इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने बढ़ायी 400 फीसदी फीस, आंदोलन पर उतरे छात्र बोले दलित-गरीब छात्रों को बाहर कर देगी यह बढ़ोत्तरी
Allahabaad university increase 400 percent fees : छात्रों के तमाम आंदोलननों और विरोध के बावजूद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने आखिरकार फीस में भारी भरकम बढ़ोत्तरी कर दी है। 400 फीसदी फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ छात्र फिर से आंदोलन पर उतर आये हैं। फीस वृद्धि के प्रस्ताव को वित्त समिति और एकेडमिक कौंसिल से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, जिसके कारण छात्र आंदोलन पर उतर आए है।
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि पूरे 112 साल बाद यहां फीस बढ़ाई गई है, छात्रों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए यह जरूरी है। वहीं छात्र संगठनों का कहना है कि हम फीस में वृद्धि का विरोध नहीं 400 फीसदी फीस बढ़ाने का हम लोग विरोध कर रहे हैं।
छात्रों का कहना है यूनिवर्सिटी द्वारा एक बार में 400 प्रतिशत फीस बढ़ा दी है, जो छात्रों के लिए सहज नहीं है। छात्र संगठन काफी समय से फीस बढ़ने के फैसले का विरोध कर रहे थे, लेकिन इस शोर-शराबे के बीच भी फीस वृद्धि पर यूनिवर्सिटी परिषद द्वारा अंतिम मोहर लगा दी गई है। आगामी सत्र यानी 2022-23 में छात्र छात्राओं को बढ़ी हुई फीस देनी होगी। ये फैसला वित्त समिति और एकेडमिक काउंसिल द्वारा पहले ही मान्य घोषित कर दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई कार्य परिषद की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। विश्वविद्यालय में दैनिक वेतन एवं संविदा कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों को भुगतान की जा रही वेतन दर को संशोधित करने और बढ़ाने की मंजूरी भी दी गई, इसी के साथ छात्रों की फीस में 400 फीसदी वृद्धि पर मोहर लगाई गई।
वर्किंग काउंसिल के बैठक में निर्णय लिया गया कि हिंदू हॉस्टल के कमरे विज्ञान फैकल्टी के अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स और जेके इंस्टीट्यूट को बीटेक स्टूडेंट्स के अंडर रखे जाएंगे। वहीं मीटिंग में यह भी तय किया गया कि छात्रावास के कुल 184 रूम्स में से 100 कमरे जेके इंस्टीट्यूट के छात्रों को दिए जाएंगे, 84 कमरे बीएससी स्टूडेंट्स को आवंटित किए जाएंगे।
जेके इंस्टीट्यूट करेगा बिजली बिल भुगतान
कार्य परिषद ने निर्णय लिया कि हिंदू हॉस्टल पर बिजली बिल का 2.50 करोड़ रुपये बकाया है, जिसका भुगतान जेके इंस्टीट्यूट द्वारा किया जायेगा। कुलपति के प्रयास से यह हॉस्टल मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय महाविद्यालय प्रबंध समिति से प्रति वर्ष एक रुपया के हिसाब से 29 वर्ष 11 महीने के लिए लीज रेंट पर लिया गया था।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400 फीसदी फीस में हुई वृद्धि के खिलाफ छात्र आंदोलन पर उतर आए हैं। जनज्वार से बातचीत करते हुए छात्रों का गुस्सा उबल पड़ा। आंदोलनकारी छात्र बोले कहां से जुटायेंगे इतना बड़ा एमाउंट हम लोग। छात्रों का कहना है की केंद्र की मोदी सरकार यूनिवर्सिटी को फंडिंग नहीं कर रही है, जिससे मजबूरन यूनिवर्सिटी को फीस बढ़ानी पड़ी है। इतनी पुरानी यूनिवर्सिटी होने के बाबजूद भी सरकार इसके वेलफेयर के लिए कुछ भी नहीं कर रही हैं।
आंदोलनकारी छात्र कहते हैं, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी सेल्फ फाइनेंस कोर्स चला रही है, जिसमें बच्चों को फीस की अधिक राशि देनी पड़ रही है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की 70 प्रतिशत आबादी निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार से है, वो अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए इतनी मोटी रकम देने में असमर्थ है।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी इसलिए बनायी गयी थी ताकि मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे कम पैसों में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें, किंतु कुछ वर्षो से इसको कमर्शियल तरीके से चलाया जा रहा है। छात्रों ने कहा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की स्थिति इतनी खराब है कि यहां आधे से ज्यादा गेस्ट फैकल्टी मौजूद हैं, जिसके कारण पढ़ाई पर भी असर हो रहा है।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति पर उठा सवाल
विश्वविद्यालनय की कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तवका कहना है कि विश्वविद्यालय का अस्तित्व बचाने के लिए फीस बढ़ानी पड़ रही है। वर्षों से चल रही इस यूनिवर्सिटी को एक नये आयाम तक ले जाने के लिए फीस में वृद्धि की गई है, जिससे हमें नहीं लगता है किसी भी छात्र छात्रा को ज्यादा दिक्कत होगी। यह मेरा व्यक्तिगत फैसला नहीं है, वित्त समिति और एकेडमिक कौंसिल द्वारा यह फैसला लिया गया है।
आंदोलनकारी छात्र कहते हैं बीजेपी सरकार में 112 साल पुराने विश्वविद्यालय का अस्तित्व डगमगा गया है। अब यह भी रेलवे, एयरलाइंस और अन्य सरकारी संस्थानों की तरह जल्द ही शायद निजी हाथों में चला जायेगा।