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उच्च शिक्षा निदेशालय में भ्रष्टाचार का खेल : जिस महाविद्यालय के CM योगी हैं प्रबंधक, उनकी भी नहीं होती सुनवाई

Janjwar Desk
28 Sep 2022 4:15 PM GMT
उच्च शिक्षा निदेशालय में भ्रष्टाचार का खेल : जिस महाविद्यालय के CM योगी हैं प्रबंधक, उनकी भी नहीं होती सुनवाई
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उच्च शिक्षा निदेशालय में भ्रष्टाचार का खेल : जिस महाविद्यालय के CM योगी हैं प्रबंधक, उनकी भी नहीं होती सुनवाई

Gorakhpur news : मुख्यमंत्री योगी के महाविद्यालय से संबंधित शिक्षकों के पत्रावलियों को लेकर अगर यह हाल है तो अन्य महाविद्यालयों के शिक्षकों को न्याय मिलने की उम्मीद करना बेईमानी होगी

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Gorakhpur news : भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार का एक सच यह भी है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महाविद्यालय के शिक्षक तक परेशान हैं। उच्च शिक्षा निदेशालय में भ्रष्टाचार के खेल के आगे इनके शिक्षकों की कोई नहीं सुनता। इनका कहना है कि निदेशालय के कर्मचारियों की मुठ्ठी गर्म किए बिना पत्रावलियां आगे नहीं बढ़ती हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर है गोरखपुर। यहां के दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रबंधक खुद मुख्यमंत्री हैं। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के उत्तर प्रदेश.उतराखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष डा. राजेश चंद्र मिश्र का कहना है कि दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के बीएड विभाग की प्रोफेसर डाॅ. सरोज शाही जून 2022 में सेवानिवृत्त हो गयीं। वो पिछले चार वर्ष से कैंसर से पीड़ित हैं, जिसके चलते जीवन मरण से संघर्ष कर रही है और लाखों रुपये इलाज में खर्च कर चुकी हैं। अपने जीपीएफ की धनराशि 20 लाख रुपये व पेंशन पाने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय प्रयागराज को कई बार पत्र लिख चुकी हैं, इसके बाद भी समय से सुनवाई नहीं हुई। काफी विलंब से चेक प्राप्त होने के बावजूद भी फण्ड न होने के कारण भुगतान नहीं हो सका।

पेंशन की पत्रवाली 20 जुलाई 2022 से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा कार्यालय गोरखपुर से प्रेषित की जा चुकी है, लेकिन अभी तक उनको अपनी पेंशन प्राप्त नहीं हुई है। डाॅ. राजेश मिश्र आगे बताते हैं, निदेशालय द्वारा उनसे कहा जा रहा है कि 'आइये कुछ दीजिये फिर पेंशन ले जाइए।'-


निदेशालय के निदेशक को पत्र लिखकर जब डाॅ. राजेश चंद्र द्वारा पूछा गया कि पेंशन प्राप्ति के लिये कितना रेट चल रहा है, जिससे वोउनकी ओर से निदेशालय प्रयागराज आकर सुविधा शुल्क देकर पेंशन प्राप्त कर सकूं तो इसके बाद विभाग ने सक्रियता दिखाई है। खास बात यह है कि पेंशन के प्रकरण में महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. ओमप्रकाश सिंह ने भी पत्र लिखा था। इसके बाद भी पत्रावलियों पर समय से सुनवाई नहीं हुई।

दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री डाॅ. धीरेन्द्र सिंह भी दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रोफेसर हैं। डाॅ. सिंह व संघ के अध्यक्ष डाॅ. केडी त्रिपाठी ने हाल ही में उच्च शिक्षा निदेशालय प्रयागराज के निदेशक को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि उनके कार्यालय में अत्यधिक भ्रष्टाचार व्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षकों के पदोन्नति संबंधित पत्रावलियों के निस्तारण में मनमानी की जा रही है। निदेशक को भेजे गए पत्र में लिखा है, 'महाविद्यालय शिक्षकों के उन्नयन संबंधी जो भी पत्रावली कार्यालय को प्राप्त हो रही है, वह भ्रष्टाचार के भट्ठी में तपने बाद बाहर आ रही है। कार्यालय के पटल सहायक खुलेआम कह रहे हैं कि जो पैसा आप दे रहे हैं, वह केवल हमारा नहीं है, वह उपर तक पहुंचता है। बिना पैसे दिए कोई कार्य नहीं होगा। आपको जहां शिकायत करनी है, वहां कर सकते हैं।'

पत्र में आगे लिखा गया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार के मंशा पर निदेशालय में पानी फेरा जा रहा है। निदेशालय के इस कृत्य से सरकार की काफी किरकिरी हो रही है और उच्च शिक्षा के शिक्षकों में भयंकर आक्रोश एवं सरकार के प्रति निराशा जागृत हो रही है, जो समाज के लिए एवं सरकार के लिए काफी नुकसानदायक है। उच्च शिक्षा के शिक्षक शांत एवं शांतिप्रिय होते हैं, परंतु भ्रष्टाचार के इस गंगोत्री से उनमें भी आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। नजराना, शुकराना के बाद स्थिति जब्बराना तक पहुंच गई है। अब स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। यह आक्रोश कहां, कब और कैसे निकलेगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

शिक्षक संघ ने निदेशक को कहा है कि शिक्षकों के आक्रोश, मानसिक क्लेश एवं अशांति उत्पन्न करने तथा सरकार को बदनाम करने का कारण मत बनिए। आपके कार्यालय को प्राप्त होनेवाली फाइलें एक हप्ते में निस्तारित होकर शिक्षकों तक वापस पहुंच जानी चाहिए।

संघ के अध्यक्ष डाॅ. केडी त्रिपाठी जनज्वार से बातचीत में कहते हैं, 'उच्च शिक्षा निदेशालय के निदेशक ने आश्वस्त किया था कि पदोन्नति से संबंधित पत्रों का निस्तारण वरियता क्रम में किया जायेगा। इसके लिए सभी पत्र डाक से भेजने का निर्देश था। निर्देश के अनुपालन में पत्रावली भेजने के बाद भी हाल यह है कि संबंधित पटल के बाबुओं की मनमानी के चलते वरीयता क्रम में निस्तारण नहीं किया जा रहा है। आमतौर पर बाबुओं का जेब गर्म किए बिना काम आगे नहीं बढ़ता है। भ्रष्टाचार के इन आरोपों को लेकर उच्च शिक्षा निदेशालय कठघरे में है।

अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के उत्तर प्रदेश.उतराखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष डाॅ. राजेश चंद्र मिश्र कहते हैं, मुख्यमंत्री के महाविद्यालय से संबंधित शिक्षकों के पत्रावलियों को लेकर अगर यह हाल है तो अन्य महाविद्यालयों के शिक्षकों को न्याय मिलने की उम्मीद करना बेईमानी होगी। शिक्षक संघ के सख्त पत्र के बाद अब मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव क्या कार्रवाई करते हैं, यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा।

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