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शिक्षा

DDU Gorakhpur : योगी राज में वेतन देने पैसे नहीं, 52.98 करोड़ की एफडी तोड़ने का लिया फैसला

Janjwar Desk
22 Dec 2021 12:22 PM GMT
DDU Gorakhpur : योगी राज में वेतन देने पैसे नहीं, 52.98 करोड़ की एफडी तोड़ने का लिया फैसला
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गोरखपुर युनिवर्सिटी ने वेतन देने के एफडी तोड़ने का फैसला लिया। 

DDU Gorakhpur University Financial Crisis : गोरखपुर विश्वविद्यालय बीते कुछ समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यहां तक कि शिक्षकों और कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक में विश्वविद्यालय को दिक्कत आने लगी थी। इसी कारण बीते दिनों विश्वविद्यालय को एफडी को गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा था।

Gorakhpur University Financial Crisis : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ( DDU Gorakhpur ) ने लंबे समय से जारी आर्थिक संकट ( Financial Crisis ) से पार पाने के लिए अपनी 52.98 करोड़ रुपए की एफडी ( Fixed Deposit ) को तोड़ने का फैसला लिया है। यह फैसला एक दिन पहले कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में हुई वित्त समिति की बैठक में लिया गया। जुलाई 2021 से विश्वविद्यालय को शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कतें आने लगी थीं।

वित्तीय संकट के कारण बीते दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन ने एफडी पर लोन लेकर अपने शैक्षिक और गैर शैक्षि​निक कर्मचारियों को वेतन दिया था। विश्वविद्यालय ने एक बार 7 करोड़ और दूसरी बार 4.5 करोड़ रुपए का लोन लिया था। कर्ज लेने में एफडी तोड़ने के मुकाबले विश्वविद्यालय को नुकसान हो रहा था। इसलिए मंगलवार को वित्त समिति की बैठक बुलाई गई और एफडी तोड़ने का फैसला लिया गया। यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। ताकि विश्वविद्यालय को नुकसान न हो। फैसले में वित्त समिति के फैसले में कहा गया गया है कि एफडी को तोड़ देना बेहतर रहेगा। धन फिर से इकट्ठा होगा तो एफडी फिर बनवा ली जाएगी। शीघ्र ही इसको लेकर कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव विश्वेश्वर प्रसाद ने कहा है कि विवि आर्थिक संकट से गुजर रहा था। फिलहाल एफडी तोड़कर इस संकट को दूर करने का निर्णय वित्त समिति ने लिया है। आगे जब फिर से विश्वविद्यालय के पास अतिरिक्त धन होगा, तो एफडी बनाकर बचत की धनराशि सुरक्षित कर ली जाएगी।

शासन ने दी एफडी तोड़ने की इजाजत

डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछली 18 जून को शासन को पत्र लिखकर आर्थिक संकट का हवाला देते हुए वेतन और गैर वेतन मद में निर्धारित अवशेष धनराधि को निर्गत करने का अनुरोध किया था। जवाब में शासन की ओर से आए पत्र में कोरोना के चलते राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कही गई थी। साथ ही यह भी सलाह दी गई थी कि विश्वविद्यालय के पास बचत के रूप में करीब 80.19 करोड़ रुपए हैं। उसमें 52.98 करोड़ की एफडी भी शामिल है। बचत की धनराशि का इस्तेमाल विश्वविद्यालय अपनी आर्थिक दिक्कत को दूर करने में कर ले।

राधे मोहन मिश्र ने बनवाई थी एफडी

गोरखपुर विश्वविद्यालय में एफडी बनाने की शुरुआत 2 दशक पूर्व तत्कालीन कुलपति राधे मोहन मिश्र की पहल पर हुई थी। 2010 से 2014 तक कुलपति रहे प्रो. पीसी त्रिवेदी के कार्यकाल में यह एफडी की धनराशि 53 करोड़ के करीब पहुंच गई थी।

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