Supertech Project : 432 करोड़ का कर्ज चुका पाने में नाकाम सुपरटेक दिवालिया घोषित, अब Delhi NCR के हजारों बायर्स की कमाई का क्या होगा?
रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक दिवालिया घोषित।
नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ( Supertech ) का 432 करोड़ रुपए की देनदारी से चूक जाने के बाद दिवालिया घोषित हो गया। इसके साथ ही अहम सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि उन हजारों खरीददारों ( Home Buyers ) की मेहनत की गाढ़ी कमाई का क्या हो, जिसे उन्होंने अपने बढ़ापे के लिए आश्रय के रूप में सुपरटेक ( Supertech Project ) के भरोसे पर लगाया था। बता दें कि दिल्ली एनसीआर ( Delhi NCR ) में 25 हजार के करीब घर खरीदारों के सामने सुपरटेक के दिवालिया ( Supertech Bankrupt ) घोशित होने से एक बार फिर संकट मंडरा रहा है। बायर्स में सुपरटेक सहित अन्य कंपनियों के बायर्स भी शामिल हैं।
दरअसल, लोन चूक में ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सुपरटेक इको विलेज 2 प्रोजेक्ट के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दिया गया कर्ज शामिल है। इस परियोजना की लागत 1106.45 करोड़ रुपए हैं। दस्तावेजों से यह जानकारी सामने आई है।
एनसीएलटी ने किया दिवालिया घोषित
सुपरटेक के लिए सात माह के भीतर यह दूसरा झटका है। सुपरटेक को शुक्रवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT ) द्वारा दिवालिया घोषित किया है। इससे सुपरटेक के दिल्ली-एनसीआर ( Delhi NCR ) रीजन में करीब 25 हजार घर खरीदारों को फ्लैट मिलने को लेकर फिर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
9 साल पहले बैंकों से हासिल किया था 350 करोड़ का लोन
यूनियन बैंक की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए एनसीएलटी ने कहा कि वित्तीय कर्ज के भुगतान में चूक हुई है। इसलिए सुपरटेक के बोर्ड का नियंत्रण हितेश गोयल की अगुवाई में अंतरिम समाधान पेशेवर को सौंपा जाता है। एनसीएलटी ने कहा कि बैंक द्वारा पेश दस्तावेजों से साफ है कि बिल्डर अपनी देनदारी चुकाने में नाकाम रहा है। सुपरटेक को किसी भी प्रकार की संपत्ति के स्थानांतरण, नियंत्रण या निपटारे से भी रोक दिया गया है। सुपरटेक ने 2013 में कई वित्तीय संस्थानों से संपर्क साधते हुए 350 करोड़ रुपये का कर्ज बैंकों के समूह से हासिल किया था। इसमें से 150 करोड़ रुपए यूनियन बैंक ने दिया था। सुपरटेक लगातार ये कर्ज चुका पाने में विफल रहा है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के 40 मंजिला ट्विन टावर को गिराने का आदेश 31 अगस्त 2021 को दिया था। यह नोएडा के एमरॉल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो निर्माणाधीन है। ट्विवन टावर ( twin towers ) के निर्माण में मानकों की धज्जियां उड़ाई गई थीं। सुपरटेक ने दिवालिया घोषित करने के आदेश को एनसीएलएटी ( NCLAT ) में चुनौती देने का फैसला किया है।
बायर्स का क्या होगा?
Delhi NCR Buyers : अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी डूबती है या दिवालिया घोषित होती है, तो उसकी संपत्ति की नीलामी में घर खरीदारों का भी हिस्सा होने का प्रावधान है। रियल्टी कंपनियों के डूबने की स्थिति में अब तक संपत्ति की नीलामी में केवल बैंक का ही हिस्सा होने का प्रावधान था, लेकिन दीवालिया बोर्ड गठित होने और काननू बनने के बाद से अब नीलामी में होम बायर्स का भी हिस्सा मिलता है। इससे किसी भी डेवेलपर के डिफॉल्ट करने पर घर खरीदार को उसकी रकम मिल सकेगी। बैंक और बायर्स का पैसा चुकाने के बाद अगर पैसा बचता है तो उसे केंद्र और राज्यों के बीच बांटने का प्रावधान है।