बैंक रेपो रेट में इस बार नहीं हुआ कोई बदलाव, RBI गवर्नर बोले- हर तरफ से नीतिगत समर्थन हो तभी होगा विकास
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रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि विकास के लिए चौतरफा नीतिगत सपोर्ट होना चाहिए।
जनज्वार। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था में नई रिकवरी को बढ़ाने के लिए मौद्रिक राजकोषीय सहित सभी पक्षों से निरंतर नीतिगत समर्थन पर जोर दिया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद एक वर्चुअल संबोधन में, दास ने कहा कि कुल मांग के दृष्टिकोण में सुधार हो रहा है, लेकिन अंतर्निहित स्थितियां अभी भी कमजोर हैं। इसके अलावा, कुल आपूर्ति भी पूर्व-महामारी के स्तर से नीचे है।
उन्होंने कहा कि जहां आपूर्ति बाधाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, वहीं अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में आपूर्ति-मांग संतुलन को बहाल करने के लिए अधिक किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में मुद्रास्फीति के दबाव चिंता पैदा कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान आकलन यह है कि ये दबाव अस्थायी हैं बड़े पैमाने पर प्रतिकूल आपूर्ति पक्ष कारकों से प्रेरित हैं।
उधर केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई ने कहा कि पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और रेपो रेट 4 प्रतिशत पर बना रहेगा। महंगाई बढ़ने और कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने का हवाला देते हुये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर तथा अन्य नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला किया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समीति की तीन दिवसीय बैठक में सभी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय किया गया। रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर को 4.25 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। नकद आरक्षी अनुपात चार प्रतिशत और एसएलआर 18 प्रतिशत पर बना रहेगा।
बैठक के बाद दास ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी की विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। साथ ही इस साल कुछ विलंब के बाद मानसून में सुधार होने से खरीफ की बुआई में तेजी आयी है। आने वाले दिनों में कोविड-19 टीकाकरण भी गति पकड़ेगा। ये सभी कारक अर्थव्यवस्था को गति देंगे।
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