PM मोदी ने देश को पहुंचाया बाहरी दुश्मन से भी ज्यादा नुकसान, भारत की अर्थव्यवस्था बांग्लादेश से भी पिछड़ी
दिनकर कुमार का विश्लेषण
जनज्वार। सांप्रदायिक घृणा और फर्जी राष्ट्रवाद के सहारे सत्ता तक पहुंची मोदी सरकार ने सिर्फ छह सालों की अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचा दिया है। नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना का आतंक पैदा कर बर्बर लॉकडाउन लागू कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है। शायद इसीलिए प्रसिद्ध टाइम पत्रिका ने लिखा है कि मोदी ने अपने देश को किसी बाहरी दुश्मन से भी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
मोदी भले ही सुपर पावर बनने या पांच ट्रिलियन की इकोनोमी बनाने का हवाई दावा करते रहे हैं, मगर पड़ोस के छोटे से देश बांग्लादेश ने अर्थव्यवस्था के मामले में भारत को पछाड़ दिया है। भाजपा और संघ के लोग लगातार मुस्लिम विद्वेष फैलाने के लिए भारत में करोड़ों बंगलादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी की बात कहकर उनको एनआरसी के जरिये पकड़कर डिटेंशन कैंपों में बंद करने की बात करते रहे हैं। अमित शाह ऐसे मुसलमानों की तुलना दीमक के साथ करते हुए उनको कुचलने की मंशा जाहिर कर चुके हैं, लेकिन जो सच्चाई सामने आ रही है उससे मोदी सरकार का बौनापन साफ तौर पर दुनिया के सामने उजागर हो रहा है।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की अर्थशास्त्र संबंधी जानकारी ने चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है। आईएमएफ के अनुसार भारत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में इस साल बांग्लादेश से पिछड़ने वाला है। आईएमएफ ने इसकी एक वजह भी बताई है।
आईएमएफ का कहना है कि इस बदलाव का कारण इस साल कोविड-19 महामारी की वजह से लगाया गया लॉकडाउन है। इस साल कोरोना महामारी के फैलने से भारत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मार्च के महीने में ही भारत में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। अगस्त सितंबर के बाद से इसमें काफी हद तक ढील दी गई, लेकिन अब भी लोगों को अपने घर से जरूरी काम होने पर ही निकलने की सलाह दी जा रही है। इस वजह से अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई।
आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिकल आउटलुक के अनुसार बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद साल 2020 में 4 प्रतिशत बढ़कर 1888 डॉलर हो जाएगा, जबकि भारत का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 10.5 प्रतिशत बढ़कर 1877 डॉलर रह जाएगा।
भारत की यह प्रति व्यक्ति जीडीपी पिछले चार सालों में सबसे कम रहगी। जीडीपी का यह आंकड़ा दोनों ही देशों की वर्तमान कीमतों के आधार पर आंकी गई है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जहां पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश ने अपना निर्यात तेजी से बढ़ाया है तो वहीं भारत के निर्यात के स्थिति उसके अपने ही पिछले रिकॉर्ड की तुलना में बहुत अच्छी नहीं है। इसकी वजह से जहां पिछले पांच सालों बांग्लादेश की वार्षिक वृद्धि दर 9.1 प्रतिशत रही तो वहीं भारत की वृद्धि दर केवल 3.2 प्रतिशत ही रही।
भारत और बांग्लादेश के संबंध हमेशा दोस्ताना रहे हैं, लेकिन जिस तरह से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, क्या अब ये दोनों देश प्रतिद्वंद्वी बन गए हैं और क्या बांग्लादेश, भारत को पीछे छोड़ रहा है? क्योंकि, भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत के आसपास हो गई है। यहां ऑटोमोबाइल सेगमेंट, रियल एस्टेट और सर्विस सेक्टर की ख़राब हालत के चलते अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ गई है। वहीं बांग्लादेश अपने आईटी सेक्टर और इंडस्ट्री सेक्टर के बल पर आठ फीसदी की वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है।
आईएमएफ़ का आकलन है कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था अभी के 180 अरब डॉलर से बढ़कर 2021 तक 322 अरब डॉलर की हो जाएगी। वैसे भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 2.7 ट्रिलियन डॉलर की है. और भारत सरकार ने अगले पांच साल में भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।
मगर बांग्लादेश ने उन आर्थिक क्षेत्रों में मज़बूती से दस्तक देना शुरू कर दिया है जहां भारत का दबदबा रहा है। मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर में बांग्लादेश तेज़ी से प्रगति कर रहा है। कपड़ा उद्योग में बांग्लादेश चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। हाल के एक दशक में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था औसत 6 फ़ीसदी की वार्षिक दर से आगे बढ़ी है।
1974 में भयानक अकाल के बाद 16.6 करोड़ से ज़्यादा की आबादी वाला बांग्लादेश खाद्य उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन चुका है। 2009 से बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय तीन गुनी हो गई है। पिछले साल बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय 1,750 डॉलर हो गई थी। एक सच ये भी है कि बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग ग़रीबी में जीवन बसर कर रहे हैं, लेकिन विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 1.25 डॉलर में अपना जीवन चलाने वाले कुल 19 फ़ीसदी लोग थे जो अब 9 फ़ीसदी ही रह गए हैं।
जाने-माने अर्थशास्त्री कौशिक बासु का कहना है कि बांग्लादेश विकास दर में भारत को भी पीछे छोड़ देगा।
एक नज़र उन क्षेत्रों पर जहां बांग्लादेश भारत को कड़ी टक्कर दे रहा है
बांग्लादेश में एक व्यक्ति की औसत उम्र 72 साल हो गई है, जबकि भारत में औसत उम्र 68 साल है। भारत में ऐसे लोगों की तादाद 48 फ़ीसदी है जिनके पास बैंक खाता तो है लेकिन उससे कोई लेन-देन नहीं करते। दूसरी तरफ़ बांग्लादेश में ऐसे लोग 10.4 फ़ीसदी लोग ही हैं। यानी बांग्लादेश में निष्क्रिय खाताधारकों की संख्या भारत से कम है।
बाल मृत्यु दर, लैंगिक समानता और औसत उम्र के मामले में बांग्लादेश भारत को पीछे छोड़ चुका है। एशिया डिवेलपमेंट बैंक के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत की बादशाहत को बांग्लादेश चुनौती दे रहा है।
बांग्लादेश जेनरिक दवाइयों के निर्माण में भारत को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश जेनरिक दवाओं के उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है और 60 देशों में इन दवाइयों का निर्यात कर रहा है।