलिए आया, क्योंकि 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में 7 दिन में स्थिति साफ की जाये। कोर्ट ने कमेंट किया था कि सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद फैसला लेने का अधिकार है।

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से आरबीआई ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी। बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया।

आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जायेगा। लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा।

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