भारत में 12 रुपया सस्ता बिकना चाहिए पेट्रोल - डीजल, लेकिन मोदी सरकार नहीं घटा रही दाम, आखिर क्यों ?
Petrol-Diesel Price : पिछले तीन माह में तो कच्चे तेल अंतररराष्ट्रीय बाजार में 26 डॉलर सस्ता हुआ हैं, पर कंपनियों ने तेल के भाव को स्थिर रखा है।
Petrol-Diesel Price : अंतरराष्ट्रीय बाजार ( International Market ) में कच्चे तेल की कीमत ( Crude Oil Price ) सात महीने के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच है। इसके बावजूद मोदी सरकार ( Modi Government ) आम लोगों को कीमतों में राहत देने के लिए तैयार नहीं है। सरकार और तेल कंपनियां कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी कमी का फायदा ग्राहकों को देने से बच रही हैं। पिछले तीन माह में तो कच्चे तेल अंतररराष्ट्रीय बाजार में 26 डॉलर सस्ता हुआ हैं, पर कंपनियों ने तेल के भाव को स्थिर रखा है। इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर हो रहा है।
जनता को राहत देने को लेकर सरकार मौन
अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल ( Petrol-Diesel Price ) की कीमतों में गिरावट के अनुपात में कमी करतीं तो पेट्रोल और डीजल 11.70 रुपए के करीब सस्ता हो सकते थे। 6 जून को कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल था जबकि अब यह 94 डॉलर प्रति बैरल पर है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें भारतीय बाजार में 7 अप्रैल से स्थिर हैं। इनमें न तो बढ़ोतरी हुई और न ही गिरावट हुई।
नुकसान का भरपाई करने में जुटी हैं तेल कंपनियां
अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल ( Crude Oil Price ) के जानकारों का कहना है कि आगे कच्चे तेल की कीमतें 80 से 85 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। एसएमसी ग्लोबल के एक रिसर्च हेज के मुताबिक कच्चा तेल अगर एक बैरल पर एक डॉलर कम या ज्यादा होता है तो देश की तेल कंपनियों को एक लीटर पर 45 पैसे का असर हो होता है।
इस लिहाज से देखा जाए तो 26 डॉलर के आधार पर 11.70 रुपए पेट्रेल और डीजल की कीमतें घटनी चाहिए थी। देश की तीन प्रमुख तेल कंपनियों बीपीसीएल-एचपीसीएल और इंडियन ऑयल को जून तिमाही में 18,480 करोड़ रुपए का नुकसान भारी भरकम नुकसान हुआ था।