पैनल के वकीलों के खिलाफ FIR कराना आरजीयू ऑफ हेल्थ साइंसेज को पड़ा महंगा, कर्नाटक हाईकोर्ट ने लगाई सख्त फटकार
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Karnataka News : कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High court ) ने राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस ( RGUHS ) प्रशासन को मंगलवार को एक मामले में सुनवाई के बाद जमकर फटकार लगाई। अदालत के इस रुख से आरजीयू ऑफ हेल्थ साइंसेस प्रशासन को बड़ा झटका लगा है। आरजीयूएचएस को भरी अदालत में किरकिरी और अपमानबोध का सामना भी करना पड़ा। माना जा रहा है कि आरजीयूएचएस के इतिहास में पहला मौका जब उसे अपनी की एक शिकायत में मामले में अदालत में अपमानित होना पड़ा। हाईकोर्ट के वकीलों ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने काम ही ऐसा किया कि उसके लिए अपमान का घूंट पीना तय था।
दरअसल, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस (RGUHS ) प्रशासन ने एक मामले में अदालत का फैसला अपने पक्ष में न आने पर, अपने ही पैनल के वकीलों के खिलाफ एफआईआर ( FIR ) दर्ज कराई थी। उक्त मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की बेंच ने आजीयूएचएस प्रशासन से नाराजगी जाहिर करने के साथ जमकर फटकार लगाई है। यूनिवर्सिटी ने यह शिकायत तब दर्ज कराई जब अदालत द्वारा दिया गया निर्णय उसके पक्ष में नहीं आया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High court ) में मामले की सुनवाई के बाद कहा कि यूनिवर्सिटी ( RGUHS ) या रजिस्ट्रार द्वारा पैनल के वकीलों ( Advocate pannel ) के खिलाफ केवल इस बात के लिए एफआईआर कराना कि फैसला उनके पक्ष में नहीं आया, गंभीर चिंता का विषय है। साथ ही फैसले पर पुनर्विचार की मांग चौकाने वाली घटना है। आरजीयूएचएस ( Rajiv Gandhi University of Health Sciences ) को चेतावनी दी जाती है कि वो दोबारा इस तरह की लापरवाही न करे। साथ ही कोई भी मामला ( FIR ) दर्ज कराते समय सावधानी बरते। अगर इस तरह के मामले फिर सामने आये तो हम सख्त फैसला लेने के लिए बाध्य होंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने वकीलों के खिलाफ दर्ज मामले को भी रद्द कर दिया।
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि केवल इसलिए मामला दर्ज कराना कि निर्णय उनके पक्ष में नहीं आया सीधे तौर पर लापरवाही है। केस हारने की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बदले आप वकीलों पर धोखाधड़ी, प्रतिरूपण या अन्य लापरवाही आरोप नहीं लगा सकते।
ये है पूरा मामला
आरजीयूएचएस की ओर से हाल ही में पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (पीजीईटी-2010) के संचालन में कदाचार के आरोपी कई व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत की धारवाड़ पीठ के समक्ष कई याचिकाएं दायर की थी। न्यायालय की समन्वय पीठ ने याचिकाओं को अनुमति दी और लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। इस मामले में यूनिवर्सिटी के वकीलों ने अदालत आरजीयूएचएस के कुलपति का प्रतिनिधित्व किया था। इसके बावजूद फैसला पक्ष में न आने पर यूनिवर्सिटी ने वकीलों के खिलाफ अलग से एक मामला दर्ज कराया था।