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शिक्षा

Allahabad HC : आर्थिक तंगी के चलते IIT में नहीं हो पाया दलित छात्रा का दाखिला तो जज ने दिए 15 हजार रुपये

Janjwar Desk
30 Nov 2021 6:04 PM IST
Allahabad HC : आर्थिक तंगी के चलते IIT में नहीं हो पाया दलित छात्रा का दाखिला तो जज ने दिए 15 हजार रुपये
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Allahabad HC : संस्कृति रंजन को आईआईटी बीएचयू में गणित व कंप्यूटर से जुड़े कोर्स में सीट आवंटित की गई थी लेकिन दाखिले की फीस के लिए 15 हजार न होने की स्थिति में वह दाखिला न ले सकी थी...

Allahabad HC : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच के एक जज ने एक दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली छात्रा की योग्यता से प्रभावित होकर उसके आईआईटी (IIT-BHU) में प्रवेश के लिए मदद की है। खबरों के मुताबिक छात्रा संस्कृति रंजन (Sanskriti Ranjan) का दाखिला आईआईटी में नहीं हो पाया था। ऐसे में छात्रा से प्रभावित होकर जज जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने स्वेच्छा से 15,000 रुपये शुल्क के तौर पर छात्रा को दिए।

जानकारी के मुताबिक छात्रा की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वह अपने लिए एक वकील का इंतजाम करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में कोर्ट के कहने पर अधिवक्ता सर्वेश दुबे और समता राव ने छात्रा का पक्ष अदालत में रखा।

कोर्ट ने छात्रा की याचिका पर अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जहां एक युवा मेधावी दलित छात्रा इस कोर्ट के सामने आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए समान अधिकार क्षेत्र की मांग कर रही है। ऐसे में कोर्ट ने स्वेच्छा से सीट आवंटन के लिए शुल्क के लिए 15 हजार रुपये योगदान दिया है।

दलित छात्रा संस्कृति रंजन ने 10वीं की परीक्षा में 95 फीसदी व 12वीं की परीक्षा में 94 फीसदी अंक हासिल किए थे। इसके बाद जेईई की परीक्षा में 92 फीसदी अंक प्राप्त किए। उसने बतौर एससी कैटगरी में 2062वां रैंक हासिल किया था। इसके बाद वह जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल हुई जहां उसकी रैंक 1469 आयी।

संस्कृति को आईआईटी बीएचयू में गणित व कंप्यूटर से जुड़े पास साल के कोर्स में सीट आवंटित की गई लेकिन दाखिले की फीस के लिए 15 हजार न होने की स्थिति में वह दाखिला न ले सकी और समय निकल गया। छात्रा ने फीस का प्रबंधन करने के लिए याचिका दाखिल कर समय मांगा था।

जस्टिस दिनेश सिंह ने याचिका पर बीएचयू को निर्देश दिया कि छात्रा को और समय दिया जाए और कोई नियमित सीट खाली हो जाए तो उस पर उसका समायोजन कर लिया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर सीट न भी हो तो इस दशा में अलग से ही सीट बढ़ाकर उसकी पढाई जारी रखी जाए।

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