मोदी ने नोटबंदी को बताया था भारतीय अर्थव्यवस्था का रामबाण इलाज, उल्टे रसातल में पहुंच गई हमारी इकोनाॅमी
2016 में नोटबंदी का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी।
जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में नोटबंदी किए जाने के आज चार साल पूरे हो गए। आठ नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने रात आठ बजे एक घोषणा में देश में नोटबंदी का ऐलान कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस कदम के तहत 1000 व 500 के बड़े नोटों के प्रतिबंधित कर दिया और उसके विकल्प के रूप में 500 के नए और 2000 रुपये के नए नोट लाए।
उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस फैसले की वजह हवाला कारोबार, आतंकवाद, नकली नोट के धंधे के रैकेट को रोकने, कालाधन पर रोक के लिए आवश्यक बताया था और अपने फैसले को देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला बताया था। ऐसे में नोटबंदी के चार वर्ष पूरे होने पर यह जानना जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के अनुसार, हमारी अर्थव्यवस्था ने इन पांच वर्षां में कितनी ऊंर्चाई हासिल की या कितनी गर्त में गई।
जीडीपी हो गई धराशायी
नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी लगातार गिरती गई। पूर्व प्रधानमंत्री व अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि इससे भारत की जीडीपी दो प्रतिशत तक गिर सकती है। 2017-18 में भारत की जीडीपी ग्रोथ सात प्रतिशत पर थी, जो 2018-19 में गिर कर 6.1 प्रतिशत हो गई और फिर 2019-20 में गिर कर वह 4.2 प्रतिशत हो गई। चालू वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 में उसके माइनस 10.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
2020 के दूसरे क्वार्टर में तो जीडीपी माइनस 23.9 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट है और निश्चित रूप से जिस तरह इसकी एक वजह के रूप में कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन को खारिज नहीं किया जा सकता है, उसी तरह दूसरी वजह के रूप में नोटबंदी को भी खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि गिरावट का यह ट्रेंड नोटबंदी के बाद से ही शुरू हो गया था।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर हुआ चौपट
नोटबंदी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसके असर को लेकर विभिन्न प्रकार के शोध किए गए हैं, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे गहरा नुकसान पहुंचने की बात कही गई है। इन्हीं में से एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि नोटबंदी ने बहुसंख्यक बिल्डरों के बिजनेस को खत्म कर दिया और इससे सबसे अधिक दिक्कत छोटे बिल्डरों को हुई जो कैश में काम करते थे। बैंक ट्रांसफर व चेक ट्रांजेक्शन की बाध्यता ने कंस्ट्रक्शन बिजनेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इससे सबसे अधिक नुकसान वैसे छोटे बिल्डरों को हुए जो अनधिकृत रूप से इस कारोबार में संलग्न रहे हैं। नकद में जमीन की खरीद बिक्री जैसे होने वाले काम पर भी इसका बुरा असर पड़ा।
पर्यटन और होस्पटिलिटी
नोटबंदी ने पर्यटन व होस्पटिलिटी के कारोबार को भी नुकसान पहुंचाया। इस कारोबार में अधिकतर खर्च नकद में होता रहा है। नकदी संकट के कारण लोकल टूरिज्म प्रभावित हुआ। पर्यटन क्षेत्र में भी असंगठित व्यापार अधिक प्रभावित हुआ।
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