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शिक्षा

MBBS Syllabus Revised : अब Doctor बनने के लिए Medical Students को लेनी होगी योगा की क्लास, 'महर्षि चरक शपथ' लेने के बाद ही मिलेगी डिग्री

Janjwar Desk
2 April 2022 7:45 AM GMT
आज से हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई, ऐसा करने वाला एमपी बना देश का पहला राज्य
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आज से हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई, ऐसा करने वाला एमपी बना देश का पहला राज्य

MBBS Syllabus Revised : मेडिकल कमिशन (Medical Commission) की ओर से जारी इस नई गाइडलाइन के बाद अब एमबीबीएस के वर्तमान बैच में शामिल हुए छात्र साधारण शपथ की बजाय महर्षि चरक शपथ लेंगे...

MBBS Syllabus Revised : देश में मेडिकल की पढ़ाई के पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए नई गाइडलाइन जारी की गई है। मेडिकल एजुकेशन (Medical Education) की नियामक संस्था नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission) की ओर से जारी गाइडलाइन (Guidelines) के अनुसार अब छात्रों को म​हर्षि चरक शपथ (Maharshi Charak Shapath) भी लेना पड़ेगा। इसे भी सिलेबस का अनिवार्य हिस्सा बना दिया गया है। इसके साथ ही मेडिकल छात्रों को 10 दिन का योगा का कोर्स भी करना पड़ेगा। मेडिकल छात्रों के लिए अब नेशनल एग्जिट टेस्ट भी जरूरी कर दिया गया है। अब इसे पास करने के बाद भी एमबीबीएस की डिग्री जारी की जाएगी।

मेडिकल कमिशन की ओर से जारी इस नई गाइडलाइन के बाद अब एमबीबीएस (MBBS) के वर्तमान बैच में शामिल हुए छात्र साधारण शपथ की बजाय महर्षि चरक शपथ लेंगे। महर्षि चरक शपथ को मेडिकल छात्रों के लिए अनिवार्य किए जाने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब कुछ समय

पहले इसे लेकर सरकार ने संसद में अपनी ओर से स्पष्टीकरण जारी किया था। राज्यसभा में बोलते हुए स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि नेशनल मेडिकल कमीशन के अनुसार हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ से बदलने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।

नई गाइडलाइन के अनुसार मेडिकल छात्रों को 10 दिन के योगा फाउंडेशन कोर्स भी पूरा करने का सुझाव भी दिया है। यह फाउंडेशन कोर्स साल 12 जून से किया जाएगा और विश्व योग दिवस 21 जून तक चलेगा। इसका संचालन कैसे किया जाए इसका मसौदा कॉलेजों की ओर से तैयार किया जाएगा।

मेडिकल कमीशन के नए गाइडलाइन के अनुसार अब छात्रों को अपने पाठ्यक्रम के पहले साल सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण का हिस्सा बनना पड़ेगा। इसके लिए छात्रों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जाकर उन उन गांवों को गोद लेना होगा जहां स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा पाठ्यक्रम में कम्यूनिटी मेडिसिन की पढ़ाई के तीसरे साल में आती है। फिलहाल दूसरे वर्ष से शुरू होने वाले फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी कोर्स को तीसरे वर्ष के पाठ्यक्रम में जोड़ दिया गया है।

डॉ रोहन कृष्णन जो फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, उनका मानना है कि पाठ्यक्रमों थोड़ा बदलाव किया गया है। हालांकि कोरोना महामारी को देखने हुए वायरोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों पर भी ध्यान देना चाहिए था लेकिन बदले हुए पाठ्क्रम में फिलहाल ऐसा कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से मेडिकल पाठ्क्रमों में किए ​गए इस बदलाव को जहां कुछ लोग सराह रहे हैं वहीं कुछ जानकार इसका विरोध भी रहे हैं। कुछ लोगों का यह भी मनाना है कि मेडिकल की पढ़ाई में यह परिवर्तन डॉक्टरी की पढ़ाई के राष्ट्रीयकरण की ओर इशारा कर रहा है।

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